आज रविवार को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर देश की 7 महिलाओं ने पीएम मोदी के ट्विटर अकाउंट के जरिए अपनी कहानियों को देश के लोगों तक पहुँचा उन्हें प्रेरित करने का काम किया। पिछले हफ्ते एक अस्पष्ट से ट्वीट में मोदी ने सोशल मीडिया एकाउंट्स को त्यागने की बात कही थी, जिसके बाद तरह तरह की अटकलों का बाजार गर्म था। लेकिन एक दिन बाद पीएम मोदी ने अपनी मंशा साफ़ करते हुए बताया था कि उनका इरादा 8 मार्च को एक दिन के लिए अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर अपने सोशल मीडिया अकाउंट को उन महिला अचीवर्स के सुपुर्द करने का है, जिनकी कहानियाँ हमें प्रेरित करती हैं।
आज सुबह देश की महिलाओं को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएँ देते हुए उन्होंने कहा कि जैसा मैंने कुछ दिन पहले कहा था, आज मेरा सोशल अकाउंट 7 महिलाओं के पास रहेगा, जो अपनी प्रेरणादायक कहानियाँ साझा करेंगीं और शायद आपसे मेरे सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए संवाद भी स्थापित करेंगी।
जिन 7 महिलाओं को आज पीएम मोदी के सोशल मीडिया अकाउंट संचालित करने का मौका मिला, वो सभी अलग अलग क्षेत्रों से संबंध रखती हैं। इनमें जल संरक्षण से लेकर दिव्यांग जनों के लिए काम करने वाली स्त्रियाँ भी शामिल हैं। मोदी ने इन सातों महिलाओं का एक संक्षिप्त वीडियो अपने ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम अकाउंट से साझा किया।
ये रहीं वे 7 स्त्रियां जिन्होंने आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर पीएम मोदी के ट्विटर अकाउंट का संचालन किया:
स्नेहा मोहनदास
पीएम मोदी का ट्विटर अकाउंट संचालित करने वाली पहली महिला एचीवर आज चेन्नई की स्नेहा मोहनदास रहीं जिन्होंने ‘फूडबैंक’ नामक संगठन की स्थापना की है। जो बेघरबार लोगों तक भोजन पहुँचाने का काम करता है। स्नेहा मोहनदास ने अपनी इस यात्रा को साझा करते हुए लोगों से भूखों की मदद कर भूखविहीन ग्रह के निर्माण में सहयोग करने की अपील की। उन्होंने अपनी इस प्रेरक जीवन यात्रा के पीछे अपनी माँ के योगदान को याद किया जिन्होंने उनमें भूखों को खाना खिलाने की आदत विकसित की थी।
You heard of food for thought. Now, it is time for action and a better future for our poor.
— Narendra Modi (@narendramodi) March 8, 2020
Hello, I am @snehamohandoss. Inspired by my mother, who instilled the habit of feeding the homeless, I started this initiative called Foodbank India. #SheInspiresUs pic.twitter.com/yHBb3ZaI8n
मालविका अय्यर
पीएम मोदी का ट्विटर अकाउंट उपयोग कर अपनी कहानी देश के साथ साझा करने वाली दूसरी महिला मालविका अय्यर थीं, जिन्होंने 13 साल की उम्र में भयानक बम ब्लास्ट में अपने हाथों को खो दिया था। बम ब्लास्ट में अपने हाथ गँवाने और पैरों का काफी नुक्सान देखने के बाद भी मालविका ने अपनी हिम्मत और मानसिक मजबूती के दम पर पीएचडी पूरी करने में सफलता प्राप्त की। मालविका ने पीएम मोदी के ट्विटर अकाउंट के जरिए देश के युवाओं से दिव्यांगों और दिव्यांगता के प्रति अपने दृष्टिकोण में सुधार लाने की अपील की।
Acceptance is the greatest reward we can give to ourselves. We can’t control our lives but we surely can control our attitude towards life. At the end of the day, it is how we survive our challenges that matters most.
— Narendra Modi (@narendramodi) March 8, 2020
Know more about me and my work- @MalvikaIyer #SheInspiresUs pic.twitter.com/T3RrBea7T9
आरिफा
तीसरी महिला आरिफा हैं, जिन्होंने कश्मीर में महिला कारीगरों की जिंदगी बदलने का काम किया है। आरिफा कश्मीर की पारम्परिक नमदा बुनकर हैं। नमदा बुनकर ऊन के कार्पेट बनाती हैं। कश्मीर की इस लुप्त होती कला को आरिफा ने नया जीवन दिया है।
I always dreamt of reviving the traditional crafts of Kashmir because this is a means to empower local women.
— Narendra Modi (@narendramodi) March 8, 2020
I saw the condition of women artisans and so I began working to revise Namda craft.
