Friday, April 26, 2024
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दोजख की आग, कुरान, इस्लामी अध्ययन… 5-6 साल में ही मैं हिंदू-विरोधी, राष्ट्र-विरोधी हो गई, माता-पिता को काफिर मानने लगी: अनघा जयगोपाल और विशाली शेट्टी की कहानी

"हम इसे लव जिहाद कहने के बजाय लव ट्रैप जिहाद कहना चाहेंगे। ये लोग महिलाओं या युवतियों को प्रेम के बहाने फँसा रहे हैं और उसके जरिए धीरे-धीरे उनका धर्म परिवर्तन कर रहे हैं।"

सुदीप्तो सेन की फिल्म ‘केरल स्टोरी (The Kerala Story)’ ने इस्लामी धर्मांतरण की साजिशों को सार्वजनिक बहस का मुद्दा बना दिया है। कई पीड़ित खुद सामने आकर अपनी आपबीती सुना रहे हैं। अनघा जयगोपाल और विशाली शेट्टी दो ऐसी महिलाएँ हैं, जिन्होंने धर्मांतरण और फिर सनातन धर्म में वापस आने के अपने अनुभव बताए हैं।

अनघा जयगोपाल (Anagha Jayagopal) और विशाली शेट्टी (Vishali Shetty) ने अपने अनुभव का विस्तार से वर्णन किया है। दोनों का कहना है कि केरल स्टोरी ने न केवल केरल या देश के अन्य राज्यों की स्थिति के बारे में बताती है, बल्कि यह दुनिया भर में जो कुछ हो रहा है, उसकी भी वास्तविकता को दर्शाती है।

अनघा जयगोपाल की आपबीती

अनघा जयगोपाल केरल के एर्नाकुलम की रहने वाली हैं। उनके सहपाठियों और सहकर्मियों द्वारा उसका ब्रेनवॉश किया गया था। उन्होंने कहा, “मैं बौद्धिक जिहाद की शिकार थी, न कि इस फिल्म में दिखाए गए लव जिहाद की। लेकिन, लव जिहाद होता है। यह निश्चित रूप से मौजूद है।”

जयगोपाल ने कहा, “मेरी धर्मांतरण की कहानी 2013-2014 से शुरू होती है। फिल्म द केरला स्टोरी की मुख्य पात्र शालिनी उन्नीकृष्णन कई सवालों का सामना करती है। जैसे कि वास्तव में हमारे कितने भगवान हैं, हम इस प्रकार के देवताओं की पूजा क्यों करते हैं आदि। मुझे अपने रूममेट्स और सहकर्मियों आदि से इसी तरह के सवालों का सामना करना पड़ता था। उस समय मैं चुप रही, क्योंकि मैं इन सवालों का जवाब नहीं दे सकी थी।”

ब्रेनवॉश की अपनी कहानी को लेकर उन्होंने आगे बताया, “जब मैंने उन सवालों को अपने माता-पिता से पूछा तो वे भी उनका जवाब नहीं दे पाए। उन्होंने मुझसे कहा कि हम इन प्रथाओं का पालन कर रहे हैं, क्योंकि हमारे पूर्वजों ने ऐसा किया है। मैं संतुष्ट नहीं थी। मैंने सोशल मीडिया पर इसके बारे में और जानना चाहा, लेकिन वहाँ भी मुझे कोई ठोस जवाब नहीं मिला। इसलिए मैंने सोचा कि हिंदू धर्म का कोई मतलब नहीं है।”

जयगोपाल आगे कहती हैं, “इस तरह के सवाल पूछना धर्म परिवर्तन के लिए उनका पहला कदम है। वे आपको भ्रमित कर देंगे। वे आपका धर्म तय करना शुरू कर देंगे। इस चरण में भले ही आप चुप रहें और जवाब न दें, लेकिन वे धीरे-धीरे ब्रेनवॉश करने की प्रक्रिया शुरू कर देंगे। दूसरे चरण में वे हमारे धर्म की आलोचना करने लगे। उस समय भी मैं उनके प्रश्नों का कोई उत्तर नहीं दे सकी तो उन्होंने धीरे-धीरे मुझे बताया कि इस्लाम ही असली रास्ता है और अल्लाह ही एकमात्र ईश्वर है।”

