टोक्यो ओलंपिक में भारतीय खिलाड़ियों के अच्छे प्रदर्शन के बाद देश भर के नेताओं में होड़ लगी है कि इसके श्रेय लेकर क्षेत्रवाद को बढ़ावा दिया जाए और अपनी राजनीति चमकाई जाए। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह को भारतीय हॉकी टीम में नहीं ‘भारत’ दिख ही नहीं रहा है। वहीं जब खेल और खिलाड़ियों को प्रोत्साहन की बात आती है तो ये नेता जमीन पर कहीं नहीं दिखते। साथ ही खेल को लेकर भारत सरकार के प्रयासों की प्रशंसा भी नहीं करते।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब योग को बढ़ावा देते हैं, फिट करने की बात करते हैं और बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ खेलने-कूदने की भी सलाह देते हैं तो विरोधी उनका मजाक बनाते हैं। जब इन्हीं कारणों से भारत का मस्तक ऊँचा होता है तो श्रेय लेने के लिए दौड़े चले आते हैं। आइए, भारतीय पुरुष एवं महिला हॉकी टीम की जीत के बहाने आज खेल को लेकर मोदी सरकार के प्रयासों और क्षेत्रवाद वाली राजनीति पर चर्चा करते हैं।
ओलंपिक में कैसा रहा है भारतीय हॉकी टीम का प्रदर्शन?
सबसे पहले बात महिला ओलंपिक टीम की, जिनकी उपलब्धि ऐसी है कि किसी का भी मस्तक गर्व से ऊँचा हो जाए। भारतीय महिला हॉकी टीम पहली बार ओलंपिक के सेमीफाइनल में पहुँची है। जी हाँ, पहली बार। ऑस्ट्रेलिया को 1-0 से हरा कर हमारी बेटियों ने ये उपलब्धि हासिल की। भारतीय हॉकी की जब बात होती है तो आज तक सिर्फ पुरुष हॉकी टीम की ही बात होती थी। वो टीम, जिसने 1930-60 की अवधि में विश्व हॉकी पर राज किया था।
भारतीय महिला हॉकी टीम ने ऑस्ट्रेलिया को हराया है, जिसे कई लोग सेमीफइनल में जाने के लिए फेवरिट टीम मान रहे थे। लेकिन, भारत ने सारे आकलन को धता बता दिया। इससे भारतीय खेल प्रशासकों के लिए भी सबक है कि वो महिला हॉकी टीम पर भी बराबर का ध्यान दें। भारतीय टीम का डिफेंस काफी तगड़ा था। इसके लिए गोलकीपर के रूप में अपना शत-प्रतिशत देने वाली सविता पुनिया की भी तारीफ़ होनी चाहिए।
गुरजीत कौर के एक ऐतिहासिक गोल की बदौलत भारत ने ये उपलब्धि हासिल की। मैच के बाद मिडफ़ील्ड में जलवा दिखाने वाली खिलाड़ी मोनिका मलिक ने कहा कि टीम को पता था कि उन्हें आगे बढ़ कर प्रदर्शन करना होगा और ये एक बड़ी जीत है। ये टीम कहाँ से उठी है, ये भी जानिए। पिछले रियो ओलंपिक में हम एक भी गेम जीतने में कामयाब नहीं रहे थे। इस बार भी पूल-ए के तीनों शुरुआती मैचों में हार के बाद वही यादे ताज़ा हो गई थीं।
लेकिन, अंतिम दो मैच जीत कर भारत ने क्वार्टरफाइनल में जगह बनाई। टीम के खिलाड़ियों का कहना है कि वो ज्यादा आगे की न सोच कर एक बार में एक मैच को ले रहे हैं और इसके लिए तैयारी कर रहे हैं। कोच सोर्ड मारजेन की तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें उनकी आँखों में आँसू हैं। सोर्ड एक डच हॉकी खिलाड़ी रहे हैं, जिनके पास लंबा अनुभव है। 47 वर्षीय मारजेन अब तक 9 टीमों की कोचिंग कर चुके हैं, जिनमें भारतीय पुरुष हॉकी टीम भी शामिल है।
