पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में महिलाओं के साथ शोषण की एक से बढ़कर एक घटनाओं का खुलासा हो रहा है। इन सबमें सत्ताधारी तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) का नेता शाहजहाँ शेख शामिल है। शाहजहाँ शेख मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का भी करीबी बताया जाता है। अब पता चला है कि वह इलाके में मनरेगा मजदूरों के पैसे भी छिन लिया करता था। इतना ही नहीं, पार्टी के खिलाफ वोट करने पर उन्हें प्रताड़ित भी करता था।
शाहजहाँ शेख पर संदेशखाली की महिलाओं ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। महिलाओं का कहना है कि पार्टी बैठक के नाम पर शाहजहाँ शेख और उसके गुर्गे सभी लोगों को बुलाते थे और बाद में मर्दों को घर भेज दिया जाता था, महिलाओं को रख लिया जाता था और उनके साथ गलत हरकतें की जाती थीं। 18-40 साल तक की उम्र की महिलाओं को शिकार बनाया जाता था।
वहीं, शाहजहाँ शेख और उसके गुर्गों पर लोगों की जमीन पर अवैध कब्जा करने का भी आरोप है। शाहजहाँ शेख पश्चिम बंगाल के राशन घोटाले का भी आरोपित है। इसी सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उसके घर पर छापेमारी की थी। हालाँकि, इस दौरान अधिकारियों और सुरक्षाकर्मियों पर हमला कर दिया गया था।
संदेखाली में शाहजहाँ के जुल्मों की शिकार अधिकांश महिलाएँ अनुसूचित जनजाति समुदाय की हैं। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) भी घटनास्थल पर गया है। वहाँ आयोग को पता चला कि शाहजहाँ और उसके गुर्गे गरीब जनजातीय परिवारों से उनकी मनरेगा मजदूरी जबरन छीन लेते थे। अगर किसी के पास पैसे नहीं बचे होते तो उन्हें उधार लेकर देने के लिए धमकाया जाता था।
शिकायतकर्ताओं ने राष्ट्रीय जनजाति आयोग के उपाध्यक्ष अनंत नायक के नेतृत्व में गई तीन सदस्यीय टीम को बताया कि शाहजहाँ शेख और उसके गुर्गों पर पश्चिम बंगाल पुलिस का हाथ है। वहीं, नायक ने कहा कि पैनल को शाहजहाँ और उसके सहयोगियों द्वारा आदिवासी महिलाओं के यौन उत्पीड़न और जमीन हड़पने की 50 से अधिक शिकायतें मिलीं।
नायक ने कहा कि शिकायतकर्ताओं ने जाँच टीम को बताया कि आरोपित और उसके सहयोगियों ने चुनाव में दूसरी पार्टियों को वोट देने वाले लोगों को प्रताड़ित किया था। इसके अलावा, शाहजहाँ और उसके सहयोगी स्थानीय महिलाओं को देर रात बैठकों के लिए आने के लिए कहते थे और जो लोग उनकी माँगें नहीं मानते थे, उनके परिवार के सदस्यों को प्रताड़ित करते थे।
ये सिर्फ संदेशखाली का हाल नहीं है। यहाँ विधानसभा और लोकसभा चुनावों के बाद बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी। इस हिंसा में बड़े पैमाने पर हिंदू समुदाय के लोगों को निशाना बनाया गया था। उन आरोप लगाया गया कि उन्होंने सत्ताधारी पार्टी को छोड़कर भाजपा को वोट दिया। इसलिए उनके घरों को जला दिया गया था। इसको लेकर राजनीतिक हिंसा भी फैली थी।
बात सिर्फ यहीं तक नहीं है। बंगाल में लड़कियों का अपहरण और रेप एवं हत्या की घटनाएँ जैसे आम सी हो गई हैं। आए दिन कहीं ना कहीं से नाबालिग लड़कियों तक की रेप के बाद हत्या की घटनाएँ सामने आती रहती हैं। अब मालदा जिले में नौवीं कक्षा की एक लड़की की अधनंगी लाश मिली है। पहचान मिटाने के लिए उसके सिर को कुचल दिया गया है। परिजनों का आरोप है कि रेप के बाद हत्या की गई है।
जनजातीय समुदाय से ताल्लुक रखने वाली यह लड़की गुरुवार (22 फरवरी 2024) से लापता थी। उसका शव शुक्रवार (23 फरवरी) को मालदा के एक ईंट भट्टे से बरामद किया गया। जानकारी के मुताबिक, मृतक के चेहरे को कुचल दिया गया था। पीड़ित परिवार का आरोप है कि नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार किया गया और फिर उसकी हत्या कर दी गई।
इससे पहले 15 फरवरी 2024 को मालदा के ही मोथाबारी इलाके में 25 साल की एक महिला का अर्धनग्न शव मक्के के एक खेत में मिला था। पीड़िता की पहचान कल्पना मंडल के रूप में हुई थी। वह सरस्वती पूजा (14 फरवरी) की शाम को लापता हो गई थी। परिजनों ने कहा था कि मृतक के साथ बलात्कार के बाद बेरहमी से उसकी हत्या कर दी गई। परिजनों का दावा है कि मृतक के शरीर पर हमले के निशान और चाकू के कई घाव थे।