Saturday, November 23, 2024
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बंगाल हिंसा के 1 साल बाद भी ‘TMC गुंडे’ देते हैं ‘खेला होबे’ की धमकी: पीड़ित डर से जंगल में रहने को मजबूर

बंगाल हिंसा के एक वर्ष पूरे होने पर ऑपइंडिया ने पीड़ितों से जानना चाहा कि अब वहाँ का क्या हाल है। इसी क्रम में पता चला कि लोगों में टीएमसी के गुंडों का डर अब भी बना हुआ है। कहीं कोई अपनों के लिए न्याय की आस लिए बैठा है तो कहीं पर कोई घर छोड़ कर जंगल में सोता है।

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव 2021 के (Post Poll Violence West Bengal) नतीजे घोषित होने के बाद से बड़े पैमाने पर राजनीतिक हिंसा हुई। पिछले साल 2 मई को चुनाव के नतीजे घोषित होते ही टीएमसी के गुंडों ने राज्य के अलग-अलग इलाके में हिंसा, आगजनी और तोड़फोड़ की। यही नहीं टीएमसी के कार्यकर्ताओं ने बीजेपी और उनके समर्थकों पर हमले किए और उनकी हत्याएँ कीं। इसके डर से कई लोग अपनी जान बचाने के लिए प्रदेश छोड़कर चले गए, जो इस हिंसा के एक साल बाद भी अपने घरों को नहीं लौट पाए। तृणमूल कॉन्ग्रेस (टीएमसी) के गुंडों पर जीत का नशा इस कदर छाया हुआ था कि उनमें लेशमात्र भी कानून का खौफ नहीं दिखा। उन्होंंने सबसे अधिक भाजपा समर्थकों और कार्यकर्ताओं को अपना निशाना बनाया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, विधानसभा चुनावों में टीएमसी (TMC) की जीत के बाद हुई हिंसा में लगभग एक दर्जन से अधिक भाजपा कार्यकर्ताओं ने अपनी जान गँवाई थी।

ऑपइंडिया ने एक साल बाद हिंसा में मारे गए लोगों के परिवार वालों से यह जानने के लिए संपर्क किया कि अब वे किन परिस्थितियों में हैं और राज्य में हिंसा के बाद कोई बदलाव आया है या नहीं। पीड़ितों ने हमसे अपने कड़वे अनुभव साझा किए हैं। उनका दावा है कि पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा राजनीति से प्रेरित थी। लोगों और उनके परिवारों की आप बीती सुनकर यह साफ हो गया है कि इन लोगों ने पश्चिम बंगाल में कितनी पीड़ा झेली है और वर्तमान में भी वह जिल्लत भरी जिंदगी जीने को मजबूर हैं। आज हम आपको कुछ ऐसे ही पीड़ितों बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने हमसे अपनी पीड़ा व्यक्त की है।

जॉय प्रकाश यादव की पत्नी संगीता यादव

ऑपइंडिया की टीम जॉय प्रकाश यादव की पत्नी संगीता यादव से मिली, जिनकी 6 जून, 2021 को टीएमसी के गुडों ने एक क्रूड बम से हत्या कर दी थी। परिवार ने इसके लिए राज्य की सत्ताधारी पार्टी TMC को जिम्मेदार ठहराया है। 28 वर्षीय जॉय प्रकाश यादव भाजपा समर्थक थे। उनकी पत्नी संगीता ने हमसे बताया, “घटना के वक्त मैं घर पर नहीं थी, क्योंकि चुनाव के बाद जारी राजनीतिक हिंसा से वह (पति) काफी डर गए थे, जिसके चलते उन्होंने मुझे और बच्चों को मेरे मायके में छोड़ दिया था।” उन्होंने बताया कि बंगाल में भाजपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ हो रही हिंसा को लेकर हम कई दिनों तक डरे सहमे हुए थे।

जॉय प्रकाश यादव 

संगीता के अनुसार, उन्होंने (टीएमसी के गुड़ों) उसके पति के चेहरे पर बम फेंका। जिसकी वजह से उनके पति की मौके पर ही मौत हो गई थी। उस वक्त उनका बेटा भी वही मौजूद था। इस हमले में उनकी सास को भी चोटें आई थीं।

