पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में तमाम प्रताड़नाएँ झेलने के बाद वहाँ के अल्पसंख्यक भारत में एक आस लेकर आए थे। उन्हें लगा था कि जो अत्याचार उनपर इस्लामी मुल्क में हुए वो अत्याचार उनपे भारत में नहीं होंगे और ससम्मान जीने का अधिकार मिलेगा। हालाँकि तुष्टिकरण की राजनीति में फँसे रहने के चलते कई पार्टियाँ ऐसा नहीं कर पाईं और इन लोगों की हालत वैसी की वैसी रही। लेकिन, 2019 में जब मोदी सरकार ‘नागरिकता संशोधन अधिनियम’ लाई तो इन सबकी एक बार फिर से उम्मीद जगी।
Matua Community is all now on streets celebrating & expressing their gratitude to Prime Minister Modi for CAA pic.twitter.com/iYtgzblETv
— Sudhanidhi Bandyopadhyay (@SudhanidhiB) March 11, 2024
आज जिस बंगाल में रहकर ममता बनर्जी इस CAA का विरोध करती हैं उसी बंगाल में वो समुदाय भी बड़ी तादाद है जिन्हें मोदी सरकार के इस फैसले ने अपार खुशी दी है। ये समुदाय मतुआ, राजबंशी और नामसूद्र हैं। सालों से ये लोग नागरिकता मिलने के इंतजार में हैं। 2019 में जब सरकार ने इसे लाने की घोषणा की थी उसके बाद से इन्हें इसके लागू होने का इंतजार था।
अब जब 11 मार्च को मोदी सरकार ने इसे लेकर अधिसूचना जारी कर दी है तो इनकी खुशी का ठिकाना नहीं है। ये लोग देर रात हाथ में झंडा लिए सड़कों पर आए। मंदिर के सामने नाच गाकर यह अपनी खुशी जाहिर की। ढोल-नगाड़े बजाए। इस दौरान महिलाओं से लेकर बच्चे सब साथ दिखे। समुदाय के लोगों ने कहा कि आज उनकी इच्छा पूरी हो गई है। उनके समुदाय के लिए ऐसा शांतनु ठाकुर और पीएम मोदी के अलावा ऐसा कोई नहीं सोच सकता था।
A person from the Matua community said, "Our wish has been fulfilled. Shantanu Thakur is like God for us. As long as there are Matua people, Shantanu Thakur will be considered God. Apart from Shantanu Thakur and Modiji, no one else thought for us."
— Political Views (@PoliticalViewsO) March 11, 2024
pic.twitter.com/7ffutar7C1
ये सारा नजारा देखते हुए बंगाल के भाजपा नेता व नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने इस फैसले के लिए पीएम मोदी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने एक्स पर कहा ये मोदी की गारंटी है। संसद से पारित हुआ सीएए अब पूरे देश में लागू हो जाएगा। मतुआ समुदाय की लंबे समय से चली आ रही माँग अब पूरी होगी और उन्हें नागरिकता मिलेगी। सुवेंदु ने कहा कि अब कोई भी उन्हें (मतुआ को) उनके अधिकारों से वंचित नहीं कर सकता, यहाँ तक कि ममता बनर्जी भी नहीं।
This is #ModiKiGuarantee
— Suvendu Adhikari (Modi Ka Parivar) (@SuvenduWB) March 11, 2024
I wholeheartedly thank Hon'ble Prime Minister Shri @narendramodi Ji and Hon'ble Home Minister Shri @AmitShah Ji for notifying the rules of the Citizenship Amendment Act (CAA).
