बिहार के सजायाफ्ता पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव वैसे स्वच्छंद तो स्वास्थ्य के आधार पर हैं, लेकिन आजकल अपने स्वास्थ्य से ज्यादा राजनीतिक बयानों को लेकर चर्चा में हैं। अचानक से फेसबुक फीड में उनके पुराने भाषण दौड़ रहे हैं। ट्विटर पर वीडियो धड़ाधड़ शेयर किए जा रहे हैं। मानो लालू जी कह रहे हों;
वो पुराने दिन
वो सुहाने दिन
आशिकाने दिन
ओस की नमी में भीगे
वो पुराने दिन
दिन गुजर गए
हम किधर गए
पीछे मुड़ के देखा पाया
सब ठहर गए…
जब देश में आम चुनाव नजदीक हो तो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर अपने नेता को प्रमोट करने के लिए कैंपेन चलाना बनता है। भले सजायाफ्ता हो, पर नेता तो नेता है, सो उसका सक्रिय होना भी बनता है। खुद मीडिया से बातचीत करते हुए लालू यादव कह भी चुके हैं कि अब वे पूरी तरह फिट हैं। अब इसे उनकी फिटनेस का सर्टिफिकेट मान अदालत ने उनकी कारागार वापसी के आदेश नहीं दिए तो 2024 के आम चुनाव जितने करीब आते जाएँगे लालू यादव की पॉलिटिकल फिटनेस आपको उतनी ही बढ़ती दिखेगी।
पटना में विपक्षी दलों के प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपनी फिटनेस का ऐलान करने वाले लालू यादव 6 जुलाई 2023 को दिल्ली में थे। मेडिकल चेकअप करवाने। व्हील चेयर पर बैठे-बैठे ही मीडिया से बतिया भी रहे थे। इसी दौरान उन्होंने कहा कि पीएम जो भी हो, उसे बिना पत्नी के नहीं रहना चाहिए। कोई भी प्रधानमंत्री बिना पत्नी के नहीं रहना चाहिए। बिना पत्नी के जो लोग पीएम आवास में रहते हैं, वह गलत है।
#WATCH | When asked about the PM face from Opposition & his earlier advice to Rahul Gandhi to get married, RJD chief Lalu Prasad Yadav says, "Whoever becomes the PM should not be without a wife. Staying at PM residence without a wife is wrong. This should be done away with..,"… pic.twitter.com/uh0dnzyoJk
— ANI (@ANI) July 6, 2023
इसके अलावा भी लालू यादव ने महाराष्ट्र से लेकर विपक्षी राजनीति तक कई सारी बातें की। पर उनका यह बयान चर्चा में आ गया। ठीक उसी तरह, जैसे पटना में विपक्षी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी से शादी करने के लिए कहा गया उनका ‘दुल्हा बनिए’ वाला बयान आया था।
लालू यादव के इस बयान की कई तरह से व्याख्या भी होगी। स्वनामधन्य राजनीतिक विश्लेषक इसमें भी कोई राजनीतिक दूरदर्शिता खोज लेंगे। कुछ इसे लालू जी का चुटीला अंदाजा बता नजरंदाज कर देंगे। कुछ सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर व्यक्तिगत हमला। पर दरअसल यह लालू जी का अनुभव है, जिसके आधार पर उन्होंने यह संदेश देना चाहा है कि नेताओं को चाहे वह प्रधानमंत्री हो या मुख्यमंत्री ही क्यों न हों, उन्हें बाल-बच्चेदार होना चाहिए।
जब पत्नी होगी तभी तो आप जेल जाते समय उसे अपनी कुर्सी दे सकते हैं। उसे एक राज्य की छाती पर बिठा सकते हैं। जैसे लालू जी ने राबड़ी देवी जी को बिठाया था। परिवार हो तभी तो आप पशुओं के आहार में भी घोटाले की संभावना खोज सकते हैं। जैसे लालू जी के राज में हुआ चारा घोटाला। जिससे जुड़े मामलों में वे दोषी करार भी दिए जा चुके हैं। परिवार होगा तभी तो आप उनके नाम पर जमीन लेकर जनता को नौकरी देंगे। जैसा लालू जी के रेल मंत्री रहते रेलवे में हुआ।
परिवार होता है तभी किसी व्यक्ति का साला सामानांतर सरकार बन जाता है। परिवार होता है तभी किसी की बेटी के ब्याह में शोरूम से गाड़ियाँ उठाई जाती हैं। परिवार होता है तभी राजनीतिक विरासत आगे बढ़ती है। जितना बड़ा परिवार करने को लेकर उतनी ही संभावनाएँ। ऐसे में यदि कोई ऐसा व्यक्ति पीएम या सीएम बन जाए, जिसके लिए कहा जा सके कि आगे नाथ न पीछे पगहा तो करने की सारी संभावनाएँ मृत हो जाती हैं। नील बट्टे सन्नाटा। फिर वह पीएम-सीएम कहेगा कि मेरा खुद का क्या। जो है देश के लिए है। देश की जनता के लिए है। जो है देश का है। देश की जनता का है। जिस दिन उनका आदेश होगा झोला उठाकर प्रस्थान कर जाऊँगा।
जैसा आज के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं। जबकि पहले वालों के साथ पत्नी होती थीं तो नौसेना के जहाजों पर पार्टी भी हो जाती थी। भ्रष्टाचार की फाइलें भी खुलती थी। एक पत्नी के प्रधानमंत्री आवास में न होने ने ही कई संभावनाओं को मृत कर रखा है। लालू जी सही कहते हैं, बिना पत्नी के प्रधानमंत्री आवास में किसी को नहीं होना चाहिए। उनका होना खाने की प्रेरणा है। खाने का आनंद है। जब तक पत्नी नहीं होगी प्रधानसेवक कहता रहेगा न खाऊँगा, न खाने दूँगा। इसलिए लालू जी के दर्द को समझिए। नहीं खा पाने की तड़प को बूझिए।