एक नाम है- डॉक्टर हरजीत सिंह भट्टी। बताया गया है कि ये ईएमएस का डॉक्टर है और इसके बयान के आधार पर एबीवीपी को जेएनयू में हुई हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। ये क्या है, इसकी पड़ताल तो हम करेंगे ही लेकिन सबसे पहले जानिए कि मामला क्या है? जैसा कि हमें पता है, जेएनयू में नकाबपोश वामपंथी गुंडों ने जम पर उत्पात मचाया। एबीवीपी की छात्र-छात्राओं की पिटाई की गई। सिक्योरिटी गार्ड्स और प्रोफेसरों तक को नहीं बख्शा गया। एबीवीपी के कई छात्रों को हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़ा। कई वायरल वीडियो से पता चला कि वामपंथियों ने पूरी हिंसा को अंजाम दिया है। हालाँकि, न्यूज़लॉन्ड्री जैसे प्रोपेगंडा पोर्टल्स ने कुछ और ही दिखाने का प्रयास कर के झूठ फैलाया।
प्रोपेगंडा पोर्टल न्यूज़लॉन्ड्री ने झूठ फैलाने के लिए डॉक्टर हरजीत सिंह भट्टी के बयान का सहारा लिया। प्रोपेगंडा पोर्टल ने लिखा कि भट्टी एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे हैं और एम्स में घायल छात्रों के भर्ती होने की बात सुनते ही वो भागे-भागे पहुँचे। बताया गया कि जेएनयू से 15 घायल छात्रों को ट्रामा सेंटर में लाया गया है, जिन्हें गंभीर चोटें आई हैं। न्यूज़लॉन्ड्री ने डॉक्टर भट्टी के हवाले से बताया- “एक प्रोफेसर घायल हुए हैं। जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष के सिर में गंभीर चोटें आई हैं। उन्हें ‘रेड एरिया’ में शिफ्ट कर दिया गया है। एक छात्र की आँखों को नुकसान पहुँचा है। कई छात्रों को शरीर में अलग-अलग हिस्सों में चोटें आई हैं।“
न्यूज़लॉन्ड्री के अनुसार, डॉक्टर भट्टी ने एबीवीपी के दावों को मानने से इनकार कर दिया। डॉक्टर भट्टी ने दावा किया कि एबीवीपी के छात्रों को जो भी चोटें आई हैं, वो दिखावटी हैं। ऑपइंडिया के कई लेख में आप देख सकते हैं, जिसमें छात्रा वेलेंटिना की उँगलियों में चोटें आई हैं और उनकी मरहम-पट्टी हुई है। इसी तरह एबीवीपी नेता मनीष का हाथ टूट गया है। तो क्या ये माना जाए कि दिखावटी चोट के कारण एम्स ने उनका उपचार कर दिया और मरहम-पट्टी कर दी? इससे ही डॉक्टर भट्टी के बयान की पोल खुल जाती है। न्यूज़लॉन्ड्री ने उसी डॉक्टर भट्टी के बयान को प्राथमिकता दी है, जिन्होंने एबीवीपी के दावों पर प्रश्नचिह्न लगाया है।
Curiously this “Dr” Harjit Singh Bhatti, seems to have a lot of free time & no actual job. He also claims to be Bhim Army chief Chandrashekhar Azad’s doctor. Note hes NEVER given his current affiliation – just “ex head of resident doctors association at AIIMS”. Why? Unemployed? https://t.co/Uf4dlVHJEb pic.twitter.com/PQAZg24Yyo
— Abhijit Iyer-Mitra (@Iyervval) January 6, 2020
अब सवाल ये उठता है कि ये डॉक्टर भट्टी हैं कौन? इसके लिए नीचे ‘यूथ कॉन्ग्रेस’ के इस ट्वीट को देखिए। ये ट्वीट फ़रवरी 15, 2019 का है। लगभग एक वर्ष पहले का। इसमें कॉन्ग्रेस ने सूचित किया है कि डॉक्टर हरजीत सिंह भट्टी को ‘ऑल इंडिया मेडिकल सेल’ का राष्ट्रीय संयोजक बनाया गया है। साथ ही कॉन्ग्रेस ने भट्टी को शुभकामनाएँ भी दी हैं। इससे क्या पता चलता है? डॉक्टर हरजीत सिंह भट्टी काफ़ी पहले से कॉन्ग्रेस से जुड़े रहे हैं और पार्टी के पदाधिकारी भी हैं। क्या ऐसे व्यक्ति के बयान को आधार बना कर कोई निष्पक्ष दावा किया जा सकता है? इसका जवाब है- नहीं।