The CAA, which was passed by the Parliament will now be implemented and the… pic.twitter.com/PsrU0fQuXi
मतुआ, राजबंशी और नामशूद्र
मालूम हो कि जो मतुआ समुदाय सीएए लागू होने की खुशियाँ मना रहा है वो एक हिंदू शरणार्थी समूह है जो विभाजन के दौरान और उसके बाद के वर्षों में भारत आया था। इनके कोई सटीक आँकड़े तो उपलब्ध नहीं हैं लेकिन मतुआओं की अनुमानित संख्या बंगाल की पूरी आबादी का लगभग 10 से 15 प्रतिशत बताई जाती है। वहीं, मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बंगाल में मतुआ समुदाय की अनुमानित संख्या 3 करोड़ कही गई है। ये पूरा समुदाय बंगाल के उत्तरी और दक्षिणी 24 परगना के सीमाई इलाके जैसे कूचबिहार, दक्षिणी-उत्तरी दीनाजपुर, मालदा और नादिया में बड़ी संख्या में है। इसके अलावा इनकी उपस्थिति दक्षिण बंगाल में जिन 5 लोकसभा क्षेत्रों में है वहाँ 2 (बोनगाँव और राणाघाट) में 2019 में जीत हासिल हुई थी।
2011 की जनगणना के अनुसार पश्चिम बंगाल में अनसूचित जाति की कुल जनसंख्या 2 करोड़ 10 लाख से ज्यादा है। वहीं राजबंशी समुदाय की बात करें तो ये बंगाल में सबसे बड़ा अनुसूचित जाति समुदाय है। 2011 की जनसंख्या के अनुसार अनसूचित जाति की कुल जनसंख्या का यह 18.4 फीसद हैं। मतलब 2011 की जनसंख्या के हिसाब से 39,37,600 लोग। इनका समुदाय को कूच बिहार, जलपाईगुड़ी जैसे क्षेत्रों में ज्यादा प्रभावशाली माना जाता है।
इसके बाद आते हैं नामशूद्र। इनकी जनसंख्या, पूरे राज्य की अनुसूचित जातियों में- 17.4 फीसद है। मतलब 2011 की जनसंख्या के हिसाब से 37,23,600 लोग। नामशूद्र दलित हिंदुओं का समूह उस पलायन का एक छोटा सा हिस्सा था, जो बांग्लादेश में प्रताड़ित होने के बाद भारत के अलग-अलग हिस्सों में बसे। लेकिन बंगाल में इनकी संख्या ज्यादा है। वामपंथियों ने जहाँ इनको और इनकी माँगों को समय-समय पर नकारा है तो वहीं मोदी सरकार ने इनकी सुनवाई की। 2019 के लोकसभा चुनाव में हों, या 2021 के विधानसभा चुनाव… हर बार भाजपा ने इनका उल्लेख करके इन्हें सम्मान दिलाने का वादा किया और 2024 आते-आते इनकी वो माँग सुन ली जिसे सालों से अनसुना किया जा रहा था।
गौरतलब है कि इन तीनों समुदायों की प्रमुख माँगें नागरिकता अधिकार और शरणार्थी पुनर्वास थीं। अब जब भारतीय जनता पार्टी ने सीएए को लेकर अधिसूचना जारी कर दी है तो जाहिर है इन समुदायों पर इसका प्रभाव पड़ेगा। शायद इस समुदाय के जो लोग पहले कभी तृणमूल कॉन्ग्रेस पर विश्वास दिखा चुके हों उनका मत भी अब भाजपा के पक्ष में आए। इनकी खुशी का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि मतुआ समुदाय के लोगों ने 11 मार्च को उनका दूसरा स्वतंत्रता दिवस बताया है। साथ ही आध्यात्मिक गुरु श्री श्री हरिचंद व गुरुचंद ठाकुर के मंदिर के सामने इक्ट्ठा होकर ढ़ोल-नगाड़ों के साथ नाच-गाकर जश्न मनाया।
A person from the Matua community said, "Our wish has been fulfilled. Shantanu Thakur is like God for us. As long as there are Matua people, Shantanu Thakur will be considered God. Apart from Shantanu Thakur and Modiji, no one else thought for us."
— Political Views (@PoliticalViewsO) March 11, 2024
pic.twitter.com/7ffutar7C1
बता दें कि बंगाल के इन समुदायों की यह खुशी केवल इसीलिए इतनी है क्योंकि अभी तक की पिछली सरकारों में उनकी सुनवाई नहीं हुई और न ही उन्हें पहचान दिलाने के प्रयास हुए लेकिन अब ये स्थिति बदलने जा रही है। शर्णार्थी के तौर पर भारत में आए इन दलित हिंदुओं की सुनवाई भी होगी और उन्हें पहचान दिलाने का काम भी होगा।