चुनाव दूर न रहे तो कुछ राजनीतिक दलों का अंदरूनी लोकतंत्र अक्सर असंतोष, मीटिंग, और युद्ध प्रधान हो जाता है। आगामी पंजाब चुनावों ने कॉन्ग्रेस के अंदरूनी लोकतंत्र में पिछले ढाई महीने से ऐसी ही हलचल मचाई है। दल का राजनीतिक माहौल यात्राएँ, मीटिंग, शिकायतों और वक्तव्यों से प्रभावित है। पहले से ही नाराज चल रहे नवजोत सिंह सिद्धू ने पिछले दो महीने से अपनी नाराजगी का गियर बदल दिया तो हाईकमान ने उनकी नाराजगी को मापने के लिए तीन सदस्यीय टीम भेज दी।
टीम ने सिद्धू के साथ मीटिंग वगैरह करके हाईकमान को रिपोर्ट सौंपी तो सिद्धू दिल्ली पहुँच गए। राहुल और प्रियंका के साथ मीटिंग वगैरह की। वे लौट गए तो कैप्टन अमरिंदर सिंह दिल्ली आए। मीटिंग वगैरह करके वे भी लौट चुके हैं। अब प्रशांत किशोर मीटिंग के लिए आए और आज उन्होंने राहुल गाँधी और अन्य नेताओं के साथ मीटिंग की।
प्रशांत किशोर की कॉन्ग्रेस के नेताओं के साथ आज की मीटिंग इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि मीटिंग से कुछ समय पहले ही नवजोत सिंह सिद्धू ने यह बयान दिया कि; उनकी विरोधी आम आदमी पार्टी ने हमेशा पंजाब को लेकर उनके कामों को सराहा है। फिर बात चाहे 2017 से पहले की हो जब वे बेअदबी, ड्रग्स, भ्रष्टाचार, बिजली की समस्या वगैरह पर बोलते थे या फिर आज की हो जब वे पंजाब मॉडल लेकर आए हैं। आम आदमी पार्टी को पता है कि पंजाब के लिए असल में कौन लड़ रहा है।
Our opposition AAP has always recognised my vision & work for Punjab. Be it Before 2017- Beadbi, Drugs, Farmers Issues, Corruption & Power Crisis faced by People of Punjab raised by me or today as I present “Punjab Model” It is clear they know – who is really fighting for Punjab. https://t.co/6AmEYhSP67 pic.twitter.com/7udIIGkq1l
— Navjot Singh Sidhu (@sherryontopp) July 13, 2021
यह ट्वीट बड़ा महत्वपूर्ण है और शायद सिद्धू ने आज इस ट्वीट के जरिए पंजाब कॉन्ग्रेस की अंदरूनी लड़ाई को नया मोड़ दे दिया है। पर हाल के दिनों में सिद्धू को ट्विटर पर करीब से फॉलो करने वालों के लिए उनका आज का ट्वीट शायद आश्चर्यचकित न करे। उनके 2 जुलाई के इस ट्वीट को देखें;
Truth of Power Costs, Cuts, Power Purchase Agreements & How to give Free & 24 hour Power to the People of Punjab:- 1. There is No need for Power-Cuts in Punjab or for the Chief Minister to regulate office timings or AC use of the Common People … If we Act in the right direction
— Navjot Singh Sidhu (@sherryontopp) July 2, 2021
सिद्धू ने अपनी इस ट्वीट में पहली बार पंजाब में बिजली को लेकर जब इतना विस्तृत लिखा तभी लगने लगा था कि कहीं न कहीं ये आम आदमी पार्टी के साथ एक कॉमन ग्राउंड खोजने की कोशिश कर रहे हैं। इतिहास गवाह है कि आम आदमी पार्टी के लिए हर राज्य में सत्ता की उनकी लड़ाई के चारों तरफ बनाया गया विमर्श अक्सर बिजली प्रधान होता है।
आज नवजोत सिंह सिद्धू ने बिना लिखे कॉन्ग्रेस हाईकमान को यह बता दिया है कि; चुनाव के शुभ अवसर पर उन्हें न केवल असंतुष्ट होने का अधिकार है बल्कि आम आदमी पार्टी को भी उनके असंतोष को इज़्ज़त देने का अधिकार है। इसके बाद कॉन्ग्रेस के लिए स्थिति लगभग स्पष्ट सी दिखती है। दल और उसके शीर्ष नेतृत्व को अब इस बात पर फैसला लेना है कि पंजाब की राजनीति में सिद्धू की लड़ाई को जितनी इज़्ज़त आम आदमी पार्टी देती है उतनी ही कॉन्ग्रेस दे सकती है या नहीं? और यदि कॉन्ग्रेस उतनी ही इज़्ज़त देने के लिए तैयार है तो फिर कैप्टन के असंतोष को कौन इज़्ज़त देगा? कहीं ऐसा तो नहीं कि कोई तीसरा दल पंजाब की राजनीति में अमरिंदर सिंह के योगदान को और अधिक इज़्ज़त देने के लिए तैयार बैठा है? यदि इस प्रश्न का उत्तर ‘हाँ’ है तो फिर वह दल कौन सा है?
कॉन्ग्रेस हाईकमान के लिए यह स्थिति सुखद तो नहीं है बल्कि आम राजनीतिक पेंचों से कहीं आगे की है जिसे सुलझाना हर बीतते दिन के साथ मुश्किल होता जा रहा है। जब तीन सदस्यीय दल पंजाब कान्ग्रेस में काफी समय से चल रहे विवाद को सुलझाने पंजाब पहुँचा था तब लगा था कि शायद किसी फॉर्मूले पर समझौता हो जाए। पर तब यह सोच का आधार यह था कि अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह के बीच चल रही रस्साकशी में बस कान्ग्रेस के नेताओं ने ही अपने-अपने गुट बनाए हैं। परगट सिंह के सिद्धू के साथ आने के बाद भी यह लगा था कि मामला पार्टी तक ही सीमित रहेगा। अब जबकि आम आदमी पार्टी ने भी रिंग में एक कदम रख दिया है, मामला सीधा नहीं रहा। देखना यह है कि कहीं कोई और दल रिंग में अपना कदम न रख दे। इसके अलावा यह देखने वाली बात होगी कि इन राजनीतिक घटनाओं के बीच खालिस्तानी ताक़तें कहाँ दिखाई देती हैं।