Friday, April 26, 2024
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बंगाल: मतगणना के दिन BJP कार्यकर्ताओं की हुई हत्या की SIT/CBI जाँच की माँग, ममता सरकार को SC का नोटिस

याचिका में कहा गया है कि सरकार और प्रशासन की शह पर ही विपक्षी कार्यकर्ताओं के खिलाफ हिंसा हुई। इसलिए, सुप्रीम कोर्ट दोनों हत्याओं और हिंसा के दूसरे मामलों की जाँच सीबीआई को सौंपे या फिर इसके लिए विशेष जाँच दल (SIT) का गठन करे।

सुप्रीम कोर्ट ने एक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए मंगलवार (मई 18, 2021) को पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी किया है। याचिका में दो मई को चुनाव परिणाम वाले दिन टीएमसी सदस्यों द्वारा कथित तौर पर दो भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या के संबंध में SIT या CBI से जाँच कराने का निर्देश देने की माँग की गई है।

याचिका में कहा गया है कि सरकार और प्रशासन की शह पर ही विपक्षी कार्यकर्ताओं के खिलाफ हिंसा हुई। इसलिए, सुप्रीम कोर्ट दोनों हत्याओं और हिंसा के दूसरे मामलों की जाँच सीबीआई को सौंपे या फिर इसके लिए विशेष जाँच दल (SIT) का गठन करे।

जस्टिस विनीत शरण और जस्टिस वीआर गवई की पीठ ने मृतक भाजपा कार्यकर्ता अभिजीत सरकार के भाई विश्वजीत सरकार और हरेण अधिकारी की विधवा द्वारा दायर इस याचिका पर राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। पीठ ने इस मामले में केंद्र सरकार को भी याचिका की प्रति सौंपने के लिए कहा है। 

याचिका में कहा गया है, “भीड़ ने उनके गले में सीसीटीवी कैमरा का तार बाँध दिया, उनका गला घोंट दिया और उसे ईंटों और डंडों से पीटना शुरू कर दिया। उन्होंने उसका सिर फोड़ दिया और उनकी माँ के सामने उसे बेरहमी से मार डाला। उन्होंने अपने बेटे को अपनी आँखों के सामने कत्ल होते देख कर बेहोश हो गई और मौके पर ही गिर गई।”

बता दें कि 2 मई को जब पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के नतीजे आ रहे थे, तभी कोलकाता में बीजेपी के दो कार्यकर्ताओं अभिजीत सरकार और हरेण अधिकारी की हत्या कर दी गई थी। मामले में तृणमूल कॉन्ग्रेस के कार्यकर्ताओं के शामिल होने का आरोप है। अभिजीत सरकार ने अपनी हत्या से पहले फेसबुक लाइव पर अपनी जान को खतरे की बात भी बताई थी। आरोप है कि स्थानीय पुलिस ने तृणमूल कॉन्ग्रेस के कार्यकर्ताओं की तरफ से की जा रही हिंसा पर अपनी आँखें बंद रखी। जिसके चलते अभिजीत और हरेण की हत्या हो गई।

सुप्रीम कोर्ट में अभिजीत सरकार के भाई बिश्वजीत सरकार और हरेण अधिकारी की पत्नी स्वर्णलता अधिकारी ने याचिका दाखिल की है। दोनों की तरफ से वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने जस्टिस विनीत सरन और बी आर गवई की बेंच में दलीलें रखीं। जेठमलानी ने कहा कि सरकार और पुलिस ने हिंसा को बढ़ावा दिया। इन घटनाओं के प्रत्यक्षदर्शी गवाह भी मौजूद हैं। लेकिन जाँच में लीपापोती की जा रही है। 

इसलिए, यह जरूरी है कि इन घटनाओं की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में निष्पक्ष जाँच हो। याचिकाकर्ताओं के वकील ने आगे कहा, “अभिजीत सरकार का शव आज तक उनके परिवार को नहीं सौंपा गया है। हम यह भी माँग करते हैं कि शव का अभी दाह संस्कार न किया जाए। उसका पोस्टमार्टम हो और उसकी वीडियोग्राफी भी करवाई जाए।” 

जजों ने थोड़ी देर की सुनवाई के बाद याचिका पर नोटिस जारी कर दिया। याचिकाकर्ताओं ने पश्चिम बंगाल सरकार, राज्य के पुलिस महानिदेशक, केंद्र सरकार और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को प्रतिवादी बनाया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के वकील को यह निर्देश दिया कि वह याचिका की कॉपी प्रतिवादियों को सौंप दें, ताकि वह जवाब दे सकें। मामले पर मंगलवार (मई 25, 2021) को अगली सुनवाई होगी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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