आदरणीय,
तेलंगाना गृहमंत्री महमूद अली जी,
हाल में हैदराबाद में 17 साल की नाबालिग के साथ हुए दुष्कर्म केस में आपका एक बयान सुना और आपको ये लघु पत्र लिखने का फैसला किया। मुझे नहीं मालूम आपने किस फ्लो में एक रेप केस पर बात करते हुए मीडिया के सामने ये कहा कि एडवांस जमाने के कारण गलतियाँ हो रही हैं जिसका आपको दुख है। लेकिन मुझे ये जरूर पता है कि जब आपके इस बयान पर सवाल होगा तो आप किसी न किसी ढंग से इसे जस्टिफाई कर ही देंगे।
साल 2019 में भी ऐसा ही हुआ था। प्रीति रेड्डी (बदला हुआ नाम) का केस शायद आपको याद होगा। एक डॉक्टर जिसे देर रात शमशाबाद में 4 हैवान उठाकर ले गए और दुष्कर्म के बाद उन्हें जलाकर मार डाला गया। अगले दिन उनके अंतर्वस्त्रों से उनकी शिनाख्त हुई थी। जब घटना का विरोध हुआ और मीडिया आपके पास दौड़ी-दौड़ी सवाल पूछने आई तो आपने जवाब दिया, “वो पढ़ी लिखी थी उसने बहन को क्यों कॉल किया, पुलिस को फोन करना चाहिए था।”
सच कहूँ तो इस नाबालिग रेप केस पर आपने जो मुँह पर दर्द भरे हाव-भाव के साथ संवेदनहीन बयान दिया है, उसे सुन मुझे कोई हैरानी नहीं हुई। साल 2019 में प्रीति रेड्डी पर जब आपकी राय सुनी थी तभी समझ आ गया था कि समाज के उन लोगों से इंसाफ माँगने की अपेक्षा क्यों जिन्हें रेप जैसे अपराध की गुनहगार पीड़िता ही लगे। घटना के तीन साल बाद आपने उस सोच को सही साबित किया। आज आपका फिर एक बयान आया है जिसमें आपने रेप केस को एडवांस जमाने से जोड़कर गलती दिखाने का प्रयास किया है।
बताइए आपसे आपके राज्य की जनता, खासकर महिलाएँ या लड़कियाँ क्या उम्मीद करें अपनी सुरक्षा को लेकर? क्या उम्मीद करें वो माता-पिता जिनकी बच्चियों को हैवान अपना निशाना बनाते हैं और वो चाहते हैं कि प्रशासन उन्हें न्याय दिलाए!
लड़कियों ने समय-समय पर अपने साथ हुई बर्बरता के बाद समाज के तमाम लांछन झेले। अभी भी हम उस मानसिकता से लड़ रहे हैं जहाँ रेप या दुष्कर्म के बाद लड़की के छोटे कपड़ों को दोषी बता दिया जाता है और लड़कों के किए गए अपराध को गलती से तोलकर कम दिखाने की कोशिश होती है। ऐसे समाज में लड़कियाँ अपनी सरकार, अपने नेताओं से अपेक्षा करती हैं कि उनके पक्ष में ऐसा स्टैंड लिया जाएगा जहाँ पर वो अपनी बात रख पाएँगी या अपने लिए न्याय की गुहार लगा पाएँगी। मगर सोचिए कि आप जैसे राजनेता उनको कौन सा माहौल देने पर आमादा है। वो माहौल जहाँ न केवल आधुनिकता के नाम पर लड़की को कोसा जाए बल्कि आधुनिकता के नाम पर लड़की के साथ हुए दुष्कर्म को जस्टिफाई करने की भी कोशिश हो।
दुख इस बात का है कि भारत में लड़कियों की सवाल पूछने की यह लड़ाई सिर्फ आपसे नहीं है। ऐसे कई राजनेता हैं जिन्हें दुष्कर्म एक गलती की तरह प्रतीत होता है और लड़की की आपबीती केवल कोई कहानी जैसी लगती है। रेप मामले में एडवांस जमाने को कोसना बिलकुल ऐसा है कि प्रत्यक्ष तौर पर लड़की पर सवाल न उठाकर अप्रत्यक्ष तौर से उसे जलील करने का प्रयास किया जा रहा हो।
आगे अगर ये सब चलते ही रहना है तो जवाब दे दीजिए कि उस 21वीं सदी में जब जमाना सोच से भी तेज गति से आगे बढ़ रहा है तो लड़कियाँ कहाँ खुद को सिर्फ इसलिए पीछे ढकेलती जाएँ कि आप जैसे लोग उनके कपड़ों पर, उनके चरित्र पर, वो जिस माहौल में रहती है उस पर, सवाल न खड़ा करके सीधे तौर पर अपराधी को दंड देने की बात करें।
मैं आखिर में ये याद दिलाना चाहती हूँ कि समाज द्वारा शब्दों के गढ़े गए मायाजाल में सालों से लड़कियाँ बदनाम हुई हैं, उनकी सीमाएँ तय हुई हैं, उन पर दबाव बने हैं। लेकिन माननीय मंत्री जी आपसे सवाल इसलिए है क्योंकि आपके ऊपर एक राज्य की जिम्मेदारी है। संविधान से चलने वाले देश में आप जनता के हर वर्ग के प्रतिनिधि हैं। व्यक्ति विशेष की अपनी मानसिकता किस गड्ढे में है इससे सामान्य जन का वास्ता नहीं है लेकिन संवैधानिक पद पर विराजमान आपकी सोच से हमारा लेनादेना है। इसलिए उम्मीद करते हैं कि आपको जल्द से जल्द उस पद की गरिमा का एहसास हो जहाँ आपकी जनता पर अत्याचार करने वाला आपको दंड के काबिल लगे न कि सहानुभूति के।