अब बात भारतीय पुरुष हॉकी टीम की करते हैं, जो जिसने ग्रेट ब्रिटेन को 3-1 से हरा कर टोक्यो ओलंपिक सेमीफाइनल में जगह बनाई। दिलप्रीत सिंह, गुरजंत सिंह और हार्दिक सिंह ने ये तीनों गोल किए। पिछले 41 वर्षों में देश को इस तरह का मौका देखने को नहीं मिला। फाइनल में जगह बनाने के लिए हमें बेल्जियम को हराना होगा। 1972 के बाद हम पहली बार ओलंपिक के सेमीफाइनल में पहुँचे हैं।
यहाँ एक बात नोट करने लायक है कि 1980 में सेमीफाइनल नहीं, सीधे फाइनल हुआ था। तब भारतीय टीम ने स्वर्ण पदक जीता था। इसीलिए, गोल्ड का इंतजार 41 वर्षों का है और सेमीफाइनल हम 49 साल बाद खेल रहे। ये वही टीम है, जिसे पूल मैच में ऑस्ट्रेलिया ने 7-1 से हराया था, लेकिन ये उबरी और पूल में दूसरे स्थान पर रही। यहाँ भी गोलकीपर पीआर श्रीजेश ने एक बड़ा गोल बचा कर भारत की उम्मीदें ज़िंदा रखीं।
पंजाब के कॉन्ग्रेसी मुख्यमंत्री ने कुछ यूँ घुसाया क्षेत्रवाद
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के नाम के साथ ‘कैप्टेन’ जुड़ा है, क्योंकि वो सेना में इसी पद पर थे। सैन्य मामलों व इतिहास पर पुस्तकें लिख चुके हैं। लेकिन, इसके बावजूद जब वो भारतीय हॉकी टीम को बधाई देने वाले ट्वीट में ‘पंजाब’ का जिक्र करते हुए तीन खिलाड़ियों का नाम लेते हैं और उनके गोल मारने पर खुद के खुश होने की बात करते हैं तो इसमें क्षेत्रवाद की बू तो आती ही है। क्या ये टीम किसी राज्य विशेष की है? नहीं।
भारतीय हॉकी टीम के कई खिलाड़ियों के गुरु रहे और 1980 के ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय टीम के कप्तान रहे वी भास्करन ने कहा है कि पीआर श्रीजेश उनके हीरो हैं। जब भारत 1-0 से पीछे था, तब उन्होंने ग्रेट ब्रिटेन के 4-5 शॉट्स रोके। पीआर श्रीजेश केरल के हैं। वो हॉकी इंडिया लीग में उत्तर प्रदेश के लिए खेलते हैं। यही भारत है। ये एक टीम है। यहाँ क्षेत्रवाद नहीं घुसाया जा सकता।
वैज्ञानिक आनंद रंगनाथन ने उन्हें बड़ा बढ़िया जवाब दिया है। एक नजर देखिए, “हाँ, हमें ओडिशा के रोहिदास पर गर्व है जिन्होंने उत्तर प्रदेश के ललित की तरफ बॉल ढकेला और मणिपुर के संगलापकम की तरफ ड्रैग-फ्लिक किया। हमें उन पर भी गर्व है, जिन्होंने मध्य प्रदेश के प्रसाद की तरफ बॉल ड्रिबल किया और प्रसाद ने केरल के श्रीजेश की तरफ। श्रीजेश ने पंजाब के दिलप्रीत, गुरजंत और हार्दिक को बॉल दिया, जिन्होंने तीन गोल किए। “
Yes, Captain, we are proud of Rohidas of Odisha who pushed the ball to Lalit of UP who drag-flicked it to Sanglakpam of Manipur who dribbled it to Prasad of MP who scooped it to Sreejesh of Kerala who drove it to Dilpreet, Gurjant, and Hardik, all of Punjab, who scored. Jai Hind. https://t.co/mDTnkOofhz
— Anand Ranganathan (@ARanganathan72) August 2, 2021