जब आप डॉक्टर हरजीत सिंह भट्टी का फेसबुक प्रोफाइल खँगालेंगे तो आपको पता चलेगा कि वो मोदी-विरोधी हैं और सीएए के विरोध में उन्होंने भीड़ जुटाई थी। उनके 4 फेसबुक पोस्ट्स से आप समझ सकते हैं कि कैसे वो अक्सर मोदी और भाजपा के ख़िलाफ़ ज़हर उगलता रहता है। डॉक्टर भट्टी ने एक फेसबुक पोस्ट में जामिया के डॉक्टरों द्वारा सीएए के विरोध में लगातार 6 दिन प्रदर्शन करने की बात कही है। उसने दावा किया था कि यूपी पुलिस ने डॉक्टरों को पीटा, उनपर गोली चलाई और उनके साथ बर्बरता की। जबकि ऐसा कुछ हुआ ही नहीं है। ऑपइंडिया ने एएमयू थाने से संपर्क किया तो उन्होंने डॉक्टरों पर गोली चलाने या उन्हें पीटने की बात से इनकार किया।
अब आते हैं डॉक्टर भट्टी के दूसरे फेसबुक पोस्ट पर। अपने दूसरे फेसबुक पोस्ट में उसने दावा किया कि यूपी पुलिस ने सीएए के विरोध में बोलने पर आईएएस कन्नन गोपीनाथन को हिरासत में ले लिया है। उसने दावा किया कि सभी डॉक्टर सीएए और एनआरसी के ख़िलाफ़ है। उसका एक और फेसबुक पोस्ट है, जिसमें उसने दावा किया है कि पुलिस ने जेएनयू के डॉक्टरों व नर्सों की पिटाई की है। डॉक्टर भट्टी ने भारत में क़ानून का राज ख़त्म होने और अराजकता फैलने की बातें की। बता दें कि कट्टर विपक्षी नेतागण भी ऐसी ही बातें कर के भाजपा और पीएम मोदी पर हमला करते हैं। उसने लिखा कि उसका संगठन ‘पुलिस के हमले’ की निंदा करता है।
अब बात डॉक्टर हरजीत सिंह भट्टी के चौथे फेसबुक पोस्ट की, जिसमे उसने लिखा है कि मोदी और शाह ने 2019 कें जनादेश का अपमान किया है और जनता के साथ वादाखिलाफ़ी की है। उसने लिखा है कि अगर मोदी-शाह ऐसा ही करते रहे तो पूरे देश में दंगे होंगे। इन चार फेसबुक पोस्ट्स से पता चल जाता है कि डॉक्टर हरजीत सिंह भट्टी वही सब कर रहा है, जो मोदी के अंधविरोध में विपक्ष और मीडिया का वामपंथी-कॉन्ग्रेसी गुट कर रहा है। यानी, मोदी-शाह के ख़िलाफ़ भीड़ जुटाने और ज़हर उगलने वाले व्यक्ति के राजनीतिक बयान को न्यूज़लॉन्ड्री ने ‘डॉक्टर का बयान’ बता कर पेश कर दिया।
Turns out this doctor is an anti-CAA activist who has been mobilising crowds against the Act and “Modi Shah”
— Swati Goel Sharma (@swati_gs) January 6, 2020
NL, he is hardly an expert medical voice to be quoted for student injuries pic.twitter.com/0TmxzCagXw
क्या एक अंधविरोध से ग्रस्त राजनीतिक व्यक्ति का बयान ‘एक्सपर्ट ओपिनियन’ के रूप में प्रयोग किया जा सकता है? मान लीजिए अगर प्रियंका गाँधी बोलती हैं कि पीएम मोदी अगला चुनाव हार जाएँगे, तो ये लिखा जा सकता है कि ‘राजनीतिक विश्लेषक’ प्रियंका गाँधी ने फलाँ बयान दिया है। नहीं, उन्हें ‘कॉन्ग्रेस महासचिव’ प्रियंका गाँधी ही लिखा जाएगा। न्यूज़लॉन्ड्री ने डॉक्टर भट्टी के बयान के साथ यही खेल खेला है। सवाल ये उठता है कि क्या डॉक्टर भट्टी एम्स की तरफ़ से बयान दे रहा था? आख़िर प्रोपेगंडा पोर्टल न्यूज़लॉन्ड्री ने उनके बयान को एम्स के डॉक्टर का बयान बता कर क्यों पेश किया? क्या पी चिदंबरम के मोदी के ख़िलाफ़ दिए बयान को ‘लीगल एक्सपर्ट’ के बयान के रूप में दिखाया जाएगा या फिर कॉन्ग्रेस के पूर्व मंत्री के बयान के रूप में?
