उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के वाराणसी स्थित विवादित ढाँचे ‘ज्ञानवापी मस्जिद’ (Gyanvapi Mosque) में श्रृंगार गौरी की वीडियोग्राफी का आज (7 मई 2022) दूसरा दिन है। दोपहर तीन बजे कोर्ट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा वादियों और प्रतिवादियों के साथ ज्ञानवापी परिसर पहुँचेंगे। हालाँकि, उससे पहले मुस्लिम पक्ष ने अदालत में एक याचिका दायर कर कमिश्नर पर निष्पक्ष तरीके से काम नहीं करने का आरोप लगाया है। इसके साथ ही कमिश्नर को बदलने की माँग की गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, मुस्लिम पक्ष के वकील अभय नाथ यादव का कहना है कि कोर्ट ने मस्जिद के अंदर वीडियोग्राफी कराने का आदेश नहीं दिया। वीडियोग्राफी केवल बाहर के चबूतरे की होनी है। बहरहाल मामले पर दोपहर 2 बजे सुनवाई होगी। इस बीच सर्वे के पहले दिन जिस तरीके से मुस्लमों ने नारेबाजी की थी, उसे देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था को चाक चौबंद किया गया है। प्रशासन ने 1000 पुलिस और पीएसी के जवानों को एक किलोमीटर के दायरे में तैनात कर रखा है।
उल्लेखनीय है कि है कि मुस्लिम पक्ष के वकीलों ने आरोप लगाया था कि मस्जिद की दीवारों को अँगुली से कुरेदने की कोशिश की गई थी। अत: कोर्ट कमिश्नर को बदला जाए।
इस मामले पर AIMIM प्रमुख ओवैसी ने भी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने विवादित ढाँचे के सर्वे पर कहा कि ये फैसला एंटी मुस्लिम हिंसा का रास्ता खोलने वाला है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अदालत द्वारा सुप्रीम कोर्ट की खुलेआम अवहेलना की जा रही है। इस आदेश से कोर्ट 1980-1990 के दशक की रथ यात्रा के दौरान हुए खून-खराबे और मुस्लिम विरोधी हिंसा का रास्ता खोल रही है।”
This order to survey Kashi’s Gyanvapi Masjid* is open violation of 1991 Places of Worship Act, which prohibits conversion of religious places. SC in Ayodhya judgement had said the Act protects “secular features of Indian polity which is 1 of basic features of Constitution”1/2 https://t.co/ed5yyS9ieL
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) May 7, 2022
पहले दिन क्या हुआ
विवादित ढाँचे ‘ज्ञानवापी मस्जिद’ के सर्वे के पहले दिन काशी विश्वनाथ मंदिर के गेट नंबर-4 से सर्वे टीम के अंदर जाते वक्त जमकर अल्लाहु अकबर नारेबाजी की गई। वहीं दूसरी ओर हिंदू पक्ष ने भी हर-हर महादेव के नारे लगाए। बता दें कि ज्ञानवापी मस्जिद की देखरेख करने वाली अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी लगातार इस सर्वे का विरोध कर रही है। समिति के संयुक्त सचिव एसएम यासीन ने कहा था कि किसी को भी मस्जिद में प्रवेश की इजाजत नहीं होगी।
क्या है मामला
18 अगस्त 2021 को वाराणसी की पाँच महिलाओं ने श्रृंगार गौरी मंदिर में प्रतिदिन दर्शन करने की माँग समेत अन्य माँगों को लेकर वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में मुकदमा दायर किया था। अदालत ने याचिका को स्वीकार करते हुए मौके पर स्थिति जानने के लिए वकीलों का एक आयोग गठित करने का आदेश दिया था। लेकिन विवादित स्थल का निरीक्षण नहीं हो सका था।
वाराणसी सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक) जस्टिस रवि कुमार दिवाकर ने 18 अगस्त 2021 के अपने पहले के आदेश को दोहराते हुए 8 अप्रैल 2022 को कोर्ट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा को नियुक्त कर सर्वेक्षण और वीडियोग्राफी की कार्यवाही फिर से शुरू करने की अनुमति दी थी। अदालत ने सुनवाई के बाद याचिका को खारिज करते हुए अपने पहले के आदेश को जारी रखा और 10 मई से पहले ईद के बाद सर्वेक्षण और वीडियोग्राफी की कार्रवाई पर रिपोर्ट माँगी और सुनवाई की तारीख 10 मई भी तय की।