एनडीटीवी के पत्रकार रवीश कुमार ने ह्यूस्टन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विशाल रैली का मज़ाक बनाया है। एक फेसबुक पोस्ट में सोशल मीडिया को गाली देने वाले रवीश कुमार ने ह्यूस्टन में आयोजित ‘हाउडी मोदी’ की बात करते हुए यह दिखाना चाहा कि अमेरिका में भारत से ज्यादा लोकतंत्र है। अब रवीश से यह पूछने भला कौन जाएगा कि उनके लिए लोकतंत्र को मापने का पैमाना क्या है? लोकतंत्र में कितनी मात्रा में नमक-मिर्ची होनी चाहिए, यह तो रवीश ही बता पाएँगे क्योंकि उसी अमेरिका के राष्ट्रपति ने भारत की, मोदी की जम कर प्रशंसा की है।
रवीश कुमार अमेरिका के बारे में कहते हैं कि वहाँ इतना लोकतंत्र हैं कि आप वहाँ जाकर बस सकते हैं, वहाँ की नागरिकता ले सकते हैं और चुनाव लड़ कर सांसद भी बन सकते हैं। लेकिन, क्या रवीश प्रवासी और ‘अवैध प्रवासी’ के बीच का अंतर समझते भी हैं? आज जब अमेरिका ख़ुद अवैध प्रवासियों को निकाल बाहर करने के लिए कृतसंकल्पित दिख रहा है, रवीश अवैध प्रवासियों के बसने को लोकतंत्र मापने का पैमाना बना रहे हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ‘हाउडी मोदी’ में अवैध प्रवासियों के बारे में क्या कहा, इसे जानने से पहले एक आँकड़े पर नज़र डालिए।
संयुक्त राष्ट्र अमेरिका अवैध प्रवासियों को देश से निकाल बाहर करने में अव्वल रहा है। 2016-18 में अमेरिका ने क़रीब सवा 7 लाख अवैध आप्रवासियों को निकाल बाहर किया। 2016 में 2,40,255 आप्रवासी निकाल बाहर किए गए। वहीं 2017 और 2018 में यह आँकड़ा क्रमशः 2,26,119 और 2,56,085 रहा। अब हो सकता है कि रवीश जिस थर्मामीटर का इस्तेमाल कर के लोकतंत्र को माप रहे हों, उसमें यह आए कि डोनाल्ड ट्रम्प कम लोकतान्त्रिक हैं और ओबामा ज्यादा। अगर ऐसा है तो रवीश को बताया जाना चाहिए कि 2012 में बराक ओबामा के राष्ट्रपति रहते 4,09,849 अवैध आप्रवासियों को डिपोर्ट किया गया। इस संख्या को छूने में तो ट्रम्प प्रशासन भी नाकाम रहा है।
रवीश लिखते हैं कि अमेरिका की किसी भी संस्था में भारतीय अपनी प्रतिभा के दम पर जगह बना सकते हैं। क्या भारतीय कम्पनियाँ टॉस कर के कर्मचारियों को हायर करती हैं? दुनिया के हर लोकतान्त्रिक देश में या कहीं भी, कोई भी अपनी प्रतिभा के दम पर ही किसी कम्पनी में जाता है और आगे बढ़ता है। लेकिन नहीं, रवीश की मानें तो अमेरिका में प्रतिभा के दम पर, जबकि भारत में सिक्का उछाल कर हायरिंग होती है। रवीश के अनुसार, मातृभूमि और पुण्यभूमि का सिद्धांत ‘बोगस’ है। जिस अमेरिका का हवाला देकर रवीश भारत के लोकतंत्र को कोस रहे हैं, उसी अमेरिका के राष्ट्रपति के शब्दों पर गौर करें।
राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी भारत और भारतीयों के लिए सचमुच असाधारण कार्य कर रहे हैं। विश्व के सबसे पुराने लोकतंत्र के मुखिया ने कहा कि अमेरिका में रहने वाले भारतीय मूल के लोग कड़ी मेहनत करते हैं और वे लगातार समृद्ध, संपन्न और विकसित हो रहे हैं। उन्होंने भारत के हालिया आम चुनाव की प्रशंसा करते हुए इसे सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक चुनाव बताया। ट्रम्प के अनुसार, अमेरिका में रहने वाले 40 लाख भारतीय अद्भुत हैं और वे वहाँ की संस्कृति को समृद्ध बना रहे हैं, मान बढ़ा रहे हैं और समाज की उन्नति में योगदान दे रहे हैं।
US President @realDonaldTrump expresses his gratitude to Indian-Americans by saying –
— BJP (@BJP4India) September 23, 2019
You are rich in culture,
You pulled our values,
You uplift our communities,
You are truly proud to be American and we are proud to have you as Americans. #HowdyModi pic.twitter.com/NaZw7j5Mnd
जिस देश में भारतीय रहे रहे हैं, उस देश का मुखिया उन्हें उनकी प्रतिभा, व्यवहार और कार्यों के कारण उन्हें रखना चाहता है। जबकि, रवीश पूछते हैं कि अगर अमेरिका ने भारतीयों को निकाल दिया तो? जैसा कि ट्रम्प ने कहा, अमेरिकी-भारतीय समाज अमेरिका पर गर्व करता है। कितने रोहिंग्या हैं जो भारतीय संस्कृति को अपनाते हैं, यहाँ के विकास में योगदान देते हैं या फिर यहाँ के लोगों को नौकरी देते हैं? ट्रम्प ने कहा कि भारतीय मूल के लोगों ने अमेरिका में काफ़ी रोजगार पैदा किया है। रवीश एक रोहिंग्या मुस्लमान का नाम बता दें, जिसनें भारतीयों को रोजगार दिया हो?