मोदी विरोधी कॉन्ग्रेस समर्थक के बयान के आधार पर न्यूज़लॉन्ड्री ने दावा कर दिया कि एबीवीपी ने हिंसा की है और वामपंथी दंगाई निर्दोष हैं। ये ज़हरीला प्रोपेगंडा लोगों तक पहुँचाया गया। दरअसल, एम्स के वेबसाइट पर डॉक्टर भट्टी को ‘Alumna’ के रूप में दिखाया गया है। अगर ऐसा है तो फिर और भी कई सवाल उठते हैं। वो एम्स के वार्ड में कैसे घुसा और उसने एम्स की तरफ़ से मीडिया को बयान क्यों दिया? अगर वो अधिकृत ही नहीं है तो उसने छात्रों को लगी चोटों और उनके इलाज को लेकर एम्स की तरफ़ से टिप्पणी क्यों की? क्या उसे एम्स के वार्डस में जाने की अनुमति है या फिर उसे एम्स ने प्रवक्ता बनाया है? जाहिर है, ऐसा कुछ भी नहीं है।
असलियत क्या है? असलियत ये है कि डॉक्टर हरजीत सिंह भट्टी भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आज़ाद का डॉक्टर है। उसने एक के बाद एक ट्वीट कर के दावा किया था कि चंद्रशेखर बीमार है और उसे हार्ट अटैक आ सकता है। हालाँकि, पुलिस ने उसके दावों को नकार दिया था। ‘स्क्रॉल’ सहित कई मीडिया संस्थानों ने भट्टी को ‘चंद्रशेखर आज़ाद उर्फ़ रावण’ का डॉक्टर बताया था और कहा था कि अगर उसे जेल से हॉस्पिटल में नहीं शिफ्ट किया गया तो उसकी जान जा सकती है। ‘रावण’ को दरियागंज में हिंसा भड़काने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था।
तो क्या ‘रावण’ के डॉक्टर को न्यूज़लॉन्ड्री ने एम्स के मेडिकल एक्सपर्ट का बयान बता कर पेश किया? तो क्या भट्टी भी एक ‘फ्रीलान्स प्रोटेस्टर’ है, जो मोदी-शाह के ख़िलाफ़ हर मुद्दे पर ज़हर उगलने के लिए कहीं भी पहुँच जाता है। डॉक्टर भट्टी के बारे में एम्स की वेबसाइट पर लिखा हुआ था कि वो मणिपाल हॉस्पिटल में कार्यरत है। जब मणिपाल हॉस्पिटल को कॉल किया गया तो पता चला कि इस नाम का कोई डॉक्टर वहाँ है ही नहीं। मणिपाल की वेबसाइट पर भी सर्च करने पर उसका नाम नहीं मिलता है। कुल मिला कर डॉक्टर हरजीत सिंह भट्टी के बारे में एक-एक चीज संदिग्ध है और न्यूज़लॉन्ड्री ने उसके बयान के आधार पर झूठा दावा कर दिया।
(इस लेख को स्वाति गोयल शर्मा और अभिजीत अय्यर मित्रा के रीसर्च के आधार पर तैयार किया गया है)