संगीता यादव अपनी बेटी के साथ।

संगीता ने यह भी कहा कि उन्हें अभी भी जान से मारने की धमकी मिलती है। कहा जाता है- “तुम इस केस को छोड़ दो, नहीं तो तुम्हारे परिवार वालों को मार दिया जाएगा।” मुख्य आरोपित चंदन सिंह और लल्लन सिंह को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है। उन्होंने कहा, “हमें उम्मीद है कि यह मामला केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI) को सौंपे जाने के बाद हमें न्याय मिलेगा।”

कुश खेत्रपाल के भाई श्रीकांत खेत्रपाल

श्रीकांत खेत्रपाल कुश खेत्रपाल के भाई हैं। पश्चिम बंगाल में टीएमसी के गुंडों ने कुश खेत्रपाल को भी मार डाला था। कुश 5 मई 2021 को लापता हो गया था, जिसके कुछ दिनों बाद उसका शव मिला था। श्रीकांत ने बताया कि कैसे उनके 26 वर्षीय भाई कुश खेत्रपाल को बीजेपी से जुड़े होने की वजह से टीएमसी के गुंडों ने उनकी हत्या कर दी थी।

श्रीकांत खेत्रपाल

श्रीकांत ने कहा, “कुश एक होटल में काम करता था। कानन खेत्रपाल, सुकुमार खेत्रपाल और दिलीप खेत्रपा, जो टीएमसी के लोग थे, वे उससे अक्सर संपर्क करते थे। उन्होंने कई बार मेरे भाई को टीएमसी के लिए काम करने को कहा था। उन्होंने कुश को टीएमसी में शामिल नहीं होने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी भी दी थी। चुनाव में टीएमसी की जीत के बाद 6 मई को उनके भाई को वे लोग जबरन अपने साथ ले गए थे। कुश का शव दो दिन बाद यानी 8 मई 2021 को शाम 5 बजे बैष्टम तालाब के पास मिला था। शरीर पर चोट के निशान भी थे और उसके सिर को धारदार ​हथियार से चीरा हुआ था।”

अभिजीत सरकार के भाई बिस्वजीत सरकार

ऑपइंडिया ने अभिजीत सरकार के भाई बिस्वजीत सरकार का इंटरव्यू लिया, जिनकी 2 मई, 2021 को टीएमसी के सैकड़ों गुंडों ने मिलकर हत्या कर दी थी। भाजपा कार्यकर्ता अभिजीत सरकार ने 2 मई को फेसबुक लाइव के माध्यम से TMC के गुंडों की हरकतों के बारे में बताया था। उसके कुछ ही देर बाद ही उनकी हत्या कर दी गई थी।

अभिजीत सरकार का एनजीओ।

बिस्वजीत ने बताया, “2 मई की सुबह टीएमसी कार्यकर्ता हमारे कार्यालय पहुँचे। उन्होंने हमारे कार्यालय, एनजीओ और मंदिर को चारों तरफ से घेर लिया और उस पर बम फेंकना शुरू कर दिया। उन्होंने मंदिर का मुख्य द्वार भी तोड़ दिया और दान पेटी भी लूट ली। इसके अलावा उन्होंने आसपास के सभी सीसीटीवी कैमरों को तोड़ दिया और जैसे ही हम भागने के लिए दौड़े, उन्होंने मुझे और मेरी माँ को घसीटा।” उन्होंने आगे कहा कि उनमें से कुछ गुंडे उन्हें और उनकी माँ को मार रहे थे। कुछ उनके भाई को पीट रहे थे, तभी एक गुंडे ने बड़े पत्थर सा लेकर उनके भाई का सिर कुचल दिया, जिससे उनकी आँखों के सामने ही अभिजीत की मृत्यु हो गई।

बिस्वजीत सरकार

बिस्वजीत ने यह भी बताया, “वे लोग अभी भी मुझे जान से मारने की धमकी दे रहे हैं। जब भी मैं अपने भाई की हत्या के बारे में बोलता हूँ, वे मेरी माँ को यह कहते हुए धमकाते हैं कि मेरे साथ भी ‘खेला होबे’ होगा। वे ​कहते हैं कि हम किसी से नहीं डरते।” बिस्वजीत ने गुस्से से कहा, “ममता बनर्जी ने मेरे भाई को मार डाला। सब कुछ उसके कहने पर हो रहा था।”

