उत्तर प्रदेश चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा है लड़ाई रोचक होती जा रही है। जहाँ एक तरफ अयोध्या में राम मंदिर, वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर और मथुरा में भी भगवान श्रीकृष्ण के भव्य मंदिर निर्माण की तरफ इशारा करके मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार बढ़त बनाते हुए राज्य में क्लीन स्वीप करते नजर आ रहे हैं। वहीं प्रदेश में हासिए पर जाती समाजवादी पार्टी सहित दूसरी विपक्षी पार्टियाँ भी अब मुस्लिम तुष्टिकरण का लेवल खुद से साफ़ करने में लगी हैं। ऐसे में हिन्दुओं को लुभाने के लिए खुलकर धार्मिक आधार पर राजनीतिक समीकरणों के लिए बिसात बिछाती नजर आ रही हैं।
कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी के यूपी में लगातार दौरों और विकास परियोजनाओं के लोकार्पण और शिलान्यास से प्रदेश में सत्ता में CM योगी की पकड़ और भी मजबूत हो गई है और 1985 के बाद प्रदेश के इतिहास में दोबारा उनका मुख्यमंत्री बनना लगभग तय है। ऐसे में वापसी का सपना देख रही सपा की इस कदर नींदे उड़ गईं हैं कि अखिलेश यादव दिन में भी सपने देखते नजर आ रहे हैं। इसी का नतीजा है कि अखिलेश यादव ने यह दावा भी कर डाला है कि भगवान कृष्ण रोज उनके सपने में आते हैं और समाजवादी पार्टी की सरकार बनने की बात करते हैं, जो राम राज्य लाएगी।
#WATCH | “Lord Sri Krishna comes to my dream every night to tell me that our party is going to form the government,” said Former UP CM and Samajwadi Party chief Akhilesh Yadav yesterday pic.twitter.com/rmq1p8XgwT
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) January 4, 2022
यही वजह है कि मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करने वाली समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव को सपने में कभी कृष्ण तो कभी राम नजर आ रहे हैं यहाँ तक कि ब्राह्मणों को लुभाने के अंतिम प्रयास के रूप में उन्हें भगवान परशुराम के फरसे से भी परहेज नहीं है।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने आज पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के गोसाईंगज के पास स्थित महुराकलां गांव में नवनिर्मित भगवान परशुराम मंदिर में पूजा अर्चना के साथ आरती की। https://t.co/TiuYo1wiEX pic.twitter.com/1oom6AvznL
— Samajwadi Party (@samajwadiparty) January 2, 2022
कुल मिलाकर इस बार यूपी चुनाव में राजनीतिक समीकरण बेहद दिलचस्प हो गए हैं। यही वजह है कि अब तक यादवों और मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करने वाले अखिलेश इस बार परशुराम के मंदिर और उनके फरसे का अनावरण करते हुए नजर आ रहे हैं। यही नहीं कभी आज़म खान के दबाव में पंचकोसी यात्रा रुकवाने और राम मंदिर के लिए एक बैठक में शामिल होने वाले गृहसचिव को निलंबित करने वाले अखिलेश खुद वैदिक मंत्रोच्चार के साथ भगवान परशुराम की पूजा और आशीर्वाद लेकर चुनावी बिगुल भी फूँकते नजर आ रहे हैं। वर्ना सपा की शाही सवारी कभी पूरी तरह मुस्लिमों पर मेहरबान रही है।