जयगोपाल ने आगे कहा, “उन्होंने मुझे पैगंबर मोहम्मद और कुरान वगैरह के बारे में बताया और साथ ही उन्होंने मुझे बताया कि इस्लाम में कहा जाता है कि एक महिला को इस तरह के कपड़े पहनने चाहिए। तब वह नरक की आग से बच जाएगी। यदि कोई महिला अपने पति के अलावा अन्य पुरुषों के सामने खुद को प्रदर्शित करती है तो वह नरक की आग में जलती है। धीरे-धीरे उन्होंने मुझे उस विचारधारा में खींच लिया।”

डर का इस्तेमाल कर कैसे ब्रेनवॉश किया जाता है, इसको लेकर जयगोपाल आगे बताती हैं, “उन्होंने मुझे इस मनःस्थिति में बनाए रखने के लिए मुख्य रूप से नरक के भय का उपयोग किया। धीरे-धीरे, उन्होंने मेरे साथ कुरान के अनुवाद और एमएम अकबर और जाकिर नाइक के वीडियो साझा किए। मैंने उन सभी वीडियो को देखना शुरू कर दिया।”

उन्होंने आगे कहा, “धीरे-धीरे मैं अपने मस्तिष्क में इस्लामी विचारधारा को बैठाती गई और 5-6 साल के इस्लामी अध्ययन के बाद मैं हिंदू-विरोधी, राष्ट्र-विरोधी और यहाँ तक कि मानव-विरोधी हो गई। मैं ये मानने लगी कि गैर-इस्लामी सिर्फ काफिर होते हैं। कुरान में लिखा है कि काफिरों को कोई तवज्जो नहीं दी जानी चाहिए। कुरान में कहा गया था कि उनके साथ जितना हो सके क्रूर व्यवहार किया जाना चाहिए। मेरा ब्रेनवॉश किया गया था।”

खुद को हिंदू विरोधी बना दिए जाने को लेकर जयगोपाल कहती हैं, “मैं अपने माता-पिता को काफिर मानती थी। मैं हिंदू देवताओं, हिंदू धर्म और हिंदू संस्कृति से नफरत करती थी। उस समय हिंदू शब्द से मुझे सबसे ज्यादा नफरत थी। उन्होंने मुझे हिंदू धर्म, हिंदू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और हर हिंदू संगठनके खिलाफ कई बातें बताईं। छह साल के बाद मैं समाज में एक मुस्लिम महिला के रूप में अपनी पहचान बनाना चाहती थी। इसलिए मुझे कानूनी तौर पर धर्म परिवर्तन करना पड़ा।”

अपने धर्मांतरण के बारे में और अधिक बताते हुए उन्होंने कहा, “साल 2020 में मैंने धर्म परिवर्तन केंद्र को कॉल किया। मैंने उनसे कहा कि मैं धर्म परिवर्तन करना चाहती हूँ। उन्होंने बताया कि फिलहाल लॉकडाउन है। इसलिए नए दाखिले नहीं लिए जा रहे हैं। मेरे पास और कोई चारा नहीं था। यह मेरे कार्यस्थल के पास था। मैंने नौकरी छोड़ दी और घर आ गई। वहाँ मैं एक मुस्लिम महिला की तरह इस्लाम का पालन करने लगी। मैंने हिजाब और फुल बाजू पहनना शुरू कर दिया। मैं इस्लाम में कही गई सभी बातों का पालन कर रही थी।”

यह पूछे जाने पर कि वह हिंदू धर्म में वापस कैसे आईं, अनघा जयगोपाल ने कहा, “उस समय RSS के कुछ कार्यकर्ताओं को मेरे बारे में पता चला। उन्होंने मुझे खोजा और उन्हें पता चला कि मैं धर्मांतरित होने जा रही हूँ। मेरा परिवार एक संगठन के साथ है, जो अर्श विद्या समाजम है। मेरे भाई मेरे पास आए और कहा कि यह मत सोचो कि उनके पास तुम्हारे सवालों का कोई जवाब नहीं है। यह मत सोचना कि तुम्हारे सवालों का जवाब किसी के पास नहीं है। कोई ऐसी जगह है, जहाँ सारे सवालों के जवाब मिल सकते हैं।”

