आज के दौर में महिलाएँ किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। फिर चाहे वो आसमान हो या धरती। अपनी कड़ी मेहनत और अदम्य साहस का परिचय वो सदियों से देती चली आईं हैं। अगर कोई गाँव और क़स्बों की ज़िंदगियों में झाँक कर देखे तो वहाँ भी महिलाएँ इतिहास रचती दिख जाएँगी, फिर चाहे वो घर की दहलीज़ हो या आसमान की लंबी उड़ान। अपनी विलक्षण प्रतिभा का लोहा मनवाने के बावजूद आए दिन महिलाएँ तरह-तरह के कटाक्षों और जुमलों का सामना करती दिखती हैं। अपनी पीड़ित मानसिकता से ग्रसित विकृत समाज के लोग न जाने क्यों महिलाओं को ही कमतर आँकते हैं?
राजनीतिक गलियारे से आए दिन महिलाओं के लिए अभद्र टीका-टिप्पणियाँ भर-भर के प्रचारित-प्रसारित होती रहती हैं। एक तरफ जहाँ देश का ‘जोश’ 26 जनवरी की परेड में महिलाओं के प्रतिनिधित्व से ‘हाई’ था, वहीं दूसरी ओर मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने बीजेपी की महिला नेताओं पर भद्दा तंज कसा। उन्होंने कहा, “दुर्भाग्य की बात है बीजेपी के पास खुरदुरे चेहरे हैं, जिन्हें लोग पसंद नहीं करते। केवल एक हेमा मालिनी हैं, जिन्हें जगह-जगह शास्त्रीय नृत्य कराते हैं और वोट की माँग करते हैं।” मंत्री ‘साहब’ का ऐसा बयान साबित करता है कि वो महिलाओं के प्रति कैसा दृष्टिकोण रखते हैं। फ़िल्म अभिनेत्री हेमा मालिनी मथुरा से सांसद हैं, मंत्री ‘साहब’ की ही तरह जनप्रतिनिधि हैं। ऐसे में उनके प्रति इस तरह की अभद्र भाषा का इस्तेमाल कॉन्ग्रेस नेता की घटिया सोच को उजागर करती है। किसी भी महिला के लिए इस तरह की टीका-टिप्पणी अक्षम्य अपराध है।
Sajjan Singh Verma, MP minister: Mera ye kehna hai ki eshwar ke pradatt manav hota hai…Arey sarahna karo ki eshwar ne Priyanka Gandhi ko itna sundar banaya hai jisse mamatva, sneh jhalakta hai. Aise shabdon ka istemal karke apni garima Kailash ji aur BJP gira rahi hai. (2/2) pic.twitter.com/YrzKzlSPTA
— ANI (@ANI) January 27, 2019
आपको बता दें कि टीका-टिप्पणी करने में सज्जन सिंह इतने पर ही नहीं रुके बल्कि हद तो तब हो गई, जब उन्होंने एक तरफ तो प्रियंका गाँधी की सुंदरता और व्यक्तित्व का ख़ूब गुणगान किया और दूसरी तरफ बीजेपी खेमें की महिला नेताओं के स्वाभिमान को चकनाचूर करने का काम किया। ऐसी विकृत सोच वाले पुरुष से यदि पूछा जाए कि क्या महिलाएँ जिन प्रतिष्ठित पदों पर आसीन होती हैं, उसका आधार केवल उनकी सुंदरता मात्र ही होता है या फिर उनकी ईमानदारी, कड़ी मेहनत और लगन भी होती है? क्या ऐसे पुरुषों की आँखें उस समय काम करना बंद कर देती हैं, जब महिलाएँ दुनिया भर में अपना परचम लहराती हैं!
