15 अगस्त 2023 को भारत अपनी स्वतंत्रता की 77वीं वर्षगाँठ मना रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से राष्ट्र को संबोधित किया। यह बतौर प्रधानमंत्री उनका 10वाँ और उनके दूसरे कार्यकाल का आखिरी स्वतंत्रता दिवस संबोधन था। भले 15 अगस्त पर लाल किले से प्रधानमंत्री का संबोधन पारंपरिक होता हो, लेकिन पीएम मोदी ने इसके जरिए ही 2024 के आम चुनावों की लड़ाई की पिच भी तैयार कर दी है। साथ ही इन चुनावों के अंतिम नतीजों के संकेत भी दे दिए हैं।
90 मिनट के इस संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री ने अपने सरकार के कामकाज का हिसाब दिया। आँकड़ों के साथ उपलब्धियाँ गिनाई। ग्रामीण क्षेत्र में दो करोड़ ‘लखपति दीदी’ बनाने का स्वप्न दिखाया। ‘विश्वकर्मा योजना’ लाने की घोषणा की। अगले 5 साल में भारत को दुनिया की तीन सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में शामिल करने की गारंटी दी। मध्यमवर्ग के ‘अपना घर’ के स्वप्न को साकार करने के लिए बैंक लोन में रियायत का वादा किया। विपक्ष का नाम लिए बिना परिवारवाद, भ्रष्टाचार और तुष्टिकरण को ‘बीमारी’ बताते हुए भारतीय लोकतंत्र को इनसे मुक्ति दिलाने की अपील की।
एक तरफ उन्होंने विपक्षी दलों के ‘परिवारवाद’ पर निशाना साधा, दूसरी तरफ ‘परिवारजन’ संबोधन से देश के लोगों को यह बताने की कोशिश की कि उनके लिए पूरा देश ही परिवार है। वे जो कुछ कर रहे हैं इसी परिवार के लिए कर रहे हैं। यही कारण है कि उनके संबोधन के दौरान 48 बार ‘परिवारजन’ शब्द का जिक्र आया। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि 2024 की राजनीतिक लड़ाई में यह शब्द बार-बार सुनाई पड़ सकता है। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में 12 बार युवा तो 35 बार महिलाओं का जिक्र किया। साथ ही अपनी सरकार की मजबूती को बताने के लिए 43 बार सामर्थ्य और 19 बार संकल्प शब्द का उपयोग किया।
एक तरफ प्रधानमंत्री ने 1000 साल की गुलामी की चर्चा करते हुए राष्ट्रवाद के एजेंडे को धार दी। वहीं दूसरी तरफ लोगों को यह भी बताने की कोशिश की कि उनका आज का फैसला भारत के अगले हजार साल की तकदीर लिखेगा। संकेतों में उन्होंने आम चुनावों के लिए जनता से आशीर्वाद की अपील की। साथ ही देश के मूड का संकेत देते हुए यह भी कहा, “2047 के सपने को साकार करने का सबसे बड़ा स्वर्णिम पल आने वाले 5 साल हैं। अगली बार 15 अगस्त को इसी लाल किले से मैं आपको देश की उपलब्धियाँ, आपके समार्थ्य, आपके संकल्प उसमें हुई प्रगति, उसकी जो सफलता है, उसके गौरवगान उससे भी अधिक आत्मविश्वास के साथ, आपके सामने में प्रस्तुत करूँगा।”
2014 और 2019 में मिले जनादेश का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने 2024 में वापसी के एक और संकेत देते हुए यह भी कहा, “जिसका शिलान्यास हमारी सरकार करती है, उसका उद्घाटन भी हम अपने कालखंड में ही करते हैं। इन दिनों मैं जो शिलान्यास कर रहा हूँ, उनका उद्घाटन भी मेरे नसीब में है।”
दिलचस्प यह है कि हाल ही में संपन्न हुए संसद के मॉनसून सत्र के दौरान विपक्षी दलों ने जिन-जिन मुद्दो पर हंगामा कर सदन की कार्यवाही में व्यवधान डाला था, एक-एक कर उन सभी मुद्दों पर देश के सामने प्रधानमंत्री ने लाल किले से अपनी सरकार का पक्ष रखा है। ऐसे में भले आज 2024 के आम चुनाव दूर दिख रहे हों, उससे पहले कई राज्यों में विधानसभा के चुनाव भी होने हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि इन सभी राजनीतिक लड़ाइयों की लकीर पीएम ने अपनी ओर से खींच दी है। अंतिम नतीजे तो 2024 में ही पता चलेंगे, लेकिन यह आगे बढ़कर लड़ाई की दशा और दिशा तय करने की नरेंद्र मोदी की काबिलियत ही है कि वे गुजरात से लेकर केंद्र तक अजेय बने हुए हैं। इतने सालों बाद भी विपक्ष उनके सामने निस्तेज और दिशाहीन दिखता है।