जयगोपाल आगे कहती हैं, “मैंने कहा कि मैं एक शर्त पर वहाँ आने को तैयार हूँ। एक बार जब मैं उस जगह को छोड़ दूँगी तो मैं पूर्ण हिंदू या पूर्ण मुस्लिम हो जाऊँगी। इस शर्त के साथ मैं अर्श विद्या समाजम में गई। वहाँ मैं आचार्य श्री मनोज से मिली। उन्होंने कुरान और हदीस के ही तथ्यों की ओर इशारा करके मुझे इस्लाम की धोखाधड़ी और खतरे का एहसास कराया। मुझे एहसास हुआ कि मैं उस रास्ते पर कितना खतरनाक तरीके से जा रही थी।”

वह आगे बताती हैं, “मैंने फैसला किया कि मैं जिस दौर से गुजर चुकी हूँ, वह किसी और लड़की को नहीं झेलना चाहिए। इसलिए, मैंने जीवन भर के लिए अर्श विद्या समाज के साथ काम करने का फैसला किया। मैं पिछले तीन साल से अर्श विद्या समाज से जुड़ी हुई हूँ। अब भी हमें प्रतिदिन लगभग 10 से 20 फोन कॉल आ रहे हैं कि हमारा बच्चा कट्टरपंथी बन रहा है। कृपया हमारी मदद करें।”

विशाली शेट्टी की आपबीती

अनघा जयगोपाल की तरह ही विशाली शेट्टी ने भी धर्मांतरण के अपने अनुभव को साझा किया। उन्होंने कहा कि फिल्म ने मजबूती के साथ सच्चाई को सामने रखा है। उन्होंने कहा, “कट्टरवाद और इस्लाम में मेरा ब्रेनवॉश मेरे कार्यस्थल में हुआ। मैं बेंगलुरु में एक आईटी कंपनी में काम कर रही थी। मैंने केरल में शुरुआत की और फिर बेंगलुरु आ गई। यहीं से इस्लाम में मेरा कट्टरवाद शुरू हुआ।”

विशाली बताती हैं, “मेरे सहकर्मियों ने मुझसे मेरे धर्म के बारे में सवाल पूछने शुरू कर दिए। इसकी शुरुआत में मैंने सामान्य ज्ञान और तर्क के साथ बचाव करने की कोशिश की, लेकिन बाद में मेरे पास उनके सवालों के जवाब नहीं थे। उस समय मेरे मन में भ्रम पैदा होने लगा। उन्हें उस शून्यता का आभास हो गया और उन्होंने अपनी विचारधाराओं को मेरे सामने रखने लगे।”

विशाली आगे बताती हैं, “उन्होंने मुझे इस्लामी विचारधारा के बारे में जानकारी देनी शुरू कर दीं। बा में मुझे लगने लगा कि कि वे जो कह रहे हैं, वह सही है। इस दौरान आपको लगने लगता है कि आप अब तक जिस धर्म का पालन करते आ रहे हैं, वह पूरी तरह से गलत है। मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ। मैं अर्श विद्या समाज के संपर्क में आई और वहाँ हम कट्टरवाद की भ्रांतियों को समझ पाए। इसके बाद एक बार फिर हम सनातन धर्म में वापस आ गए।”

उन्होंने ‘द केरल स्टोरी’ और उस राज्य की वास्तविकता के बारे में पूछे जाने पर कहा कि यह सिर्फ केरल तक सीमित नहीं है। उन्होंने कहा, “हमने फिल्म देखी है। फिल्म जो दिखाती है, उससे हम आपको बता सकते हैं कि यह वही है जो आज न केवल केरल और भारत के कई जगहों पर, बल्कि दुनिया भर में हो रहा है। समाज में क्या हो रहा है यह फिल्म सटीक ढंग से दर्शाती है।”

धर्मांतरण करने वाले लोगों की घरवापसी के बारे में विशाली ने बताया, “अर्श विद्या समाज पिछले 23 वर्षों से धर्मांतरित लोगों को वापस सनातन में लाने का कम कर रहा है। अपने अनुभव में ही हम 7000 से अधिक लोगों को वापस ला चुके हैं। यह एक कदम-दर-कदम रणनीतिक धर्मांतरण प्रक्रिया है, जो अपने चरम रूप में उस हद तक कट्टरता की ओर ले जा सकती है, जहाँ ब्रेनवॉश किया गया व्यक्ति आईएसआईएस में शामिल हो जाता है। कई मामलों में हम उन्हें पहले चरण में वापस ला देते हैं। अगर उन्हें सनातन में वापस नहीं लाया गया होता तो निश्चित रूप से वे उस अवस्था में पहुँच जाते। इन 7000 लोगों में महिला और पुरुष दोनों हैं।”