सपा के इस मुखौटे को बेनकाब करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूर्व सीएम अखिलेश यादव जवाहरबाग याद दिला दी। उनके ‘श्रीकृष्ण के सपने’ वाले बयान पर अलीगढ़ में तंज कसते हुए कहा, “जब हम यहाँ पर खुद उपस्थित होकर इस विद्युत् परियोजना का लोकार्पण कर रहे हैं तो लखनऊ में कुछ लोगों के सपने में भगवान कृष्ण आ रहे होंगे और कह रहे होंगे कि अरे अपनी नाकामयाबियों पर अब तो रोओ। जो काम तुम नहीं कर पाए वो बीजेपी की सरकार ने कर दिया। भगवान कृष्ण आज उनको कोस रहे होंगे। भगवान कृष्ण ने उन्हें ये भी जरूर कहा होगा कि जब तुम्हें सत्ता मिली थी तब मथुरा, वृंदावन, बरसाना, गोकुल, बलदेव के लिए कुछ नहीं कर पाए लेकिन वहाँ पर कंस को पैदा करके जवाहरबाग की घटना जरूर करवा दी थी।”
भगवान कृष्ण आज उनको कोस रहे होंगे। भगवान कृष्ण ने उन्हें ये भी जरूर कहा होगा कि जब तुम्हें सत्ता मिली थी तब मथुरा, वृंदावन, बरसाना, गोकुल, बलदेव के लिए कुछ नहीं कर पाए लेकिन वहां पर कंस को पैदा करके जवाहरबाग की घटना जरूर करवा दी थी: योगी आदित्यनाथ, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 4, 2022
अखिलेश के इस रूप को देखकर कोई इसे उनकी हताशा से जोड़ रहा है तो कोई इसे मौजूदा माहौल में सपा का अस्तित्व बचाने की आखिरी लड़ाई के रूप में भी देख रहा है। जिस तरह से यूपी में माहौल हिन्दूमय और हिन्दू अस्मिता पर केंद्रित होता नजर आ रहा है। ऐसे में कारसेवकों पर गोली चलवाने वाली, भगवान राम के अस्तित्व को नकारती पार्टी भी अयोध्या में एक साल में भगवान राम का भव्य मंदिर बनवाने का दावा करती नजर आए तो इसे क्या कहा जाए। अखिलेश यादव की इसी बौखलाहट पर तंज कसते हुए भाजपा के कैलाश विजयवर्गीय, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या ने भी जबरदस्त तंज कसा है।
यूपी की राजनीति अब एक नए मोड़ पर है जहाँ एक तरफ कॉन्ग्रेस यूपी में साफ होती नजर आ रही है और बाकी पार्टियाँ भी कोई खास करामात करती नजर नहीं आ रही हैं वहीं अपने मुस्लिम वोटों को दाव पर लगाकर अखिलेश यादव का एक हाथ में परशुराम का फरसा तो दूसरे हाथ में भगवान कृष्ण का सुदर्शन चक्र लेना भी सपा के आखिरी दाव के रूप में देखा जा रहा है। जिसके पीछे कहीं न कहीं मीडिया द्वारा चलाया गया वह नैरेटिव भी है कि ब्राह्मण समुदाय के लोग भाजपा की वर्तमान सरकार से नाराज हैं। ऐसे में अखिलेश यादव इस वर्ग को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं।
बता दें कि अलग-अलग आँकड़ों में यूपी में ब्राह्मणों की आबादी 9 से 12 फीसदी तक बताई जाती रही है, जो सवर्णों में सबसे ज्यादा है। ऐसे में सपा इस अहम वर्ग को साधने की कोशिश में है। कहा जा रहा है कि 2007 में मायावती की सोशल इंजीनियरिंग, 2012 में अखिलेश यादव को मिली सफलता और फिर 2017 में भाजपा के पूर्ण बहुमत में आने के पीछे ब्राह्मण समुदाय की अहम भूमिका रही है।
ऐसे में यूपी की राजनीति को समझने वालों का मानना है कि अखिलेश यादव ने फरसा और चक्र के जरिए जातिगत राजनीति को साधने का प्रयास किया है। दरअसल अखिलेश पहले भी कई बार खुद को कृष्ण का वंशज बताते हुए यादव बिरादरी को लुभाने के साथ ही भगवान कृष्ण का मंदिर बनाने की बात भी कह चुके हैं।
यही वजह है कि अखिलेश यादव इस चुनाव में मुस्लिमों को अपना परंपरागत वोट मानते हुए कृष्ण के जरिए यादवों को, राम मंदिर के जरिए हिन्दू और ओबीसी समुदाय को तो वहीं परशुराम के जरिए ब्राह्मणों को साधने में लगे हैं। अपने इस बदले हुए रूप से वह यह संदेश भी देना चाहते हैं कि समाजवादी पार्टी महज यादव और मुस्लिम वर्ग की ही पार्टी नहीं है। ऐसे अब यह यूपी चुनाव में ही तय होगा कि उनकी इस कोशिश में भगवान कृष्ण का सुदर्शन चक्र, राम राज्य और परशुराम का फरसा कितना फिट बैठते हैं।