भारत जैसे विशाल देश में लोकसभा चुनाव एक राजनीतिक उत्सव की तरह होता है। इसे देश की राजनीतिक पार्टी अपने-अपने अंदाज़ से मनाती हैं। कोई किसी पर आरोप मढ़ता है, तो कोई किसी को विलेन घोषित करता है। कोई गरीबों का मसीहा बनने का दावा करता है, तो कोई अपने चुनावी घोषणापत्र के ज़रिए गरीबों को पैसा बांटने का भ्रम फैलाता है।
कहीं तो ये उत्सव एक डर के रूप में भी सामने आता है। हाल ही में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के क़रीबियों के यहाँ आयकर विभाग द्वारा छापेमारी की गई। 50 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी के दौरान करोड़ों रुपए कैश के अलावे अहम दस्तावेज़ भी बरामद किए गए। आयकर विभाग की यह कार्रवाई टॉप सिक्रेट थी, इसकी जानकारी भोपाल पुलिस को भी नहीं थी। अब इस तरह की कार्रवाई का डर पी चिदंबरम को भी सता रहा है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “मुझे जानकारी मिली है कि आईटी विभाग शिवगंगा और चेन्नई में मेरे आवास पर छापेमारी की योजना बना रही है, हम सर्च पार्टी का स्वागत करेंगे।”
I have been told that the I T department has plans to raid my residence in Sivaganga constituency and in Chennai. We will welcome the search party!
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) April 7, 2019
भले ही पी चिदंबरम अपने इस ट्वीट के ज़रिए यह दिखाना चाहते हों कि उन्हें आयकर विभाग की छापेमारी से डर नहीं लगता, लेकिन सच्चाई तो यह है कि वो सीएम कमलनाथ के क़रीबियों के ठिकानों पर अचानक हुई छापेमारी से सहमे हुए हैं। वजह साफ़ है। उनके बेटे कार्ति चिदंबरम और उनकी पत्नी नलिनी चिदंबरम के कारनामे उन्हें कभी भी ले डूब सकते हैं। पी चिदंबरम को यह डर है कि कहीं एयरसेल-मैक्सिस डील में पिता-पुत्र के घोटाले उन्हें चुनावी दंगल में परास्त न कर दें।पिता-पुत्र ने यह घोटाला तब किया था जब यूपीए की सरकार में सीनियर चिदंबरम (पी चिदंबरम) वित्त मंत्री थे। उन्होंने पद पर रहते हुए ग़लत तरीक़े से विदेशी निवेश को मंज़ूरी दी थी।
जूनियर चिदंबरम (कार्ति चिदंबरम) ने अपने पिता के ज़रिए INX मीडिया को विदेशी निवेश की मंज़ूरी दिलाई थी, जिससे कंपनी को ₹305 करोड़ का विदेशी निवेश प्राप्त हुआ था। बेटे के ख़िलाफ़ मनी लॉड्रिंग केस तो चल ही रहा है, वो जेल भी जा चुका है। ऐसे में सीनियर चिदंबरम का डर तो लाज़मी ही है कि पता नहीं कब उनके भ्रष्टाचारों के ख़ुलासे में इज़ाफ़ा हो जाए।
पी चिदंबरम के डर की एक और वजह है जिसने निश्चित तौर पर उनका सुख-चैन हराम किया ही होगा। वो वजह है ख़ुद उनकी पत्नी नलिनी चिदंबरम, जिनके तार शारदा चिटफंड घोटाले से जुड़े हुए हैं। नलिनी के ख़िलाफ़ CBI ने चार्जशीट दाखिल की थी जिसमें यह कहा गया था कि शारदा चिटफंड घोटाले में उन्होंने साल 2010 से 2012 के बीच ₹1.4 करोड़ लिए थे। इसके अलावा नलिनी चिदंबरम के ख़िलाफ शारदा कंपनियों के समूह के प्रॉपराइटर सुदीप्तो सेन के साथ मिलकर आपराधिक साज़िश रचने, ठगी और रुपयों के गबन के आरोप भी लगाए गए थे। इस ख़ुलासे के बाद सीनियर चिदंबरम का सकते में आना तो बनता ही है, क्योंकि शारदा चिटफंट घोटाले में उनकी पत्नी शामिल हैं, ये बात जगज़ाहिर हो चुकी है। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि पी चिदंबरम पहले से ही अपने परिवार के कारनामों का दंश झेल रहे हैं और उस पर आयकर विभाग के छापे का डर उन्हें जीने नहीं दे रहा है।
पी चिदंबरम ट्विटर पर अपने असली दर्द को तो शेयर नहीं कर सकते क्योंकि वो उनके बस की बात नहीं, लेकिन ‘आईटी की छापेमारी का स्वागत’ करने वाली उनकी लाइन बहुत कुछ बयाँ करती है, जिसे पढ़ने वाले उनके असली दर्द को आसानी से समझ सकते हैं।
भले ही इस चुनावी मौसम में देश की जनता को अपने खेमे में लाने की क़वायद अपने चरम पर होती है, लेकिन, ये जो पब्लिक है, वो सब जानती है। ऐसा इसलिए क्योंकि ऐसे कई मौक़े आते हैं जब वो खुलकर बोलती भी है, जैसे हाल ही में तमिलनाडु के मदुरै में महिलाओं ने कार्ति चिदंबरम के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया था। इसकी वजह थी कथित तौर पर कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं ने कार्ति के आगमन पर ‘आरती की व्यवस्था’ की थी। इसके लिए 25 महिलाओं को बुलाया गया था और उन्हें ₹500 (प्रत्येक को) देने का वादा भी किया गया था। लेकिन महिलाओं को तय राशि देने की बजाए केवल ₹800 थमाए गए और कहा गया कि आपस में बाँट लो। इस पर एक महिला ने कार्ति द्वारा ₹6000 देने की बात पर कहा कि जो वादा किए हुए ₹500 नहीं दे सकते वो ₹6000 क्या देंगे।
डर के साए में जीते पी चिदंबरम इस समय हताशा और निराशा की कगार पर हैं, तभी वो अक्सर ऐसा कुछ कह देते हैं जिससे उनकी यह दशा खुलकर सामने आ जाती है। हाल ही में एक आर्टिकल में उन्होंने बीजेपी की ख़िलाफ़त करते हुए वर्तमान शासन व्यवस्था को सर्कस का नाम दिया था। अपने इस तरह के कारनामों से चिदंबरम अपना ख़ुद का दर्द हल्का करने का काम करते हैं, जिससे उनका ध्यान अपने बेटे और पत्नी के धोखााधड़ी मामलों से भटका रहे।