इसी तरह महिला हॉकी टीम को लेकर भी कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने इसी तरह का ट्वीट किया। उन्होंने ‘अमृतसर की गुरजीत कौर’ को बधाई देते हुए लिखा कि उन्होंने इस गेम का एकमात्र गोल स्कोर किया। यहाँ भी हम यही कहेंगे कि ये खिलाड़ी देश के लिए खेल रहे हैं। हरियाणा के एक छोटे से गाँव से संघर्ष कर के निकली सविता पुनिया क्या आज अपने राज्य की तरफ से खेल रही हैं? नहीं। पंजाब की गुरजीत और हरियाणा की सविता, दोनों देश भर के लिए खेल रही हैं।
एक रोचक फैक्ट: ओडिशा सरकार और भारतीय हॉकी टीम
हाल ही में ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की भी एक तस्वीर वायरल हुई, जिसमें वो अपने कमरे में बैठ कर भारतीय महिला हॉकी टीम का मैच देख रहे थे। लोगों को उत्सुकता हुई कि आखिर इस हॉकी में उनका इतना इंटरेस्ट कैसे? वैसे भी सीएम का काम काफी व्यस्तता भरा होता है। असल में भारतीय हॉकी की दोनों टीमों की स्पॉन्सर ओडिशा की ही सरकार है। ऊपर से ओडिशा में हॉकी को लेकर एक दीवानगी भी है।
फरवरी 2018 में सहारा को रिप्लेस कर के ओडिशा ही भारतीय हॉकी का स्पॉन्सर बना। सीनियर के साथ-साथ महिला एवं पुरुष के जूनियर टीमों की भी। 5 वर्षों के लिए ये करार हुआ था। अभी ढाई वर्ष हो गए हैं। एक अनुमान है कि इसके लिए ओडिशा की सरकार ने 150 करोड़ रुपए खर्च किए गए, जो सहारा द्वारा खर्च किए गए रुपयों से साढ़े 3 गुना अधिक है। 2018 में हॉकी का वर्ल्ड कप भी ओडिशा में ही हुआ था।
दिलीप तिर्की, इग्नस तिर्की और लेज़ारस बरला जैसे बड़े हॉकी खिलाड़ी इस राज्य ने दिए हैं। मौजूदा हॉकी टीम में भी बीरेंद्र लकरा और अमित रोहिदास जैसे खिलाड़ी ओडिशा से हैं, लेकिन वहाँ के मुख्यमंत्री ने इनके राज्य का जिक्र करते हुए अलग से बधाई नहीं दी, सब को बधाई दी। कुछ महीने पहले तक दिप्सन तिर्की भी राष्ट्रीय टीम में थे। हॉकी इंडिया लीग में ‘कलिंगा लैंसर्स’ टीम का स्वामित्व भी ओडिशा की सरकार के पास है।
ଦୀର୍ଘ ୪୧ ବର୍ଷ ପରେ ଭାରତୀୟ ପୁରୁଷ ହକି ଦଳ ଏବଂ
— Naveen Patnaik (@Naveen_Odisha) August 2, 2021
ପ୍ରଥମଥର ମହିଳା ହକି ଦଳ ଅଲମ୍ପିକର ସେମିଫାଇନାଲରେ ପହଞ୍ଚିବା ସମଗ୍ର ଦେଶ ପାଇଁ ଗୌରବର ବିଷୟ। ୨୦୧୮ରୁ ଓଡ଼ିଶା ଉଭୟ ଜାତୀୟ ଦଳକୁ ପ୍ରୋତ୍ସାହିତ କରିଆସୁଥିବାରୁ ଆମେ ସମସ୍ତେ ଓଡ଼ିଶାବାସୀ ଆଜି ଗର୍ବିତ। ସମସ୍ତଙ୍କୁ ଆନ୍ତରିକ ଶୁଭେଚ୍ଛା।
ଜୟ ହିନ୍ଦ୍ #Tokyo2020 pic.twitter.com/RupFHLBPPy
2014 का चैंपियंस ट्रॉफी और 2017 का हॉकी वर्ल्ड लीग फाइनल भी भुवनेश्वर में ही हुआ था। अंतररष्ट्रीय हॉकी फेडरेशन के अध्यक्ष नरिंदर बत्रा ने तब कहा था कि ओडिशा सरकार के इस फैसले से अन्य राज्य भी प्रेरित होंगे और वो अलग-अलग खेलों को स्पॉन्सर करेंगे। ऐसे में नवीन पटनायक की तारीफ की जानी चाहिए कि उन्होंने इस तरह का निर्णय लिया। अन्य राज्यों को भी इसका अनुसरण करना चाहिए, क्षेत्रवाद की बजाए।
भारत सरकार के प्रयासों को नज़रअंदाज़ करते हैं विपक्षी नेता
