शायद ही कोई ऐसा हो जिन्हें वे रामभक्त याद न हों, जिन्होंने श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान अपने प्राणों का बलिदान दिया। 2 नवंबर 1990 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी की सरकार में उत्तर प्रदेश पुलिस ने अयोध्या में भव्य राम मंदिर की माँग कर रहे हजारों कारसेवकों पर गोलियाँ चलाई थीं। अब योगी आदित्यनाथ की सरकार ने घोषणा की है कि पुलिस की गोलीबारी में वीरगति प्राप्त हुए कारसेवकों के नाम पर यूपी में सड़कों का निर्माण किया जाएगा।
Kar sevaks had come to Ayodhya in 1990 & wanted the ‘darshan’ of Ram Lalla. The then SP govt had fired bullets at the unarmed Lord Ram devotees. Many had died. Today, I announce that roads would be constructed in UP in the name of all such kar sevaks: UP Dy CM KP Maurya (07.07) pic.twitter.com/UQV864fyRs
— ANI UP (@ANINewsUP) July 8, 2021
यूपी के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने मंगलवार (06 जुलाई 2021) को अयोध्या की यात्रा के दौरान कहा, “1990 में कारसेवक अयोध्या आए थे और रामलला के दर्शन करना चाहते थे, लेकिन तत्कालीन सपा सरकार ने निहत्थे रामभक्तों पर गोलियाँ चलवा दी थीं। इनमें कई लोगों की मृत्यु हो गई थी।” डेप्युटी सीएम मौर्य ने कहा कि यूपी सरकार ने इन सभी कारसेवकों के नाम पर उत्तर प्रदेश की सड़कों के नामकरण का निर्णय लिया है। योगी सरकार इसके पहले कोठारी बंधुओं के नाम पर अयोध्या में सड़क के नामकरण की घोषणा कर चुकी है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, योगी सरकार द्वारा इन कारसेवकों के सम्मान में सड़कों का नाम ‘बलिदानी रामभक्त मार्ग’ रखा जाएगा और ये सड़कें वीरगति प्राप्त करने वाले कारसेवकों के घर की ओर जाएँगी। शिलान्यास पट्टिका पर उन कारसेवकों का नाम और उनकी तस्वीर भी लगाई जाएगी। इसके अलावा, डेप्युटी सीएम मौर्य ने यह भी बताया कि देश के दुश्मनों से लड़ते हुए अपने जीवन का बलिदान करने वाले सेना के जवानों और पुलिसकर्मियों के सम्मान में राज्य में जय हिन्द वीर पथ का निर्माण किया जाएगा।
2 नवंबर 1990, रामभक्तों का नरसंहार
2 नवंबर 1990 को हजारों की संख्या में कारसेवक अयोध्या में इकट्ठा हुए थे। एक समूह का नेतृत्व बजरंग दल के तत्कालीन नेता विनय कटियार कर रहे थे। इन कारसेवकों में कोठारी बंधु भी शामिल थे। इससे पहले कि ये कारसेवक आगे बढ़ते, पुलिस ने उन्हें रोक लिया। इसके बाद कारसेवक विरोध प्रदर्शन करते हुए हनुमानगढ़ी के पास बैठ गए और भजन-कीर्तन करने लगे।
यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के आदेश के बाद यूपी पुलिस ने शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे इन कारसेवकों पर गोलियाँ चलानी शुरू कर दी। पुलिस की गोली लगने से कई कारसेवक उसी समय वीरगति को प्राप्त हुए। पुलिस कार्रवाई के बाद मची भगदड़ में सरयू ब्रिज पर भी कई लोगों की जान चली गई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार कोठारी बंधु, जिन्होंने विवादित बाबरी ढाँचे पर भगवा लहराया था, पुलिस की वीभत्स बर्बरता का शिकार हुए थे। कोठारी बंधुओं के सिर और गले में गोलियाँ मारी गई थीं।
हालाँकि, सरकार के आँकड़ों के अनुसार पुलिस की इस कार्रवाई में 16 कारसेवकों की मौत हुई थी लेकिन वास्तविक संख्या इससे कहीं ज्यादा थी। कई रिपोर्ट में बताया गया था कि उस दौरान कई कारसेवकों की लाशों को अनजान जगहों पर जला दिया गया था और कई लाशें सरयू नदी में फेंक दी गई थीं। 2019 में रिपब्लिक टीवी के स्टिंग में यह खुलासा किया गया था कि कई हिंदुओं को अंतिम संस्कार भी नसीब नहीं हुआ था, क्योंकि जलाने के स्थान पर इन कारसेवकों के शवों को दफना दिया गया था।