बात चाहे आज के दौर की हो या बीते कल की। हर दौर में महिलाओं ने ख्याति प्राप्त करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी, जिसका प्रमाण जगज़ाहिर भी है। चाहें तो इतिहास में दर्ज उन पन्नों को पलट कर देख लें जहाँ भिकाजी कामा, विजयलक्ष्मी पंडित, राजकुमारी अमृत कौर, रानी लक्ष्मीबाई, और सुभाष चंद्र बोस की इंडियन नेशनल आर्मी की झांसी की रानी रेजीमेंट कैप्टन लक्ष्मी सहगल का उल्लेख हो। इन्होंने अपनी अद्भुत क्षमता का परिचय देते हुए देश की आज़ादी में अपना योगदान देने में कोई कसर बाक़ी नहीं रखी।
आज़ादी के बाद देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी इंदिरा गाँधी की कार्यशैली से तो पूरा देश वाक़िफ़ है। देश को एक साथ चलने की सूझबूझ उनकी सुंदरता का परिचय देती है या उनकी कुशाग्र बुद्धि का, इसे समझ पाना सज्जन सिंह जैसे मंदबुद्धी नेताओं की समझ से परे है। जो महिलाओं के केवल रूप रंग को उसकी बुद्धि से जोड़कर देखते हों, उनकी सोच की गहराई ऊपर से ही दिख जाती है।
चिकने चेहरों की बात करने वाले सज्ज्न सिंह ये बताने का कष्ट करेंगे कि क्या वो इस नेता नगरी में कोई ब्यूटी कॉन्टेस्ट जीत कर आए थे, या उन्हें मंत्री पद दान में मिल गया था? और बात अगर ब्यूटी कॉन्टेस्ट की ही है, तो नेताजी आप तो यहाँ भी विफल हो जाएँगे क्योंकि वहाँ भी पैमाना सिर्फ़ सुंदरता का नहीं होता, बल्कि बौद्धिक क्षमताओं को भी आँका जाता है – अफ़सोस आपके पास तो वो भी नहीं!
सही मायनों में तो दुर्भाग्य समाज के उस तबके का है, जिन्होंने सज्जन सिंह जैसे नेताओं को अपना प्रतिनिधि चुनकर उनके लिए राजनीति के रास्ते खोल दिए। खुरदरे चेहरे की संज्ञा देकर महिलाओं के सम्मान को हानि पहुँचाने का जो काम कॉन्ग्रेसी नेता ने किया है, वो किसी भी दशा में स्वीकार्य नहीं है।
आपको बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब किसी नेता या स्टार ने महिलाओं की गरिमा पर इस क़दर प्रहार किया हो। हाल ही में घटित ऐसी कई ओछी हरक़तें हैं, जिसमें राजनीति के मद में चूर नेताओं ने महिलाओं के आत्मसम्मान और प्रतिभा को ही मोहरा बनाया।
हद तो तब पार हो जाती है जब राजनीतिक दलों की महिला नेताओं को कभी ‘टंचमाल’ तो कभी ‘टनाटन’ कह दिया जाता है। कभी ‘थकी हुई और मोटी’ कह दिया जाता है, तो कभी ‘महिलाओं के सजावटी’ होने की बात होती है। यहाँ तक कि ‘हट्टी-कट्टी गाय’ तक कह दिया जाता है। माने ये कि पुरुष नेताओं की गज़ भर लंबी ज़ुबान, जो चाहे वो कह दे। महिलाओं के प्रति बेलगाम होती ये ज़ुबान आख़िर पुरुष नेताओं के किन संस्कारों का परिचय कराती है, ये एक गंभीर प्रश्न है?
देश में वर्षों तक सत्ता पर क़ाबिज़ होने वाली कॉन्ग्रेस पार्टी अपने सहयोगी नेताओं की इस तरह की टिप्पणियों को कभी आड़े हाथों नहीं लेती, और विरोध दर्ज करें भी तो क्यों जब ख़ुद राहुल गाँधी रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण को लेकर दिए गए अपने एक बयान से विवादों के घेरे में रह चुके हों। राहुल गाँधी को तो महिला आयोग ने नोटिस भी भेजा था जबकि प्रधानमंत्री मोदी ने ट्विटर हैंडल के ज़रिए निर्मला सीतारमण के रक्षा मंत्री होने पर गर्व होने की बात कही थी।
Defence Minister @nsitharaman’s outstanding speech in Parliament has silenced the opposition.
— Amit Shah (@AmitShah) January 9, 2019
Unable to counter her on facts, they’re resorting to misogyny.
They owe an apology to India’s Nari Shakti. pic.twitter.com/Pw0nepcu6s
महिलाओं के प्रति इस तरह की आपत्तिजनक और अभद्र टिप्पणियों को गंभीरता से लेना चाहिए और राजनीति में इस तरह की विकृत सोच वाले नेताओं का आगमन पर उनका स्वागत करने के बजाए उन पर विराम लगाने के लिए, ऐसे नेताओं पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। उन्हें राजनीति से बेदख़ल कर उनके राजनीतिक करियर पर हमेशा के लिए फुलस्टॉप लगा देना चाहिए, जिससे ऐसी कुंठित सोच को आगे बढ़ने से रोका जा सके।