बड़ी संख्या में लोगों को जबरन इस्लाम में परिवर्तित किए जाने के दावों की पुष्टि करते हुए उन्होंने कहा, “ऐसे ज्यादातर मामलों में हम खुलकर नहीं बता सकते, क्योंकि वे लोग सार्वजनिक रूप से बात करने के लिए तैयार नहीं होते हैं। यह सामाजिक प्रतिष्ठा और अन्य विभिन्न चीजों के कारण है। खासतौर पर जब बात किसी लड़की की हो तो वो सामने आकर इस बारे में बात नहीं करते हैं। इस फिल्म ने निश्चित रूप से एक ऐसा माहौल बनाया है, जहाँ अधिक से अधिक लोग कह रहे हैं कि यह वास्तव में हो रहा है।”

लव जिहाद को विशाली ने लव ट्रैप जिहाद बताया। उन्होंने कहा कि यह एक लड़की को धर्मांतरित करने की योजना के ट्रैप दर्शाता है। उन्होंने यह भी कहा कि अंतर-धार्मिक संबंध में कोई समस्या नहीं है, अगर धर्मांतरण के लिए ऐसा कोई जाल नहीं है। उसने कहा कि अगर यह केवल एक लड़के और लड़की के बीच का रिश्ता है तो इसमें कोई समस्या नहीं है। कोई भी दो लोग प्यार में पड़ सकते हैं और एक रिश्ते में आ सकते हैं और शादी कर सकते हैं। समस्या यह है कि प्यार के नाम पर कट्टरवाद और कदम-कदम पर ब्रेनवॉश किया जाता है।

कट्टरवाद की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, “हम इसे लव जिहाद कहने के बजाय लव ट्रैप जिहाद कहना चाहेंगे। ये लोग महिलाओं या युवतियों को प्रेम के बहाने फँसा रहे हैं और उसके जरिए धीरे-धीरे उनका धर्म परिवर्तन कर रहे हैं। पहले कदम में वे उन्हें फँसाते हैं। दूसरे चरण में वे लड़कियों से कहते हैं कि अगर मेरे परिवार को तुम्हें अपने घर में स्वीकार करना है तो तुम्हें धर्म परिवर्तन करना होगा। उनका कहना है कि यह सिर्फ शादी करने के लिए है। वे कहते हैं कि यह सिर्फ नाम के लिए है, सिर्फ माता-पिता को स्वीकार करने के लिए आपको शादी के लिए धर्म परिवर्तन करना होगा।”

विशाली शेट्टी ने आगे कहा, “धर्मांतरण केवल कागजी कार्रवाई या औपचारिकता नहीं है। धर्मांतरण प्रमाणपत्र प्राप्त करने से पहले उसे इस्लामी अध्ययन पर दो महीने का उचित पाठ्यक्रम पूरा करना होता है। इस प्रक्रिया में उन्हें वही सिखाया जाता है, जो फिल्म में दिखाया गया है। धर्मांतरण में क्या होता है, फिल्म में जो दर्शाया गया है, उसे सटीक दर्शाया गया है। जो रिश्ते लड़की या लड़के के इस तरह के रास्ते पर कदम-दर-कदम कट्टरता की ओर ले जाते हैं, वे देश-विरोधी, मानव-विरोधी और समाज-विरोधी मानसिकता अपनाते हैं। यही समस्या है।”

केरल से ISIS में शामिल होने गए लोगों की संख्या की रिकॉर्ड की गई रिपोर्ट में उन्होंने दावा किया है कि जो 150 या 200 लोग शामिल हुए हैं उनमें से अधिकांश लोग मुस्लिम हैं और केवल एक छोटी संख्या अन्य धर्मों से है। उन्होंने कहा, “यदि मुस्लिम खुद ISIS में शामिल हो रहे हैं तो यह देश के मुस्लिम समुदाय के लिए ही एक समस्या है। इसलिए उन्हें पहले इस ब्रेनवॉशिंग के खिलाफ लड़ना होगा। यह केवल समाज के एक निश्चित वर्ग के लिए समस्या नहीं है। यह पूरी मानवता की समस्या है।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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