मुजफ्फरनगर के खतौली क्षेत्र में दिल्ली के शाहीन बाग से इस्लामनगर लौटे व्यक्ति की होम क्वारंटाइन के दौरान मौत के बाद उसके स्वजनों की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आ रही हैं। मृत व्यक्ति के भाई की कोरोना रिपार्ट भी रविवार को पॉजिटिव आई है, जबकि उसके परिवार के चार लोग पहले ही कोरोना पॉजिटिव मिल चुके हैं।
कोरोना संदिग्ध के जनाजे में शामिल लोगों की तलाश तेज
यानी कि अभी तक उसके परिवार से पाँच लोगों की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आ चुकी है। अब पुलिस उन लोगों की तलाश में जुट गई है, जिन्होंने लॉकडाउन का उल्लंघन करके मृतक के अंतिम संस्कार में भाग लिया था।
अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना संक्रमित शख्स 12 अप्रैल को लॉकडाउन के दौरान दिल्ली से इस्लामनगर स्थित अपने घर लौटा था। बताया जा रहा है कि दिल्ली में रहने के दौरान मृतक ने कई बार शाहीन बाग का दौरा किया था। यहाँ तबियत बिगड़ने पर उसे 13 अप्रैल को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र ले जाया गया था। 14 अप्रैल को उसकी मौत हो गई।
मृतक का नहीं हुआ था कोरोना टेस्ट
इसके बाद परिजन और रिश्तेदारों के अतिरिक्त आस पास के गाँव तक के लोगों ने उसके जनाजे में हिस्सा लिया। नजदीक के घर में उसके शव को नहलाया गया। इसके बाद कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया। बता दें कि उसका कोरोना टेस्ट नहीं हुआ था। प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग ने उसका सैंपल भी नहीं लिया था।
उसकी मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग ने उसके परिवार के सदस्यों के सैंपल लिए थे, जिनमें मृतक की माँ के अलावा दो साल का बेटा, 4 साल की बेटी और 10 साल की बहन भी कोरोना पॉजिटिव आ चुके हैं। रविवार को आई जाँच रिपोर्ट में मृतक का भाई भी कोरोना संक्रमित मिला है। इस रिपोर्ट से इस्लामनगर और पुलिस प्रशासन में भी हड़कंप मचा है। स्वास्थ्य विभाग ने संक्रमित पाए गए युवक को कोविड-19 अस्पताल बेगराजपुर मेडिकल कॉलेज भेज दिया है। फिलहाल मृतक की बीबी का सैंपल नहीं लिया गया है, क्योंकि वो रोजा रख रही है।
इस्लामनगर पहले से ही हॉटस्पॉट है। स्वास्थ विभाग करीब 150 लोगों के सैंपल लेकर जाँच के लिए भेज चुका है, जिनकी रिपोर्ट का इंतजार है। उधर, नए कोरोना संक्रमित मिलने के साथ ही जनपद में कोरोना पॉजिटिव की संख्या टोटल 23 हो गई है, जिनमें से चार मरीज कोरोना पर विजय पाकर स्वस्थ हो चुके हैं।
गौरतलब है कि सीएए विरोध के नाम पर दिल्ली के शाहीन बाग़ के प्रदर्शनकारी कई दिनों तक धरने पर बैठे हुए थे और लगातार नियम-क़ानून को धता बता रहे थे। उन्होंने कोरोना वायरस से बचाव व सावधानी को लेकर सरकार, डॉक्टरों व विशेषज्ञों की सलाहों को धता बताया था। किसी ने कहा था कि ये क़ुरान का वायरस है जो मजहब वालों को कुछ नहीं करेगा, तो किसी ने पूछा था कि क्या गारंटी है कि भीड़ न जुटाने से कोरोना वायरस नहीं होगा? 17 अप्रैल को वहाँ पर तीन कोरोना पॉजिटिव पाए गए। जिसके बाद 24 अप्रैल को बुल्डोजर चला कर धरनास्थल से तंबू हटा दिए गए।