भारत सरकार ने देश में खेल को बढ़ावा देने और अंतररष्ट्रीय टूर्नामेंट्स में अच्छा प्रदर्शन कराने के लिए ‘खेलो इंडिया’ शुरू किया। इससे पहले हमने देखा था कि किस तरह जब बॉक्सर लवलीना बोर्गोहेन को कोरोना हुआ था और वो प्रशिक्षण के लिए विदेश नहीं जा पाई थीं तो भारत सरकार ने उनके लिए व्यक्तिगत सेंटर स्थापित किया। इस तरह कई युवा खिलाड़ियों को भारत सरकार ने आगे बढ़ने में साथ दिया।
जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद इन खिलाड़ियों से मिलते-जुलते रहते हैं, इनकी बात सुनते हैं और इन्हें बधाई देते हैं, इसी से समझा जा सकता है कि खेल को लेकर ये सरकार कितनी गंभीर है। ‘खेलो इंडिया’ के तहत 21 वर्ष तक की उम्र वाले खिलाड़ियों को तराशा जाता है, ताकि भविष्य में वो देश का मस्तक गर्व से ऊँचा करें। अभी भले ही टोक्यो ओलंपिक की ही चर्चा हो चारों तरफ, लेकिन क्या आपको पता है कि भारत सरकार की तैयारी क्या है?
भारत सरकार ने ‘खेलो इंडिया’ के तहत अगले दो ओलंपिक खेलों की तैयारी में लगी है। इसके लिए अब तक 150 युवा प्रतिभाओं की पहचान की जा चुकी है। इस योजना के तहत प्रतिभाओं की पहचान होती है, उनके प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाती है और 3000 खिलाड़ियों को 10,000 रुपए का मासिक खर्च भी दिया जाता है। तैराक श्रीहरि नटराज, जेवलिन थ्रोअर नवदीप सिंह और शटलर पलक कोहली जैसे खिलाड़ी इस प्लेटफॉर्म से आए हैं।
भारतीय महिला हॉकी टीम के प्रदर्शन का श्रेय SRK को?
‘हाल ही में सीमा पर हुए विवाद में भारतीय सेना ने चीन को पीछे हटने को मजबूर कर दिया, जिसका श्रेय अजय देवगन और शनि देवल को जाता है’ – कोई अगर ऐसा कहे तो आप क्या सोचेंगे? क्या ‘LOC कारगिल’ और ‘बॉर्डर’ से सेना के जवान लड़ना सीखते हैं? इसी तरह का काम यूट्यूबर ध्रुव राठी ने किया है। उनका कहना है कि भारतीय टीम के अच्छे प्रदर्शन का श्रेय शाहरुख़ खान को जाता है।
Gadar inspired Indian army to do surgical strike inside Pakistan. pic.twitter.com/9Ipu05o8MU
— अंकित जैन (@indiantweeter) August 2, 2021
ध्रुव राठी का कहना है कि हमारी पूरी जनरेशन शाहरुख़ खान की फिल्म ‘चक से इंडिया’ देखती हुई बड़ी हुई है। उनका यहाँ तक कहना है कि भारतीय महिला हॉकी टीम के अच्छे प्रदर्शन के लिए किसी से भी ज्यादा श्रेय इसी फिल्म को जाता है। उनका मानना है कि इस फिल्म ने महिलाओं को हॉकी खेलने के लिए प्रेरित किया। तो क्या पीवी सिंधु ने ‘ओम शांति ओम’ फिल्म में दीपिका पादुकोण को देख कर बैडमिंटन खेलना सीखा?
कोई भी इस तरह के प्रदर्शन का श्रेय खिलाड़ियों को देगा, टीम मैनेजमेंट को देगा, खिलाड़ियों के परिवार और कोच को देगा। लेकिन, ध्रुव राठी जैसे लोगों के लिए शाहरुख़ खान ही सब कुछ हैं। कल को ये लोग मेरी कौम की सफलता के लिए प्रियंका चोपड़ा और मिल्खा सिंह की लोकप्रियता के लिए फरहान अख्तर को क्रेडिट न दे दें। ये कहना वैसा ही है जैसे ‘ग़दर’ देख कर भारतीय सेना ने पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक की।