लालू यादव (Lalu Yadav) बार-बार कह रहे हैं कि कॉन्ग्रेस (Congress) नेता राहुल गाँधी (Rahul Gandhi) को अब शादी कर लेनी चाहिए और वे सब बारात में जाने के लिए तैयार हैं। लालू ने यहाँ तक कह दिया कि बिना पत्नी के प्रधानमंत्री आवास में रहना अच्छा नहीं लगेगा। लेकिन, अब लगता है कि राहुल गाँधी को दुल्हा के रूप में देखने के विपक्ष का सपना बस सपना ही रह जाएगा।
राजनीति में प्रतीकों एवं उपमा-उपमानों का बड़ा महत्व होता है और लालू यादव इसके सिकंदर माने जाते हैं। लालू यादव राहुल गाँधी को दुल्हा बनने की सलाह देकर भले ही उनकी शादी कर लेने की अभिभावजन्य सलाह देते नजर आ रहे हों, लेकिन वे राहुल गाँधी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार भी बताते रहे हैं। साथ ही यह भी दर्शाने की कोशिश करते रहे हैं कि पूरा विपक्ष बाराती के रूप में इसका समर्थन करेगा।
हालाँकि, गुजरात हाईकोर्ट के फैसले ने लालू यादव और राहुल गाँधी सहित उनके चाहने वालों के इरादे पर पानी फेर दिया है। विपक्षी एकजुटता में पहले ही प्रधानमंत्री पद के लिए हर कोई स्वघोषित उम्मीदवार है। ऐसे में राहुल गाँधी के रूप में ‘रास्ते का काँटा’ हटने पर कुछ लोग खुश हो सकते हैं, लेकिन सबको एक साथ जोड़ने में कॉन्ग्रेस की भूमिका मानने वाले इससे जरूर दुखी होंगे।
दरअसल, ‘मोदी सरनेम’ के आपराधिक मामले में गुजरात हाईकोर्ट ने सूरत कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए राहुल गाँधी को राहत देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट का दोषी ठहराने का आदेश उचित है और उक्त आदेश में हस्तक्षेप करने की कोई जरूरत नहीं है। हाईकोर्ट ने यह। भी कहा कि राहुल गाँधी के खिलाफ कम से कम 10 आपराधिक मामले लंबित हैं।
Judge pronouncing order: At least 10 criminal cases pending against him.
— Bar & Bench (@barandbench) July 7, 2023
Even after the present case, some more cases filed against him. One such is filed by grandson of Veer Savarkar.
In anyway, conviction would not result in any injustice.
The conviction is just and proper.…
सूरत कोर्ट ने कॉन्ग्रेस नेता को आपराधिक मानहानि केस में दोषी मानते हुए सजा सुनाई थी। इसके बाद उनकी लोकसभा की सदस्यता चली गई थी। इस फैसले को राहुल गाँधी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। गुजरात हाईकोर्ट के जस्टिस हेमंत प्रच्छक ने 7 जुलाई 2023 को फैसला सुनाते हुए कहा कि सजा पर रोक नहीं लगाना राहुल गाँधी के साथ किसी तरह का अन्याय नहीं होगा। उन्होंने कॉन्ग्रेस नेता के खिलाफ चल रहे अन्य आपराधिक मामलों का जिक्र करते हुए कहा कि राजनीति में शुचिता जरूरी है।
जस्टिस प्रेच्छक ने कहा, “उनके खिलाफ कम से कम 10 आपराधिक मामले लंबित हैं। इस मामले के बाद भी उनके खिलाफ कुछ और केस दर्ज हुए हैं। एक मामला वीर सावरकर के पोते ने दायर किया है। सजा पर रोक लगाने से इनकार करना उनके साथ कोई अन्याय नहीं होगा। उनकी दोषसिद्धि न्यायसंगत एवं उचित है। इस आदेश में हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं है। इसलिए आवेदन खारिज किया जाता है।”
कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी निम्नलिखित मामले दर्ज हैं। इनमें से अधिकतर मामलों में सुनवाई जारी है और राहुल गाँधी जमानत पर बाहर हैं।
