Wednesday, November 13, 2024
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‘जब विराट कोहली ब्रांड एम्बेसडर हैं तो पत्नी को गुजारा भत्ता देना ही होगा’: कोर्ट ने नहीं मानी ‘कंपनी कंगाल’ वाली दलील

"ये असंभव है कि एक कंपनी जो काफी घाटे में चल रही हो (जैसा कि याचिकाकर्ता ने दावा किया है), वो इस स्थिति में हो कि इस स्तर के एक सेलिब्रिटी को अपने उत्पाद के प्रचार के लिए ला सके।"

दिल्ली (Delhi) के साकेत अदालत (Saket Court) ने एक व्यक्ति को अपनी पत्नी (Wife) को गुजरा-भत्ता के लिए रुपए देने का आदेश दिया, क्योंकि वो जिस कंपनी में काम करता है उसके ब्रांड एम्बेसडर विराट कोहली (Virat Kohli) हैं। उक्त व्यक्ति ने मेंटेनेंस (Maintenance) देने में सक्षम न होने की बात कहते हुए याचिका दायर की थी, जिसे अदालत ने रद्द कर दिया। उक्त व्यक्ति का कहना था कि उसके पास आय का स्रोत नहीं है। कोर्ट ने पाया कि वो जिस कंपनी में डायरेक्टर के पद पर था, उसके ब्रांड एम्बेसडर (Brand Ambassador) भारतीय टेस्ट क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली हैं।

दिल्ली की अदालत का मानना है कि ये दिखाता है कि उक्त व्यक्ति साधन संपन्न है। एडिशनल सेशन जज अनुज अग्रवाल इस मामले की सुनवाई कर रहे थे, जिसमें उस व्यक्ति ने अपनी पत्नी को 30,000 रुपए दिए मेंटेनेंस दिए जाने के खिलाफ याचिका दायर की थी। उक्त व्यक्ति का कहना है कि उसकी आय शून्य है और वो चैरिटी पर रह रहा है। लेकिन, कोर्ट ने पाया कि वो एक ऐसी कंपनी में कार्यरत है, जिसके द्वारा बनाए गए प्रोडक्ट्स को एकर क्रिकेटर प्रमोट करता है।

जज अनुज अग्रवाल ने कहा, “ये अदालत इस तथ्य का न्यायिक नोटिस ले सकती है कि उक्त ब्रांड के एम्बेसडर विराट कोहली हैं, जो भारतीय टेस्ट क्रिकेट टीम के कप्तान हैं। इसीलिए, ये असंभव है कि एक कंपनी जो काफी घाटे में चल रही हो (जैसा कि याचिकाकर्ता ने दावा किया है), वो इस स्थिति में हो कि इस स्तर के एक सेलिब्रिटी को अपने उत्पाद के प्रचार के लिए ला सके।” याचिकाकर्ता की पत्नी के वकील ने उक्त प्रोडक्ट के रैपर को कोर्ट में पेश किया था।

इसी कारण अदालत ने पाया कि उस व्यक्ति का एक बड़ा कारोबार है लेकिन वो अपनी अलग रह रही पत्नी को कानूनी मेंटेनेंस देने से बचने के लिए खुद को कंगाल दिखा रहा है। पत्नी ने घरेलू हिंसा का आरोप लगाते हुए कहा कि वो अलग रह रही हैं और उनके पास आय का कोई साधन नहीं है। ट्रायल कोर्ट ने पाया कि पति की आय 1 लाख रुपए प्रति महीने है। पति का कहना था कि महिला ने उसके कारोबार से काफी रुपए कमाए हैं और आय कमाने लायक वो शिक्षित है।

जबकि महिला का कहना है कि उसके पति की आय दसियों लाख में है। महिला ने आरोप लगाया कि खुद को कंगाल दिखाने के लिए उसके पति ने गड़बड़झाला किया है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में असली आय छिपाने का एक चलन रहा है। कोर्ट ने कहा कि ये मानने लायक नहीं है कि शादी और फिर खर्च चलाने में सक्षम व्यक्ति अचानक से कंगाल हो जाए। इसीलिए, 30,000 रुपए का अंतरिम मेंटेनेंस न दिया जाना अन्ययपूर्ण होगा। इसके बाद याचिका रद्द कर दी गई।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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