हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट में दो जजों की कोलेजियम द्वारा नियुक्ति पर विवाद खड़ा हो गया है। कोलेजियम द्वारा नियुक्त किए गए इन जजों के खिलाफ मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुँच गया है। हाई कोर्ट के इस फैसले के लिए खिलाफ प्रदेश के ही दो जिला जजों ने मोर्चा खोल दिया है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के अनुसार, हिमाचल प्रदेश के सोलन और बिलासपुर के जिला जज चिराग भानु सिंह और अरविन्द मल्होत्रा ने सुप्रीम कोर्ट से खुद को हाई कोर्ट का जज ना बनाए जाने की शिकायत की है। उन्होंने कहा है कि वह राज्य के सबसे वरिष्ठ जिला जज थे लेकिन उनकी जगह हाई कोर्ट के कोलेजियम ने दूसरे जूनियर लोगों को भर्ती कर लिया।
इन दोनों जजों ने आरोप लगाया है कि इस नियुक्ति के दौरान नियमों का पालन नहीं हुआ और सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों तक को नजरअंदाज कर दिया गया। इन दोनों जजों ने कहा कि उनका नाम चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ वाले सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम की तरफ से हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट को दिया गया था।
दोनों जजों ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि नाम की संस्तुति CJI चंद्रचूड़ के कोलेजियम के बाद देश के कानून मंत्रालय ने भी की थी। कानून मंत्रालय ने एक पत्र लिख कर हिमाचल प्रदेश के हाई कोर्ट कोलेजियम को मल्होत्रा और सिंह के नामों पर विचार करने के लिए कहा था।
दोनों जजों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए कहा है कि उनका नाम एक बार जुलाई 2023 और फिर जनवरी 2024 सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुझाया गया था। लेकिन इस सबके बावजूद हिमाचल हाई कोर्ट ने उनको प्रमोशन नहीं दिया। दोनों जजों ने आरोप लगाया कि उनके नाम को नजरअंदाज कर दिया गया।
मल्होत्रा और सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में दी गई याचिका में कहा है कि हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने उनकी जगह पर उनसे दो जूनियर लोगों को नियुक्त कर दिया जो कि अयोग्य हैं और उनके नामों को हटा दिया जबकि उनका ट्रैक रिकॉर्ड शानदार रहा है। दोनों जजों ने मेरिट की अनदेखी का आरोप हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट पर लगाया है।
दोनों जजों ने हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट द्वारा की गई नियुक्तियों पर रोक लगाने की माँग की है और कहा है कि सुप्रीम कोर्ट उनकी इस समस्या का समाधान निकाले। अब इस मामले पर CJI डी वाई चंद्रचूड़ के दखल के कयास लगाए जा रहे हैं।