चंदना हलदर के पति गौतम हलदर

गौतम हलदर चंदना हलदर के पति हैं, जिन्हें पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले में 2 जुलाई को टीएमसी के गुंडों ने पीट-पीट कर मार डाला था। ऑपइंडिया से बात करते हुए गौतम ने कहा कि वह और उनकी पत्नी के भाई भाजपा कार्यकर्ता थे। गौतम ने बताया कि 2 जुलाई को, जब उनके चचेरे भाई स्वरूप हलदर घर वापस आ रहे थे, टीएमसी के गुंडों ने उन पर हमला किया और उन्हें तब तक पीटा जब तक कि वह बेहोश नहीं हो गए।

उन्होंने बताया, “अपने चचेरे भाई की पिटाई की खबर मिलते ही मैं और मेरी पत्नी उसे देखने के लिए अस्पताल पहुँचे, लेकिन जैसे ही हम वहाँ पहुँचे गुंडों ने वापस आकर हम पर हमला कर दिया। उन लोगों ने हमें बेरहमी से पीटा। मैं और मेरी पत्नी भागने लगे तो गुंडों ने हमारा पीछा किया और रास्ते में उन्हें जो सामान मिलता उसे फेंककर हमें मारा। हमें समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें। गुंडों के जाने के बाद मैं अपनी घायल पत्नी को पास के अस्पताल में ले गया जहाँ उसे मृत घोषित कर दिया गया।”

रामप्रसाद बरई के बेटे रंजीत बरई

70 साल से ज्यादा उम्र के रामप्रसाद बरई की जनवरी 2021 में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। रामप्रसाद के चार बेटों में से एक रंजीत बरई ने हमें बताया कि वे पश्चिम बंगाल के कूचबिहार जिले के दिनहाटा सब डिवीजन के निवासी हैं। रंजीत ने कहा, “हमारे बीमार पिता को पुलिस 13 दिसंबर, 2020 की रात गैरकानूनी तरीके से अपने साथ ले गई थी। उन पर कोई मामला भी दर्ज नहीं था। पुलिस ने हमें उनसे मिलने तक नहीं दिया। हमें कई दिनों तक यह भी पता नहीं चला कि वह किस हालत में हैं।” उन्होंने बताया कि पुलिस 12 जनवरी, 2021 को उन्हें (रामप्रसाद) को जबरदस्ती अस्पताल ले गई और अगले दिन यानी 13 जनवरी को फोन करके हमें बताया कि रामप्रसाद की मृत्यु हो गई है। उसका शव लेने के लिए आ जाओ। रंजीत ने गुस्से में कहा, “हमें तो यह भी नहीं पता कि उनके साथ क्या हुआ था। मेरे पिता शिव भक्त थे। उन्होंने कहा कि कूचबिहार जिले की हालत बहुत खराब है।

रामप्रसाद बरई

रंजीत ने आरोप लगाया कि उनके पिता की मौत के पीछे सीताई विधानसभा के विधायक जगदीश चंद्र बर्मा का हाथ है। उन्होंने कहा, “विधायक ने हमें पुलिस के पास नहीं जाने की धमकी दी थी। पुलिस और विधायक एक दूसरे से मिले हुए थे। हमें अभी भी उनसे जान से मारने की धमकी मिलती है।”

रामप्रसाद बरई के चार पुत्र।

रंजीत ने भयभीत होते हुए कहा कि वह टीएमसी के गुंडों और पुलिस के डर से जंगल में सोते हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि ये लोग उनकी भी हत्या कर देंगे।

रामचंद्र बरई की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट

गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में टीएमसी के गुंडों द्वारा राजनीतिक हिंसा कोई नई बात नहीं है। टीएमसी के गुंडों ने न केवल 2021 के विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद, बल्कि 2019 के आम चुनाव से पहले और उसके दौरान भी भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं पर हमला किया था। टीएमसी के नेतृत्व में पश्चिम बंगाल में पेट्रोल बम फेंकना, लोगों पर हमला करना और यहाँ तक कि हत्याएँ करना भी आम बात हो गई है। चुनाव के बाद की हिंसा के एक साल बाद भी कई भाजपा कार्यकर्ता और उनके परिवार वाले अपने घरों में सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं।

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