अमेरिका में भारतीय किसी की कृपा से नहीं रहते हैं, रवीश आख़िर यह कब समझेंगे? जबकि, भारत में आए दिन लूटपाट से लेकर अन्य आपराधिक वारदातों में शामिल रहने वाले रोहिंग्या यहाँ अवैध तरीके से बसे हुए हैं। भारत के लोगों की तुलना बांग्लादेश और म्यांमार से आने वाले रोहिंग्याओं से करने वाले रवीश को यह मालूम होना चाहिए कि भारतीय को अमेरिका अपने संसाधन पर बोझ इसलिए नहीं बताते क्योंकि सारे भारतीय वहाँ के नियम-क़ानून का पालन करते हुए उस देश की समृद्धि के लिए कार्य करते हैं।
अमेरिका के राष्ट्रपति यह स्वीकार कर रहे हैं कि भारतीयों से उनके मुल्क को फायदा है, जबकि रवीश अमेरिका के छद्म वकील का वेश धारण कर दावा करने में लगे हुए हैं कि भारत के लोग वहाँ के संसाधनों पर बोझ हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति ने कहा कि सीमा को सुरक्षित करना दोनों ही देशों का लक्ष्य है, लेकिन रवीश उसी अमेरिका का उदाहरण देकर अप्रत्यक्ष रूप से भारत को सीख देते हैं कि भारत में विदेशी नागरिकों को अवैध तरीके बसना चाहिए, भले ही वे यहाँ आकर अपराध करें और समाज के विकास में कोई योगदान न दें।
भारत में जो सचमुच अल्पसंख्यक हैं, वे भी यहाँ उसी तरीके से रहते हैं, जैसे बाकी लोग। रवीश कहते हैं कि भारत में अगर कोई अमेरिकी आकर बस जाए तो उसे लोग शक की निगाहों से देखने लगेंगे, वो अपना व्यापार नहीं कर पाएगा। रवीश को इतिहास में जाकर पता करना चाहिए कि 7 लाख से भी अधिक लोगों को रोजगार देने वाले टाटा समूह की स्थापना किसने की थी और टाटा परिवार किस संप्रदाय से ताल्लुक रखता है? आपको बता दें कि टाटा परिवार पारसी हैं। अब रवीश बताएँ की रतन टाटा को भारत में कितने लोग शक की निगाह से देखते हैं और कौन उनके कारोबार में व्यवधान डाल रहा है? उनका लॉजिक यहीं फुस्स हो जाता है।
रवीश लिखते हैं कि भारत का आत्मविश्वास कमज़ोर है और हमारा दिल छोटा है। रवीश कुमार ने भारतीयों पर आरोप लगाया कि वह दुनिया भर में जाकर केवल खा रहे हैं लेकिन दुनिया को खिला नहीं रहे हैं। यह एक बहुत बड़ा आरोप है। क्या अमेरिका में रहने वाले भारतीय मूल के लोग अमेरिका का खा रहे हैं? यह एक अपमानजनक भाषा है। अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प के शब्दों से रवीश को करारा तमाचा लग सकता है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि भारतीय लोग अमेरिकी नागरिकों के जीवन की रक्षा कर रहे हैं। वे मेडिकल फील्ड में अनुसन्धान से जुड़े अभूतपूर्व कार्य कर रहे हैं और अनगिनत ज़िंदगियाँ बचा रहे हैं।
“Indian Americans are pioneering groundbreaking medicines to save countless lives, they’re developing revolutionary technology that is changing the world, and they’re founding new businesses that provide jobs to thousands of our fellow citizens.” pic.twitter.com/jeubzhBfhz
— The White House (@WhiteHouse) September 22, 2019
ट्रम्प कहते हैं कि भारतीय मूल के लोग अमेरिकी लोगों के जीवन रक्षक हैं, जबकि रवीश कहते हैं कि भारत के लोग अमेरिका का खा रहे हैं लेकिन बदले में खिला नहीं रहे हैं। ट्रम्प कहते हैं कि भारतीय मूल के लोगों ने हज़ारों अमेरिकी नागरिकों को रोज़गार दिया है, लेकिन रवीश पूछते हैं कि भारत के लोगों को अगर अमेरिका ने भगा दिया तो? अगर कोई व्यक्ति किसी देश में जाकर वहाँ के विकास, समृद्धि, सम्पन्नता में योगदान देते हुए वहाँ के नियम-क़ानूनों का पालन कर रहा है और वहाँ के नागरिकों की ज़िंदगी बचाने का काम कर रहा है, तो भला उसे क्यों भगाया जाएगा?
परिकल्पनाओं पर धारणा बनाने वाले वास्तविकता से दूर जा चुके रवीश कुमार को एक बार फिर से ‘हाउडी मोदी’ में डोनाल्ड ट्रम्प का भाषण सुनना चाहिए। उन्हें जवाब मिल जाएगा कि आखिर क्यों भारतीय लोग रोहिंग्या नहीं हैं, जो अवैध रूप से भारत में आकर बस जाएँ और यहाँ कोई योगदान ही न दें, उल्टा आपराधिक गतिविधियों में उनका नाम आए। रवीश आँकड़े देखें। या फिर रवीश अगर अमेरिका के बारे में उसके राष्ट्रपति और सरकार से भी ज्यादा जानते हैं तो फिर कोई बात नहीं।