Monday, November 4, 2024
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आरोग्य सेतु ऐप का इस्तेमाल जरूरी, पर व्यक्ति और समाज की प्राइवेसी का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक

द डायलॉग के मुताबिक आरोग्य सेतु ऐप की प्राइवेसी पॉलिसी स्पष्ट रूप से एकत्रित डाटा के इस्तेमाल के उद्देश्यों को परिभाषित नहीं करती है। यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि इस ऐप द्वारा एकत्रित डाटा का शैक्षिक, अनुसंधान एवं आँकड़े जानने के अलावा किसी भी अन्य कार्य के लिए इस्तेमाल किया नहीं जाना चाहिए।

दिल्ली मे स्थापित टेक्नोलॉजी पॉलिसी क्षेत्र मे शोध कर रहे द डायलॉग (The Dialogue) नाम के थिंक टैंक ने आरोग्य सेतु ऐप से जुड़े हुए प्राइवेसी के मुद्दों को सुलझाने के लिए 14 बिंदुओं की एक रिपोर्ट तैयार की है। कोरोना वायरस से जूझते हुए देशों ने टेक्नोलॉजी का सहारा लेकर इस महामारी से संक्रमित लोगों को ढूँढने का प्रयास करना सही समझा है।

इस समय कांटेक्ट ट्रेसिंग ऐप का इस्तेमाल बेहद जरूरी है। इसके बिना महामारी का मुकाबला करना काफी मुश्किल साबित हो सकता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए द डायलॉग की यह रिपोर्ट दर्शाती है कि भारत जैसे आबादी वाले देश द्वारा आरोग्य सेतु ऐप का इस्तेमाल जरूरी तो है, पर इस ऐप का एक व्यक्ति और समाज की निजता को ध्यान में रखना अत्यंत आवश्यक है।

यह रिपोर्ट जीवन और स्वास्थ्य के अधिकार एवं निजता के अधिकार को साथ में कैसे प्राप्त करना है, उसके उपाय पर रोशनी डालते हुए 11 प्रमुख सुझाव प्रस्तुत करती है।

इस सामंजस्य को बैठाने के लिए जरूरी है की ऐप के दिशा-निर्देश आवश्यक, कानूनी और आनुपातिक सीमा को ध्यान में रखे। यह रिपोर्ट उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित निजता के सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है। इससे ऐप की कार्यक्षमता पर समझौता किए बिना, इस ऐप के प्रति जनता में विश्वास जागरूक होगा।

इस ऐप की लोकप्रियता और साइबर सुरक्षा मे विकास हेतु ऐप को ओपन सोर्स बनाना महत्वपूर्ण है। ऐप के ओपन सोर्स होने से सभी लोग उसकी तकनीकी खामियों को परख कर उसमें बदलाव का सुझाव दे सकेंगे। इसके आलावा यह रिपोर्ट एक स्वतंत्र ऑडिटर के नियुक्ति का सुझाव प्रस्तुत करती है, जो यह सुनिश्चित करेगा कि निजता के प्रावधानों का पालन हर हाल में किया जा रहा है।

आरोग्य सेतु ऐप की प्राइवेसी पॉलिसी स्पष्ट रूप से एकत्रित डाटा के इस्तेमाल के उद्देश्यों को परिभाषित नहीं करती है। यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि इस ऐप द्वारा एकत्रित डाटा का शैक्षिक, अनुसंधान एवं आँकड़े जानने के अलावा किसी भी अन्य कार्य के लिए इस्तेमाल किया नहीं जाना चाहिए।

इस ऐप की प्राइवेसी पॉलिसी को इस तरह से डिजाइन किया जाना चाहिए कि न्यूनतम डाटा एकत्र करके अधिकतम फल मिले। रिपोर्ट में इस ऐप को कानूनी वैधता दिलाने के लिए राष्ट्रपति द्वारा एक अध्यादेश के प्रख्यापन का महत्व समझाया गया है।

सुझावों में सभी डाटा को एक निश्चित समय के बाद नष्ट करने (भविष्य की महामारियों से निपटने के लिए आवश्यक डेटा को छोड़कर), डाटा न्यूनीकरण, डाटा एनॉनिमायजेशन (टेक्नोलॉजी के माध्यम से किसी भी डाटा से व्यक्तिगत पहचान की जानकारी मिटाने की क्रिया) भी शामिल है।

जारी की गई रिपोर्ट ये भी सुझाव देती है कि व्यक्तिगत डाटा संग्रहित करने की समय-सीमा 21 दिनों पर तय की जानी चाहिए। इसके साथ ही रिपोर्ट में यह भी सिफारिश की गई है कि इस ऐप की प्राइवेसी पॉलिसी में एक ऐसा प्रावधान लाना चाहिए जो एक पूर्व निर्धारित समय के पश्चात गैर व्यक्तिगत (नॉन-पर्सनल) डाटा को सर्वर से हटाने की बात करे।

इस बात में कोई दो राय नहीं है कि यह ऐप इस महामारी से लड़ने के लिए बहुत जरूरी है। भारत के पास ये एक अच्छा मौका है कि वह इस ऐप के जरिए दुनिया के सामने एक मिसाल रखे और इस ऐप को बाकी देशों की तुलना में सबसे बेहतर बनाने की तरफ अग्रसर करे।

नोट: इस लेख के सह-लेखक आयुष त्रिपाठी हैं।

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Kazim Rizvi
Kazim Rizvihttp://WWW.thedialogue.co
Kazim Rizvi is a public-policy policy entrepreneur and founder of an emerging policy think tank, The Dialogue. A nationalist at heart, Kazim envisages to drive change in India through the medium of policy and research. A lawyer by training, Kazim founded The Dialogue with this vision in June 2017. Over the last couple of years, The Dialogue has emerged as a leading voice in India’s policy ecosystem, with a focus on technology, energy, strategic affairs and development studies. The Dialogue is a horizontal institution that delivers on policy research, public discourse and capacity building initiatives around its key sectoral areas. Previously, Kazim led energy policy communications for the British High Commission and before that, he was a Swaniti Fellow with the Office of Mr. Baijayant Panda, former Member of Parliament.

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