- आरएसएस को महात्मा गाँधी की हत्या से जोड़ने पर: राहुल गाँधी ने मार्च 2014 में ठाणे जिले में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि आरएसएस के लोगों ने गाँधीजी की हत्या कर दी थी। इस बयान से विवाद खड़ा हो गया और आरएसएस की भिवंडी इकाई के प्रमुख राजेश कुंटे ने संघ को बदनाम करने के लिए राहुल गाँधी पर मुकदमा दायर किया।
- आरएसएस के लोगों ने मुझे मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया: दिसंबर 2015 में असम में प्रचार करते समय राहुल गाँधी को बारपेटा सत्र मठ का दौरा करना था, लेकिन बाद में उन्होंने दावा किया कि आरएसएस के लोगों ने उन्हें मंदिर में प्रवेश करने से रोक दिया था। इसके बाद संघ कार्यकर्ता अंजन बोरा ने राहुल गाँधी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया। उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गाँधी ने महिला श्रद्धालुओं का अपमान किया।
- संघ को पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या से जोड़ा: पत्रकार गौरी लंकेश की 2017 में बेंगलुरु स्थित उनके घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसके कुछ ही घंटों के भीतर राहुल गाँधी ने प्रेस वार्ता में कहा था, “जो कोई भी भाजपा की विचारधारा के खिलाफ, आरएसएस की विचारधारा के खिलाफ बोलता है उस पर दबाव डाला जाता है, पीटा जाता है, हमला किया जाता है और यहाँ तक कि उसे मार दिया जाता है।” इसके बाद उन पर आपराधिक मानहानि मुकदमा दायर किया गया।
- नोटबंदी को लेकर अमित शाह पर टिप्पणी: जून 2018 में राहुल गाँधी ने एक ट्वीट पोस्ट कर अमित शाह पर अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक के निदेशक होने का आरोप लगाया था। उन्होंने आरोप लगाया कि बैंक ने पाँच दिनों के भीतर 750 करोड़ रुपए के पुराने नोट बदले हैं। इसके लिए एक RTI जवाब का हवाला दिया गया था।
- मोदी ‘कमांडर-इन-थीफ’ टिप्पणी: सितंबर 2018 में राफेल विमान सौदे को लेकर फ्रांसिस प्रकाशन की रिपोर्ट को शेयर करते हुए राहुल गाँधी ने ट्वीट किया था, “भारत के कमांडर-इन-थीफ के बारे में दुखद सच्चाई।” इसमें उन्होंने रिलायंस को फायदा पहुँचाने के लिए सौदे में बदलाव करने का आरोप लगाया था। इसके बाद गुरुग्राम में राहुल गाँधी के खिलाफ एक और मानहानि की याचिका दायर की गई।
- अमित शाह के खिलाफ टिप्पणी: साल 2019 में मध्य प्रदेश के जबलपुर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए राहुल गाँधी ने तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को हत्या का आरोपित बताया था। उन्होंने कहा था, “हत्यारोपित भाजपा प्रमुख अमित शाह, वाह, क्या शान है…”
- बीजेपी की तरह कॉन्ग्रेस हत्यारे को पार्टी अध्यक्ष नहीं स्वीकारेगी: साल 2019 में राहुल गाँधी ने झारखंड में पार्टी अधिवेशन के दौरान अमित शाह पर हत्या का आरोपित होने का एक बार फिर आरोप लगाया था। इसको लेकर उन पर मानहानि के दो मानहानि के मामले दायर किए गए थे। एक झारखं के चाईबासा जिले में और दूसरा राँची में दर्ज कराया गया था।
- सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है: साल 2019 में कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी रैली के दौरान राहुल गाँधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा था और उनकी तुलना भगोड़े नीरव मोदी और ललित मोदी से की थी। इस पर उनके खिलाफ तीन मामले दर्ज किए गए थे।
