अयोध्या ममले की सुनवाई करते करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने साफ़-साफ़ कहा कि अगर श्रद्धालुओं की आस्था है कि यहाँ जन्मस्थान है तो इस पर सवाल नहीं उठाए जा सकते। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर ऐसी आस्था या विश्वास है कि वहाँ राम जन्मस्थान है तो इसे स्वीकार करना पड़ेगा। साथ ही कोर्ट ने मुस्लिम पक्षकार राजीव धवन को अपने ध्यान इस पर केंद्रित करने को कहा कि आख़िर राम जन्मस्थान को ‘न्यायिक व्यक्ति’ क्यों नहीं माना जा सकता? जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने हिन्दू पक्ष की इस दलील पर धवन से जवाब माँगा।
उन्होंने राजीव धवन से उन सारे पहलुओं को स्पष्ट करने को कहा, जिसके आधार पर राम जन्मस्थान को न्यायिक व्यक्ति नहीं माना जाना चाहिए। राजीव धवन ने कोर्ट में दावा किया था कि हिन्दुओं द्वारा प्राचीन काल से राम जन्मस्थान में आस्था होने के कोई सबूत नहीं हैं। मुस्लिम पक्ष ने दावा किया कि बाबरी मस्जिद में 1934 से लेकर 1949 तक नियमित नमाज़ पढ़ी जाती थी। मुस्लिम पक्ष ने कहा कि इस फैक्ट को काटने के लिए किसी प्रकार का सबूत नहीं है।
मुस्लिम पक्ष की तरफ़ से वरिष्ठ वकील जफरयाब जिलानी भी पेश हुए। उन्होंने दलीलें रखते हुए कहा कि बाबरी मस्जिद में जुमे के दिन अधिक लोग नमाज़ पढ़ने आते थे लेकिन प्रतिदिन मुस्लिम लोग यहाँ नमाज़ पढ़ने आया करते थे। वहीं राजीव धवन ने कहा कि स्कन्द पुराण और विदेशी तीर्थयात्रियों के अनुभवों के आधार पर इसे राम जन्मस्थान नहीं ठहराया जा सकता। हिन्दू पक्ष की पैरवी कर रहे वकील के पराशरण ने जन्मस्थान को न्यायिक व्यक्ति मानने और वैसे ही अधिकार देने की बात कह केस का रुख मोड़ दिया था।
के पराशरण को सुप्रीम कोर्ट के कई जज भारतीय न्याय व्यवस्था का भीष्म पितामह कहते रहे हैं। अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट में स्कन्द पुराण का जिक्र, राम जन्मस्थान को न्यायिक व्यक्ति मानना और घुमक्कड़ों के यात्रा वृत्तांतों को आधार बनाना जैसे दलीलों के कारण हिन्दू पक्ष अपनी मजबूत उपस्थिति रख रहा है। मुस्लिम पक्ष ने अपना सारा ध्यान ये साबित करने में लगाया कि वहाँ नमाज़ होता था कहा कि नमाज़ के लिए इमाम की नियुक्ति होती थी, जिसके कागज़ात अभी भी मौजूद हैं।
The #SupremeCourt on Friday asked the Muslim parties why the ‘janmsthan’ or birth place of Lord Ram cannot have legal rights like a “juristic person” to seek title of the property.#AyodhyaCase #ayodhyalanddisputecase #Rammandir #BabriMasjid https://t.co/KBukV3pFR8
— OneIndia (@Oneindia) September 14, 2019
राजीव धवन ने अदालत में दावा किया कि पहले हिंदू बाहर के अहाते में पूजा करते थे, लेकिन दिसंबर 22-23, 1949 की रात रामलला की मूर्ति को अवैध तरीके से मस्जिद के अंदर शिफ्ट कर दिया गया।