हिंदू संत और दिल्ली के द्वारका में इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (ISCON) सेंटर के उपाध्यक्ष अमोघ लीला दास का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें ईसाई मिशनरियों द्वारा लोगों का धर्मान्तरण के लिए इस्तेमाल की जाने वाली घटिया ट्रिक्स का मजाक उड़ाया है। उनका ये वीडियो इंटरनेट पर वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने ये स्पष्ट किया है कि इस्कॉन ईसाइयों की तरह हिंदुओं का धर्मान्तरण नहीं करवाता है।
ये वीडियो सबसे पहले Youtube चैनल ‘Citti Media’ ने अपलोड किया। इसमें लीला दास को विस्तार से ये बताते हुए देखा जा सकता है कि कैसे मिशनरी लोग मसीह की तरफ खींचने के लिए चमत्कारों का नाटक करते हैं। उन्होंने ईसाई मिशनरियों की एक्टिंग करते हुए बताया कि किस तरह से ईसाई मिशनरी रोगियों को ईसा मसीह की प्रतिमा या क्रॉस द्वारा छुआ कुछ जादुई पेय पिलाकर दैवीय शक्ति का नाटक करते हैं। आप देखते हैं कि वो जादुई चीज पीते ही मरीज पूरी तरह से स्वस्थ होकर नाचने लगता है। ‘यीशु मसीह का जादू देखें’- ईसाई मिशनरियों का ये ऐसा कार्य है, जो कि पूरे भारत में धर्मान्तरण सभाओं में आम है।
दास ने आगे कहा, “वे (मिशनरी) चमत्कार दिखाते हैं औऱ इसे अगले लेवल तक नाटकीय बनाते रहते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि लोग ईसाई धर्म को स्वीकार करें। इसके अलावा वे अस्पताल में इलाज, नौकरी या किसी का धर्मान्तरण होने पर पाँच हजार रुपए और लोगों के धर्मान्तरण के लिए इस तरह के सभी सस्ते तरीके अपनाते हैं।” इस तरह के मामलों में इस्कॉन की भूमिका को स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा, “हम आध्यात्मिक शिक्षा पर जोर देते हैं। हम सनातन धर्म में लोगों को शामिल करने के लिए मजबूर नहीं करते और ऐसे सस्ते हथकंडे भी नहीं अपनाते। हम उन्हें शिक्षित औऱ प्रेरित करते हैं औऱ हमारे पास उनके सभी सवालों के जवाब हैं।”
एक घटना का जिक्र करते हुए सनातनी संत ने एक ईसाई मिशनरी के अजीबोगरीब दावे का जिक्र किया। उन्होंने कहा, “मैं एक बार एक मिशनरी को यह कहते हुए सुन रहा था कि कोई भी हो अगर वो ईसा मसीह के अलावा आ रहा है तो वो शैतान से आ रहा है, जिसमें वे ‘हरे कृष्ण’ भी शामिल हैं, जिनके पास इस ग्रह पर सभी सवालों के जवाब हैं। एक तरह से वो हमारी तारीफ कर रहा था।” दास ने कहा, “हम इस तरह से कभी नहीं कहते। हम एक्सक्लूसिविस्ट नहीं बल्कि इनक्लूसिविस्ट हैं।”
गौरतलब है कि ईसाई मिशनरियों का खतरा जो ‘मूल निवासियों को एक धर्म के साथ सभ्य बनाने’ के इरादे से भारत में विवादास्पद मुद्दा बना हुआ है। पिछले साल 2021 में कोविड के बीच भारत में 1 लाख से अधिक लोगों का धर्मान्तरण करवाया था। 25 सालों में भारत में सामूहिक रूप से कई चर्च बने हैं।