- सावरकर ने स्वतंत्रता सेनानियों को धोखा दिया, अंग्रेजों से माफी माँगी: साल 2022 में राहुल गाँधी ने विनायक दामोदर सावरकर पर ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान स्वतंत्रता सेनानियों को धोखा देने का आरोप लगाया था। उन्होंने यह भी कहा था कि सावरकर ने अंग्रेजों से माफी माँगी थी। इसलिए उन्हें अंडमान जेल से रिहा किया गया।
- नेशनल हेराल्ड केस: नेशनल हेराल्ड केस में भी राहुल गाँधी जमानत पर बाहर हैं। भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दायर मामले में सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी को कोर्ट ने दिसंबर 2015 में जमानत दी थी। यह मामला नेशनल हेराल्ड अखबार चलाने वाली कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड द्वारा यंग इंडियन का अधिग्रहण और उसके बाद का लेनदेन से संबंधित है।
मोदी सरनेम ही नहीं, ऊपर के मामलों में भी राहुल गाँधी पर तलवार लटकी हुई है। हालाँकि, मोदी सरनेम में फैसला सबसे पहले आ गया। दरअसल, लोकसभा चुनाव के दौरान 13 अप्रैल 2019 को दौरान राहुल गाँधी ने कर्नाटक की एक सभा में कहा था कि ‘सभी चोरों का उपनाम मोदी क्यों होता है?’ राहुल गाँधी ने कहा था, “नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी इन सभी के नाम में मोदी लगा हुआ है। सभी चोरों के नाम में मोदी क्यों लगा होता है।”
इसको लेकर गुजरात और झारखंड के जगहों पर राहुल गाँधी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा किया गया था। इस बयान के बाद भाजपा नेता पूर्णेश मोदी ने कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष के खिलाफ सूरत में मामला दर्ज कराया था। राहुल गाँधी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 के तहत केस दर्ज करवाया था, जो आपराधिक मानहानि से संबंधित है।
सजा सुनाए जाने के तुरंत बाद उन्हें जमानत भी दे दी गई। हालाँकि, सूरत की अदालत ने उन्हें अपील करने के लिए 30 दिनों का समय दिया था, लेकिन उन्होंने ना ही ऊपरी अदालतों में अपील की और ना ही माफी माँगी। आखिरकार 30 दिन बीतने के बाद उनकी संसद सदस्यता चली गई। सजा सुनाए जाने के दौरान राहुल गाँधी केरल में वायनाड से सांसद थे।
20 अप्रैल 2023 को मजिस्ट्रेट अदालत ने सजा निलंबित करने की राहुल गाँधी की याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद गुजरात हाईकोर्ट ने भी उन्हें राहत देने से इनकार कर दिया था। अब उनकी पुनर्विचार याचिका को भी खारिज करके राहत देने से साफ इनकार कर दिया। राहुल गाँधी के पास अब सिर्फ सुप्रीम कोर्ट जाने का रास्ता बचा है। कॉन्ग्रेस ने कहा है कि वह सुप्रीम कोर्ट जाएगी।
अगर सुप्रीम कोर्ट सूरत कोर्ट द्वारा दी गई सजा पर रोक लगा देता है तो उनकी सांसदी बहाल हो सकती है और वे अगला चुनाव लड़ेंगे वर्ना वे प्रधानमंत्री तो दूर, विधानसभा का चुनाव भी नहीं लड़ पाएँगे। कानून के मुताबिक, दो साल और उससे अधिक की सजा होने पर अगले 6 साल के लिए दोषी चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हो जाता है। ऐसे में राहुल गाँधी अभी तक अगले 6 साल तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हैं।
ऐसे में राहुल गाँधी के साल 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ने पर तलवार लटका हुआ है। लालू यादव द्वारा उन्हें दुल्हा बनाने का ख्वाब सफल होता नहीं दिख रहा है। इसका असर विपक्षी एकता गठबंधन पर भी पड़ेगा, जो पहले से ही धाराशायी होती दिख रही है। अब राहुल गाँधी की अंतिम उम्मीद सुप्रीम कोर्ट ही है।