पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद हुई विभिन्न प्रकार की हिंसा की घटनाओं की जाँच के लिए केंद्र सरकार की ओर से बनाई गई चार सदस्यीय कमेटी ने शनिवार (मई 29, 2021) को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। सरकारी बयान के मुताबिक तथ्य उजागर करने वाली इस रिपोर्ट को शनिवार को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता मोनिका अरोड़ा के नेतृत्व वाले एक बुद्धिजीवियों और शिक्षकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने तथ्यों को उजागर करने वाली रिपोर्ट ‘2021 में बंगाल में खेला’ नामक शीर्षक की अपनी रिपोर्ट को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री को सौंपा। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बंगाल चुनाव के बाद हुई हिंसा को लेकर इस महीने की शुरुआत में राज्य सरकार से रिपोर्ट माँगी थी।
हिंसा का कारण जानने के लिए बनाई गई थी टीम
गृह मंत्रालय की इस चार सदस्यीय टीम को चुनाव के बाद हुई हिंसा के कारण जानने का काम सौंपा गया था। केंद्र ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ से बंगाल की कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर राज्य में 2 मई को आए चुनाव नतीजों को लेकर भड़की हिंसा को लेकर रिपोर्ट माँगी थी।
भारतीय जनता पार्टी का दावा है कि कई घटनाओं में उसके 6 कार्यकर्ताओं की जान गई है। भाजपा ने आरोप लगाया था कि टीएमसी समर्थक गुंडों ने उसके कई कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी और महिला कार्यकर्ताओं पर हमला किया, घरों में तोड़-फोड़ की और दुकानों को लूटा।
हालाँकि, इन आरोपों को दरकिनार करते हुए ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि ऐसी हिंसा की घटनाएँ उन्हीं इलाकों में हुई, जहाँ पर भाजपा के कार्यकर्ताओं ने विधानसभा चुनावों में भारी मतों से जीत हासिल की है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि चुनाव के बाद हुई हिंसा में उनके 16 कार्यकर्ताओं की मौत हुई है। टीम ने दक्षिण 24 परगना और उत्तर 24 परगना जिलों का दौरा किया और मारे गए लोगों के परिवारों और आस-पास के लोगों से बातचीत की।
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में 2 मई 2021 को चुनावी नतीजों में तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) की जीत सुनिश्चित होने के बाद हिंसा भड़क उठी थी। विपक्ष खास कर बीजेपी समर्थक इस दौरान निशाने पर थे। बीजेपी से जुड़े जिन लोगों की हत्या की गई उनमें अभिजीत सरकार और हारन अधिकारी भी शामिल थे। हिंसा की सीबीआई जाँच या विशेष जाँच दल (SIT) के गठन को लेकर इनके परिजनों की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल सरकार को नोटिस जारी किया था।
राज्य में कई जगहों पर हुई राजनीतिक हिंसा के बाद 146 सेवानिवृत्त अधिकारियों ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को पत्र लिखकर मामले में SIT गठित करने की माँग की थी। साथ ही राज्य में हुई इस व्यापक राजनीतिक हिंसा के मद्देनजर 2093 महिला वकीलों ने भी भारत के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन्ना को पत्र लिखकर मामले में संज्ञान लेने की अपील की थी।