I am Arifa from Kashmir and here is my life journey. #SheInspiresUs pic.twitter.com/hT7p7p5mhg
कल्पना
कल्पना हैदराबाद की हैं जो आर्किटेक्ट हैं। ये रेन वाटर हार्वेस्टिंग के क्षेत्र में काम कर रहीं हैं। उन्होंने कहा कि हमें आने वाली पीढ़ियों के लिए जल संरक्षण करने की जरूरत है। इसके लिए हमें जल के पुनर्चक्रण, झीलों को बचाना, वर्षा जल का संचयन आदि आदि के विषय में जागरूकता पैदा करनी होगी।
Be a warrior but of a different kind!
— Narendra Modi (@narendramodi) March 8, 2020
Be a water warrior.
Have you ever thought about water scarcity? Each one of us can collectively act to create a water secure future for our children
Here is how I am doing my bit. @kalpana_designs pic.twitter.com/wgQLqmdEEC
विजया पवार
महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाके से आने वालीं विजया पवार ने बंजारा समुदाय की गोरमाटी कला और हस्तशिल्प पर अपनी बात रखी।
You have heard about handicrafts from different parts of India. My fellow Indians, I present to you handicrafts of the Banjara community in rural Maharashtra. I have been working on this for the last 2 decades and have been assisted by a thousand more women- Vijaya Pawar pic.twitter.com/A3X47245E3
— Narendra Modi (@narendramodi) March 8, 2020
विजया ने कहा, “गोरमाटी कला को बढ़ावा देने के लिए नरेंद्र मोदी जी ने न केवल हमें प्रोत्साहित किया बल्कि हमारी आर्थिक सहायता भी की। ये हमारे लिए गौरव की बात है। इस कला के संरक्षण के लिए मैं पूरी तरह से समर्पित हूँ और महिला दिवस के अवसर पर गौरवान्वित महसूस कर रही हूँ।”
कलावती
कानपुर की कलावती देश की बहन, बेटी और बहुओं को संदेश देतीं हैं कि समाज को आगे ले जाने के लिए ईमानदारी से किया गया प्रयास कभी निष्फल नहीं होता।
देश की बहन, बेटी और बहुओं को मेरा यही संदेश है कि समाज को आगे ले जाने के लिए ईमानदारी से किया गया प्रयास कभी निष्फल नहीं होता।
— Narendra Modi (@narendramodi) March 8, 2020
इसलिए बाहर निकलिए। अगर कोई कड़वी भाषा बोलता है तो उसे बोलने दीजिए।
अगर अपने लक्ष्य को पाना है तो पीछे मुड़कर नहीं देखा करते हैं।
कलावती देवी, कानपुर
कलावती लिखती हैं, “मैं जिस जगह पर रहती थी, वहाँ हर तरफ गंदगी ही गंदगी थी। लेकिन दृढ़ विश्वास था कि स्वच्छता के जरिए हम इस स्थिति को बदल सकते हैं। लोगों को समझाने का फैसला किया। शौचालय बनाने के लिए घूम-घूमकर एक-एक पैसा इकट्ठा किया। आखिरकार सफलता हाथ लगी। स्वस्थ रहने के लिए स्वच्छता जरूरी है। इसके लिए लोगों को जागरूक करने में थोड़ा समय जरूर लगा। लेकिन मुझे पता था कि अगर लोग समझेंगे तो काम आगे बढ़ जाएगा। मेरा अरमान पूरा हुआ, स्वच्छता को लेकर मेरा प्रयास सफल हुआ। हजारों शौचालय बनवाने में हमें सफलता मिली है। अगर कोई कड़वी भाषा बोलता है तो उसे बोलने दीजिए।अगर अपने लक्ष्य को पाना है तो पीछे मुड़कर नहीं देखा करते हैं।”
वीणा देवी
जहां चाह वहां राह… इच्छाशक्ति से सब कुछ हासिल किया जा सकता है।
— Narendra Modi (@narendramodi) March 8, 2020
मेरी वास्तविक पहचान पलंग के नीचे एक किलो मशरूम की खेती से शुरू हुई थी।
लेकिन इस खेती ने मुझे न केवल आत्मनिर्भर बनाया, बल्कि मेरे आत्मविश्वास को बढ़ाकर एक नया जीवन दिया।
वीणा देवी, मुंगेर #SheInspiresUs pic.twitter.com/MkfyZ8mnZp
“जहाँ चाह वहाँ राह… इच्छा शक्ति से सब कुछ हासिल किया जा सकता है। मेरी वास्तविक पहचान पलंग के नीचे एक किलो मशरूम की खेती से शुरू हुई थी। लेकिन इस खेती ने मुझे न केवल आत्मनिर्भर बनाया, बल्कि मेरे आत्मविश्वास को बढ़ाकर एक नया जीवन दिया।”
मुंगेर की वीणा देवी आगे अपनी कहानी बताते हुए कहती हैं- “आज महिलाएँ किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। अगर देश की नारी शक्ति ठान ले तो घर के अपने कमरे से ही अपनी यात्रा शुरू कर सकती है। इसी खेती की वजह से मुझे सम्मान मिला। मैं सरपंच बनी। मेरे लिए खुशी की बात है कि अपने जैसी कई महिलाओं को ट्रेनिंग देने का अवसर भी मिल रहा है।”
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