NDA (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के घटक दलों की बैठक शुक्रवार (7 जून, 2024) को नई दिल्ली में संपन्न हुई, जिसमें नरेंद्र मोदी को संसदीय दल का नेता चुन लिया गया। इस बैठक में सबका ध्यान नीतीश कुमार पर था, जो अब तक कई बार पलटी मार चुके हैं। 1998 से 2013 तक वो भाजपा के साथ रहे, फिर राजद के साथ मिल कर उन्होंने सरकार बना ली। 2017 में फिर भाजपा के साथ आ गए, 2019 का लोकसभा चुनाव भाजपा के साथ लड़े, फिर 2020 का चुनाव भाजपा के साथ लड़ने के बाद राजद के साथ चले गए। अब फिर से वो भाजपा के साथ आए हैं।
2024 का लोकसभा चुनाव में NDA को 40 में से 30 सीटें प्राप्त हुई हैं, जदयू-भाजपा दोनों ने 12-12 सीटों पर जीत दर्ज की। NDA की ताज़ा बैठक से पहले मीडिया में अटकलें थीं कि जदयू दबाव की राजनीति खेल रही है और रेल समेत कई मंत्रालय माँगे गए हैं। हालाँकि, जिस तरह से नीतीश कुमार ने इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पाँव छूने की कोशिश की और पीएम मोदी ने उन्हें रोकते हुए गले लगाया, उसके बाद स्पष्ट हो गया है कि जदयू और भाजपा में कम से कम फ़िलहाल के लिए तो कोई तनातनी नहीं है।
पाँव छुए, पीछे से जाने की कोशिश: नीतीश कुमार ने क्या-क्या कहा
एक और बात ध्यान देने लायक है कि मंच पर जब नीतीश कुमार बोलने के लिए जा रहे थे तो वो कुर्सी के पीछे से जाना चाहते थे, लेकिन पीएम मोदी ने हस्तक्षेप करते हुए उन्हें अपने से आगे से जाने के लिए कहा। इस गेस्चर को देख कर आप समझ सकते हैं कि दोनों के मन में एक-दूसरे के लिए कितना सम्मान है। इसके लिए हमें नीतीश कुमार के उस संबोधन को समझना होगा, जो उन्होंने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद के लिए समर्थन दिए जाने के राजनाथ सिंह के प्रस्ताव का अनुमोदन करते हुए उन्होंने कहा।
विपक्षियों को नीतीश कुमार ने दिया करारा जवाब…
— BJP (@BJP4India) June 7, 2024
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नीतीश कुमार ने NDA की इस बैठक में कहा कि उनकी पार्टी जदयू खुल कर भाजपा संसदीय दल के नेता नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को समर्थन देती है और ये बहुत ख़ुशी की बात है कि ये पिछले एक दशक से प्रधानमंत्री हैं और आगे भी बनने जा रहे हैं। उन्होंने इस दौरान बड़ी बात कही कि उन्हें भरोसा है कि हर राज्य का जो कुछ भी बचा हुआ है, इस कार्यकाल में PM नरेंद्र मोदी वो पूरा कर देंगे। उन्होंने साफ़ किया कि वो पूरे तौर पर आने वाले समय में पीएम मोदी के साथ रहेंगे।
नीतीश कुमार ने कहा, “जो कुछ भी है, और जिस तरह से आप करेंगे, बहुत अच्छा है। इस बार इधर-उधर जो लोग कुछ जीत गए हैं, अगली बार आप आइएगा तो ये लोग वो भी हारेंगे। इनलोगों ने बिना मतलब की बातें कर-कर के ये सब किया है। इन्होंने आज तक कोई काम नहीं किया है। देश की कोई सेवा नहीं की, लेकिन आपने सेवा की है और आपको मौका मिला है। आगे उनलोगों के लिए कोई गुंजाइश नहीं रहेगी, सब खत्म हो जाएगा। देश बहुत आगे बढ़ेगा, बिहार का भी जो कुछ बचा हुआ है सब कार्य हो ही जाएगा।”
नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार सबसे पुराना इलाका है, हम पूरे तौर पर हर तरह से आपके साथ हैं, आप जो चाहिएगा उसमें हम साथ देंगे। उन्होंने कहा कि सब कोई मिल कर चलेंगे, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ रहेंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को आगे बढ़ाएँगे। इस दौरान वो नरेंद्र मोदी के शपथग्रहण के लिए भी बेचैन दिखे और कहा कि जल्द से जल्द शपथग्रहण कर के काम शुरू करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसी में देश का फायदा है, कोई इधर-उधर करना भी चाहता है तो इसका कोई फायदा नहीं है।
बिहार को मिल सकता है विशेष पैकेज, तेज़ी से होंगे कार्य
