Friday, May 16, 2025
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चना बेचने का वीडियो वायरल होने के बाद योगी सरकार ने 98 वर्षीय ‘आत्मनिर्भर’ बुजुर्ग को किया सम्मानित

सीएम योगी के निर्देश पर रायबरेली के जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने विजयपाल सिंह जी को अपने कार्यालय में आमंत्रित किया। जिलाधिकारी ने बाबा को 11 हजार रुपए नकद, शॉल, सहारे वाली लाठी और शौचालय का स्वीकृति पत्र और फूलों का गुलदस्ता प्रदान कर उन्हें सम्मानित किया।

उत्तर प्रदेश सरकार ने विजय पाल सिंह के नाम के 98 वर्षीय व्यक्ति को ‘आत्मनिर्भर’ होने के लिए सम्मानित किया। सोशल मीडिया पर इन दिनों एक बूढ़े बाबा की वीडियो काफी तेजी से वायरल हो रही है। वीडियो में दिखाई दे रहे बाबा उत्तर प्रदेश के रायबरेली के रहने वाले हैं और उनकी उम्र 98 साल है। हैरानी की बात ये है कि 98 की उम्र में भी ये बाबा आत्मनिर्भर हैं और अपनी दो वक्त की रोटी के लिए खुद मेहनत करते हैं। 

बाबा का नाम विजयपाल सिंह है, जो किसी मजबूरी की वजह से नहीं बल्कि अपनी मर्जी से गाँव के बाहर चने बेचते हैं। विजयपाल के पास चने खरीदने गए एक ग्राहक ने उनके साथ बातचीत करते हुए वीडियो बनाई, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई।

बाबा ने ग्राहक को बताया कि उनके दो बेटे हैं और दोनों अच्छा-खासा पैसा कमाते हैं। उन्होंने कहा कि वे बिल्कुल फिट हैं, लिहाजा वे परिवार के किसी भी सदस्य पर बोझ नहीं बनना चाहते हैं और अपने दम पर कुछ काम करके पैसा कमाना चाहते हैं। बाबा ने बताया कि उन्हें घर पर खाली बैठे रहना बिल्कुल पसंद नहीं है, यही वजह है कि वे गाँव के बाहर चने बेचते हैं। ग्राहक द्वारा बनाई गई बाबा की ये वीडियो सोशल मीडिया पर इस कदर वायरल हुई कि खुद सीएम ऑफिस ने इस मामले में संज्ञान लिया और डीएम को जरूरी निर्देश दिए।

सीएम योगी के निर्देश पर रायबरेली के जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने विजयपाल सिंह जी को अपने कार्यालय में आमंत्रित किया। जिलाधिकारी ने बाबा को 11 हजार रुपए नकद, शॉल, सहारे वाली लाठी और शौचालय का स्वीकृति पत्र और फूलों का गुलदस्ता प्रदान कर उन्हें सम्मानित किया। जिलाधिकारी वैभव ने अपने ट्विटर अकाउंट पर विजयपाल सिंह जी को सम्मानित करते हुए एक वीडियो भी शेयर की है। 

वैभव श्रीवास्तव ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा, ”विकास खण्ड हरचंदपुर, ग्राम पंचायत कण्डौरा निवासी 98 वर्षीय बुजुर्ग विजयपाल सिंह जी के सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो को संज्ञान में लेकर कार्यालय में आमंत्रित कर शॉल, छड़ी और 11 हजार रुपए नकद देकर सम्मानित किया और शौचालय का स्वीकृति पत्र प्रदान किया गया।”

उन्‍होंने कहा कि बाबा की जो भी अन्य मदद होगी, वो की जाएगी। बाबा हम सब के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। बाबा किसी मजबूरी में चने की दुकान नहीं लगाते हैं, बल्कि वो ऐसा इसलिए करते हैं कि आत्मनिर्भर बने रहें, जो एक अच्छा संदेश है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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