Saturday, November 2, 2024
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कर्नाटक में ASI की संपत्ति के भी पीछे पड़ा वक्फ बोर्ड, 53 ऐतिहासिक स्मारकों पर दावा: RTI से खुलासा, पहले किसानों की 1500 एकड़ जमीन को बता चुका है अपना

साल 1958 के प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल (AMASR) अधिनियम और नियमों के तहत ASI द्वारा संरक्षित संपत्ति को किसी अन्य को नहीं सौंपा जा सकता है।

कॉन्ग्रेस-शासित कर्नाटक में वक्फ बोर्ड ने राज्य के 53 ऐतिहासिक स्मारकों पर अपना दावा किया है, जिनमें से 43 स्मारक पहले ही उनके कब्जे में आ चुके हैं। ये स्मारक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अंतर्गत आते हैं और इनमें प्रसिद्ध गोल गुम्बज, इब्राहिम रौजा, बारा कमान और बीदर व कलबुर्गी के किले शामिल हैं। इन 53 स्मारकों में से 43 विजयपुरा में हैं, जो कभी आदिल शाही साम्राज्य की राजधानी था, इसके अलावा 6 हम्पी में और 4 बेंगलुरु सर्कल में मौजूद हैं।

वक्फ बोर्ड का दावा और दस्तावेजी सबूत

डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, विजयपुरा वक्फ बोर्ड ने इन 43 स्मारकों को 2005 में अपना घोषित कर दिया था, जब मोहम्मद मोहसिन स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग (मेडिकल एजुकेशन) के प्रधान सचिव थे। मोहसिन ने उस समय वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष और विजयपुरा के डिप्टी कमिश्नर का पद भी संभाला था। उनके मुताबिक, राजस्व विभाग ने सरकारी गजट अधिसूचना जारी कर वक्फ बोर्ड के दावे को मान्यता दी थी, जिसमें उन्होंने ‘प्रामाणिक दस्तावेजी सबूत’ पेश किए थे।

वक्फ बोर्ड कथित तौर पर संपत्ति के मालिकाना हक के प्रमाणपत्र का फायदा उठा रहा है, जबकि कानून के अनुसार एक बार ASI के पास किसी संपत्ति का अधिकार आ जाता है तो उसे वापस किसी अन्य के नाम नहीं किया जा सकता।

साल 1958 के प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल (AMASR) अधिनियम और नियमों के तहत ASI द्वारा संरक्षित संपत्ति को किसी अन्य को नहीं सौंपा जा सकता है। ASI के एक अधिकारी ने बताया कि यह कार्यवाही ASI की सहमति के बिना हुई है, जो कि नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है। 2012 में एक संयुक्त सर्वेक्षण के दौरान वक्फ बोर्ड अपने दावे के समर्थन में कोई ठोस प्रमाण पेश नहीं कर सका था, और ASI ने पुष्टि की थी कि इन स्मारकों पर कब्जा हो चुका है।

साल 2007 से चल रहे अवैध कब्जे

ASI के अधिकारी का कहना है कि विजयपुरा में 43 स्मारकों को बदलने और उनके साथ छेड़छाड़ करने के लिए उन पर प्लास्टर और सीमेंट का इस्तेमाल किया जा रहा है। इनमें पंखे, एसी, ट्यूबलाइट और टॉयलेट जैसी सुविधाएँ जोड़ी जा रही हैं। कुछ संपत्तियों पर दुकानें भी बनाई जा चुकी हैं, जो इन ऐतिहासिक स्थलों की स्थिति को खराब कर रही हैं और पर्यटकों के आकर्षण को भी प्रभावित कर रही हैं।

ASI ने लंबे समय से राज्य सरकार और केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय को इन कब्जों को हटाने के लिए निर्देश भेजे हैं। लेकिन 2007 से अब तक, केंद्र सरकार के निर्देशों के बावजूद कर्नाटक के चीफ सेक्रेटरी, विजयपुरा के डिप्टी कमिश्नर और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। इसीलिए स्मारकों पर अवैध कब्जे बने हुए हैं।

कर्नाटक के ऐतिहासिक स्मारकों पर वक्फ बोर्ड का दावा और कब्जा एक गंभीर मुद्दा बन चुका है, जिससे न केवल कानूनी सवाल खड़े हो रहे हैं बल्कि इनकी ऐतिहासिक विरासत भी खतरे में पड़ रही है। इस मुद्दे पर कॉन्ग्रेस सरकार और संबंधित विभागों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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