नीतीश कुमार के संबोधन की 3 बड़ी बातें हैं – उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नेतृत्व खुल कर स्वीकार है, गठबंधन में सभी दल एकदम खुश हैं और बिहार को कुछ विशेष मिलना चाहिए। बता दें कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नीतीश कुमार की पुरानी माँग है। इस बार उन्होंने NDA की बैठक में खुद कर ऐसा नहीं कहा लेकिन उनका ‘जो कुछ भी बचा हुआ है’ वाला बयान इसी तरफ इशारा करता है। यानी, विशेष दर्जा न सही तो कम से कम विशेष पैकेज तो मिल जाए राज्य को।
आपको पीएम नरेंद्र मोदी का एक 2015 का भाषण याद होगा। तब उन्होंने जनता से पूछ कर बिहार को पैकेज दिया था। उन्होंने पूछा था कि 50,000 करोड़ दिया जाए या कितना दिया जाए? फिर वो 71,000 करोड़ तक पहुँचे, 75,000 करोड़ तक पहुँचे, फिर इसी तरह 80-90 तक पहुँच गए। फिर उन्होंने वादा किया कि बिहार को सवा लाख करोड़ रुपए का पैकेज दिया जाएगा। उन्होंने कहा था कि बिहार का भाग्य बदलने के लिए ये 1.25 लाख करोड़ रुपए दिए जाएँगे।
अब हो सकता है कि बिहार में डबल इंजन की सरकार है और सारी गलतफहमियाँ दूर हो गई हैं तो बिहार को सवा लाख करोड़ रुपए का पैकेज औपचारिक रूप से आवंटित कर दिया जाए। जहाँ तक मंत्रालय वगैरह की बात है, वो हर सत्ताधारी गठबंधन में चलता रहता है और भाजपा जब 2014-19 में पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में थी तब भी उसने गठबंधन सहयोगियों को मंत्रालय दिए थे। नीतीश कुमार ने अब तक परिपक्वता का परिचय दिया है इस चुनाव में, आगे भी ऐसा रहा तो ये बिहार के लिए बहुत अच्छी बात है।
बिहार में विकास कार्यों में तेज़ी आएगी। 2005-2013 तक बिहार 8 वर्षों तक जिस रफ़्तार से दौड़ा था, वो रफ़्तार वो फिर से पकड़ लेगा। केंद्र सरकार का सहयोग होगा तो परियोजनाएँ सही समय पर पूरी होंगी। बिहार को अधिक मंत्री मिलेंगे तो जनता का काम ज़्यादा होगा। संसद में प्रतिनिधित्व अच्छा रहेगा। 11 विपक्षी सांसद भी हैं राज्य में, ऐसे में बिहार की आवाज़ वो भी उठाएँगे ही। नीतीश कुमार ने प्रतीकात्मक रूप से जनता को ये सन्देश दे दिया है कि इस बार वो कहीं नहीं जाने वाले हैं और उनकी पार्टी पूरी तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ है।
नीतीश कुमार को लेकर बिहार में कुछ आक्रोश हो सकता है, लेकिन इसमें कोई शक नहीं है कि उनकी छवि बेदाग़ रही है। पश्चिम बंगाल के गैसल में जब ट्रेन हादसे में 300 लोग मारे गए थे तब रेल मंत्री रहे नीतीश कुमार ने इसकी नैतिक जिम्मेदारी देते हुए इस्तीफा दे दिया था। अगस्त 1999 का ये वीडियो आज तक वायरल होता है, जिसमें उन्होंने कहा था कि ये रेलवे की पूर्ण विफलता है, आपराधिक चूक है और इसीलिए वो इस्तीफा दे रहे हैं। लोग नीतीश कुमार को इसी छवि में देखना चाहते हैं।
2025 है चुनौती, गठबंधन का मौजूदा स्वरूप में रहना ज़रूरी
नीतीश कुमार ने एक तरह से साफ़ कर दिया है कि 2029 का लोकसभा चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। इसका सीधा अर्थ है कि 2025 में भाजपा, RLJP, HAM(S), RLM और JDU साथ मिल कर लड़ेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, चिराग पासवान, जीतन राम माँझी और उपेंद्र कुशवाहा साथ आ गए तो 2025 में तेजस्वी यादव के बढ़ते ग्राफ को रोका जा सकता है, क्योंकि RJD ने कॉन्ग्रेस और CPI(ML) के साथ मिल कर एक बड़ा वोट बैंक अपने लिए तैयार कर लिया है।
बिहार का फायदा अभी स्थिरता में है और ये स्थिरता तभी बनी रह सकती है जब मौजूदा गठबंधन केंद्र और राज्य में साथ-साथ काम करता रहे। 2013 से लेकर अब तक नीतीश कुमार के बार-बार पलटी मारने और तेजस्वी यादव के दो-दो बार उप-मुख्यमंत्री बन जाने के कारण ‘जंगलराज’ का ट्रेलर जनता ने देखा और बिहार में हो रहे कामकाज में अड़चन आई। नीतीश कुमार ने जो परिपक्वता दिखाई है NDA की बैठक में, शायद आगे भी यही स्थिति रहे तो बिहार के लिए बेहतर है।