आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री दिल्ली आए हुए हैं। वह दिल्ली प्रधानमंत्री से मिल कर अपने राज्य की समस्याएँ बताने नहीं आए हैं। न ही वे दिल्ली में आंध्र प्रदेश पर्यटन को बढ़ावा देने आए हैं। चंद्रबाबू नायडू सिर्फ़ और सिर्फ़ अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने के लिए दिल्ली आए हैं। ममता बनर्जी द्वारा शुरू की गई मुद्दाविहीन धरने की परंपरा को नया रुख देने दिल्ली आए हैं। वह दिल्ली आए हैं, ताकि यह दिखा सकें कि विपक्षी नेताओं के जमावड़े का खेल वह भी खेल सकते हैं। उन्हें दिखाना है कि जो काम कोलकाता में ममता बनर्जी और हैदराबाद में कुमारस्वामी कर सकते हैं, वही काम वह दिल्ली में कर के दिखा सकते हैं।
ऐसा करने में वो सफल भी हुए। डॉक्टर मनमोहन सिंह, राहुल गाँधी, फ़ारुक़ अब्दुल्ला सहित कई नेता धरनास्थल पर पहुँचे और नायडू के धरने को समर्थन दिया। अरविन्द केजरीवाल और ममता बनर्जी सहित अन्य नेताओं ने भी सोशल मीडिया के माध्यम से नायडू के प्रति अपने समर्थन को प्रदर्शित किया। इस खेल में जो सबसे ज़्यादा चर्चा का विषय बनेगा- बिना भाजपा सरकार बनने की स्थिति में उसकी पीएम पद की दावेदारी उतनी ही पक्की होगी।
नायडू का पीएम से सवाल- ‘हू आर यू?’
दिल्ली के आंध्र भवन में उपवास और धरने पर बैठे नायडू ने इस दौरान समाचार चैनल एनडीटीवी (NDTV) को दिए साक्षात्कार में कहा:
“मुझे लोकेश के पिता, देवांश के दादा और भुवनेश्वरी के पति होने पर गर्व है, मैं आपसे (नरेंद्र मोदी से)पूछ रहा हूँ- आप कौन हैं?”
#NDTVExclusive | “I am proud to be Lokesh’s father, Devansh’s grandfather and Bhuvaneshwari’s husband, I am asking you- who are you?” Andhra Pradesh Chief Minister Chandrababu Naidu to Prime Minister Narendra Modi pic.twitter.com/QwqXO6OouZ
— NDTV (@ndtv) February 11, 2019
चंद्रबाबू नायडू ने प्रधानमंत्री के व्यक्तिगत जीवन पर कटाक्ष करते हुए सिर्फ़ राजनीतिक नैतिकता को ही ताक़ पर नहीं रखा है, बल्कि एक व्यक्ति के तौर पर अपनी हीन भावना का भी परिचय दे रहे हैं। वह अपने परिवार, राज्य और समाज को बदनाम कर रहे हैं। नायडू के दिल्ली आगमन के कारण भले ही पूरी तरह राजनीतिक हों, लेकिन उन्होंने यह बयान देते समय याद भी नहीं रखा कि वह आंध्र के मुख्यमंत्री हैं। जब वह दिल्ली आते हैं तो अपने समाज के साथ ही राज्य का भी प्रतिनिधित्व करते हैं, सिर्फ़ अपनी पार्टी का ही नहीं।
नायडू की टिप्पणी लाखों लोगों का अपमान
एक आँकड़े के मुताबिक़ भारत में 60-64 उम्र समूह के बीच आने वाली 70 लाख महिलाएँ सिंगल हैं, क्या नायडू उन से भी पूछ्ना चाहते हैं- ‘हू आर यू?’ ऐसे लाखों पुरुष भी हैं जो विधुर हैं, ऐसी लाखों महिलाएँ हैं जो अपने पति को खो चुकी हैं, ऐसे लाखों जोड़े हैं जिन्होंने स्वेच्छा से तलाक़ ले रखा है, ऐसे लाखों व्यक्ति हैं जिन्होंने जीवन में शादी ही नहीं की- क्या नायडू उन उन सभी का चरित्र प्रमाण पत्र देखना चाहते हैं? क्या स्वेच्छा से अलग रहने वाले जोड़े किसी के नहीं होते? क्या समाज उनका और वो समाज के नहीं होते? क्या अब इन्हे अपने व्यक्तिगत च्वॉइस सम्बन्धी निर्णय लेने के लिए भी नायडू की अनुमति लेनी होगी?
नायडू अगर पीएम मोदी से यह पूछते कि आप प्रधानमंत्री आवास में क्यों रहते हैं, तो चल जाता। अगर नायडू यह भी पूछते कि आपने फलां रैली में फलां बयान क्यों दिया, यह भी चल जाता। लेकिन, चंद्रबाबू ने अंध-विरोध की पराकाष्ठा को पार करते हुए उन लाखों लोगों का अपमान किया है जो स्वेच्छा से अपना जीवन जीते हैं। नायडू ने ऐसे लोगों की व्यक्तिगत च्वॉइस को निशाना बना कर एक ख़ुद को झूठी नैतिकता का झंडाबरदार बताने की कोशिश की है।
पत्नी, बेटा और पोते का नाम लेकर कोई महान नहीं बनता
चंद्रबाबू नायडू ने अपनी पत्नी, बेटे और पोते का नाम लेकर मोदी पर निशाना साधा। नायडू के अनुसार, जिनकी पत्नी, बेटे और पोते नहीं हैं- उनकी कोई पहचान नहीं है। अगर परिवार से ही किसी की पहचान होती है तो भी मोदी अकेले नहीं हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी पत्नी भले ही स्वेच्छा से अलग-अलग रहते हों, लेकिन मोदी के पास माँ है, उनके चार भाई हैं, एक बहन है। मोदी अपने भाषणों में हमेशा से कहते आए हैं कि सवा सौ करोड़ देशवासी ही उनका परिवार है।
चंद्रबाबू नायडू को शायद यह याद नहीं कि दुनिया में हर एक व्यक्ति जो आज अस्तित्व में है, भले ही उनकी पत्नी और बच्चे न हों- लेकिन हर कोई अपनी माँ के कोख से ही जन्म लेता है, वो किसी न किसी का पुत्र हो सकता है, किसी की पुत्री हो सकती है। पत्नी और बच्चे होना किसी की पहचान का प्रमाण नहीं है। किसी की पहचान उसके आचरण, व्यवहार और लोकप्रियता से बनती है, सिर्फ़ बीवी-बच्चों होना ही पहचान का प्रमाण नहीं होता।
चंद्रबाबू नायडू जी, सहवास तो कुत्ते-बिल्ली भी करते हैं, कीड़े-मकोड़े भी करते हैं। बच्चे तो इंसान छोड़िए, पशु-पक्षी के भी होते हैं। नायडू को समझना चाहिए कि अपने बीवी-बच्चों के नाम का बखान कर और किसी के व्यक्तिगत जीवन पर भद्दी टिप्पणी कर वह अपनी पहचान साबित नहीं कर सकते। अगर ऐसा है तो 10 बच्चे और 5 बीवियों वाले पकिस्तान के मौलवी साहब भी नायडू से पूछ सकते हैं- ‘हू आर यू?