Friday, April 19, 2024
Homeदेश-समाज'वेश्या' कहे जाने पर पति की हत्या 'मर्डर' नहीं: SC का फ़ैसला

‘वेश्या’ कहे जाने पर पति की हत्या ‘मर्डर’ नहीं: SC का फ़ैसला

अदालत ने यह भी कहा कि हमारे समाज में कोई भी महिला अपने लिए या ख़ास तौर पर अपनी बेटी के लिए ऐसे शब्दों (वेश्या) को बर्दाश्त नहीं करेगी। कोर्ट ने इसे एक भड़काने वाला मामला बताया।

तमिलनाडु के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय ने सबका ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया है। दरअसल, यह निर्णय तमिलनाडु की एक घटना से जुड़ा है। एक महिला द्वारा अपने प्रेमी के साथ मिल कर पति की हत्या करने को सुप्रीम कोर्ट ने ‘मर्डर’ मानने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने दोनों को मिली उम्रकैद की सज़ा भी रद्द कर दी और इसे ‘ग़ैर इरादतन हत्या’ की श्रेणी में रखा। ट्रायल कोर्ट और मद्रास हाई कोर्ट- दोनों ने ही महिला और उसके प्रेमी को हत्या का दोषी मानते हुए उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने कम कर दिया।

आरोपित महिला का उसके पड़ोसी के साथ विवाहेतर सम्बन्ध थे। घटना के दिन उसके पति ने महिला और अपनी बेटी के लिए ‘वेश्या’ शब्द का प्रयोग किया। बढ़ते वाद-विवाद के बाद महिला के प्रेमी ने महिला का पक्ष लेते हुए दख़ल दिया, जिसके कारण पति का गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया। प्रेमी ने महिला के पति को थप्पड़ जड़ा और आरोपित महिला के साथ मिल कर पति का गला भी दबाया।

दोनों ने मिलकर पति की हत्या कर दी और उसके शव को अपने एक मित्र की गाड़ी में छिपा दिया। लाश को 40 दिन बाद बरामद किया जा सका। महिला ने गाँव के ही एक शिक्षक को घटना की जानकारी देते हुए अपना दोष स्वीकार किया। ट्रायल कोर्ट और मद्रास हाई ने महिला और उसके प्रेमी को उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई।

हाई कोर्ट के निर्णय के ख़िलाफ़ दाख़िल की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस मोहन एम शांतानागोदर और दिनेश माहेश्वरी ने कहा:

“अश्लील भाषा की वजह से महिला को एकदम से गुस्सा आ गया और महिला ने अपना नियंत्रण खो दिया और मात्र कुछ ही मिनटों में पति की हत्या कर दी गई। मृत पति ने पत्नी को वेश्या कहकर उकसाया था।”

अदालत ने यह भी कहा कि हमारे समाज में कोई भी महिला अपने लिए या ख़ास तौर पर अपनी बेटी के लिए ऐसे शब्दों को बर्दाश्त नहीं करेगी। कोर्ट ने इसे एक भड़काने वाला मामला बताया। कोर्ट ने दोनों को मिली उम्रकैद की सज़ा को 10 वर्ष की सज़ा में तब्दील कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यह ‘एकाएक उकसाए जाने (Sudden Provocation)’ का मामला है।

2007 में भी केरल की एक घटना पर निर्णय देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यही कारण देते हुए एक दुकानदार की सज़ा कम कर दी थी। यह घटना 1998 की थी। एक कूड़ा उठाने वाले ने आरोपित व्यक्ति की दुकान में कूड़ा फेंक दिया था, जिसके कारण दुकानदार ने उसकी हत्या कर दी थी। अदालत ने उस मामले में कहा था कि आरोपित दुकानदार ने ‘स्वयं पर नियंत्रण खोने’ के कारण ऐसा किया।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण में 21 राज्य-केंद्रशासित प्रदेशों के 102 सीटों पर मतदान: 8 केंद्रीय मंत्री, 2 Ex CM और एक पूर्व...

लोकसभा चुनाव 2024 में शुक्रवार (19 अप्रैल 2024) को पहले चरण के लिए 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 102 संसदीय सीटों पर मतदान होगा।

‘केरल में मॉक ड्रिल के दौरान EVM में सारे वोट BJP को जा रहे थे’: सुप्रीम कोर्ट में प्रशांत भूषण का दावा, चुनाव आयोग...

चुनाव आयोग के आधिकारी ने कोर्ट को बताया कि कासरगोड में ईवीएम में अनियमितता की खबरें गलत और आधारहीन हैं।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe