Friday, November 22, 2024
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‘हिंदुत्व ताकतों’ से लेकर ‘RSS की साजिश’ तक, कसाब को कलावा वाला ‘समीर’ बनाने में पाकिस्तान ही नहीं कॉन्ग्रेस का भी हाथ: तुष्टिकरण देख अमेरिका भी रह गया था हैरान

उज्जवल निकम ने कहा कि वो ऐसे बेबुनियाद आरोप से दुःखी हैं जिससे उनकी ईमानदारी पर प्रश्नचिह्न लगाया जा रहा है। उन्होंने इसे मुंबई हमले के मृतकों का अपमान बताते हुए कहा कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि राजनेता इस हद तक गिर जाएँगे, राजनीतिक लाभ के लिए इस तरह की हरकत की जाएगी।

2008 में जब 26/11 का मुंबई हमला हुआ था और 166 लोगों को अपनी जान गँवानी पड़ी थी, उस समय केंद्र में UPA की सरकार थी और सोनिया गाँधी ‘सुपर PM’ हुआ करती थीं। इन हमलों को लेकर दुनिया को कॉन्ग्रेस की गठबंधन सरकार सबूत दिखाती रह गई, पाकिस्तान अपनी थेथरई पर कायम रहा। दिग्विजय सिंह जैसे नेताओं ने इसे RSS की साजिश बताया। इसी तरह महाराष्ट्र में कॉन्ग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार रह-रह कर इन हमलों में ‘हिन्दू आतंकवाद’ खोजते हैं।

मुस्लिम तुष्टिकरण कॉन्ग्रेस की पहचान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार लोकसभा चुनाव 2024 के प्रचार के दौरान अपनी जनसभाओं में कॉन्ग्रेस पर निशाना साधते हुए कह रहे हैं कि पार्टी की विचारधारा ‘मुस्लिम लीग’ वाली हो गई है। इसका कारण ये है कि कॉन्ग्रेस पार्टी ने बिना मुस्लिमों का नाम लिए अपने घोषणा-पत्र में ये इंगित कर दिया है कि वो मुस्लिम समाज का आरक्षण बढ़ाएगी। इतना ही नहीं, पार्टी पर आरोप है कि इसके लिए वो SC, ST और OBC समाज का आरक्षण भी छीन लेगी। पीएम मोदी इसके खिलाफ मुखर हैं।

ये हुई कॉन्ग्रेस की मुस्लिम तुष्टिकरण की बात। वैसे इसमें कुछ भी नया नहीं है, यूपीए काल में भी सांप्रदायिक हिंसा को लेकर एक बिल लाया गया था जो अगर कानून बन जाता तो हर एक दंगे में हिन्दुओं को ही सज़ा होती और मुस्लिम सब कुछ कर के भी बच निकलते। देश का सौभाग्य रहा कि ये बिल कानून का रूप नहीं ले पाया और इसका जम कर विरोध हुआ। कर्नाटक जैसे राज्यों में कॉन्ग्रेस सरकार ने पहले से ही पिछड़ों के कोटा में मुस्लिमों को आरक्षण दे रखा है।

26/11 मुंबई हमला: पाकिस्तान की साजिश, कॉन्ग्रेस का साथ

अब आते हैं 26/11 मुंबई हमले पर, जिसमें द ताजमहल पैलेस होटल, लियोपोल्ड कैफे, छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, ओबेरॉय ट्रिडेंट, कामा हॉस्पिटल, नरीमन हाउस, मेट्रो सिनेमा और सेंट जेवियर्स कॉलेज को पाकिस्तान से आए 10 आतंकियों ने निशाना बनाया था। उनमें से 9 को मार गिराया गया, लेकिन तुकाराम ओम्बाले जैसे बहादुर कॉन्स्टेबल के बलिदान के कारण अजमल कसाब पकड़ा गया। अजमल कसाब अगर गिरफ्तार नहीं होता तो शायद सारे सबूत होने के बावजूद इस घटना को ‘भगवा आतंकवाद’ का तमगा दे दिया जाता और कोई कुछ नहीं कर पाता।

पाकिस्तान की भी तो यही तैयारी थी, जो कॉन्ग्रेस पार्टी ने किया। अजमल कसाब को ‘समीर दिनेश चौधरी’ नाम दिया गया था, उसकी पहचान बेंगलुरु के एक छात्र की बनाई गई थी और उसे कलावा पहनाया गया था। ये सब इसीलिए, ताकि वो हिन्दू दिखे। IPS (रिटायर्ड) राकेश मारिया ने भी बताया था कि कैसे अगर पाकिस्तान की साजिश सफल हो जाती तो सारे अख़बार ‘हिन्दू आतंकवाद’ की सुर्ख़ियों से भर जाते और बेंगलुरु में अजमल कसाब के कथित परिवार को खोजने और उनका इंटरव्यू लेने के लिए मीडिया वालों की लाइन लगती।

अजमल कसाब को ‘अरुणोदय डिग्री कॉलेज’ के छात्र की नकली पहचान दी गई थी। वो हमले से कुछ दिन पहले सिद्धिविनायक मंदिर भी पहुँचा था, वहाँ तस्वीरें क्लिक करवाई थी और 15-20 कलावा खरीदे थे। उसने पाकिस्तान जाकर साजिशकर्ता साजिद मीर को ये सारा कलावा दिया था और उसे भी लगा कि ये एक अच्छा विचार है। सोचिए, अगर अजमल कसाब नहीं पकड़ा जाता तो फिर पाकिस्तान की साजिश सफल हो जाती, कॉन्ग्रेस का साथ उसे मिल तो रहा ही था।

कौन हैं विजय वडेट्टीवार, मुंबई हमलों पर क्यों उनका बयान निंदनीय

आगे बढ़ने से पहले जान लेते हैं कि विजय नामदेवराव वडेट्टीवार कौन हैं और उन्होंने कहा क्या है। वो कॉन्ग्रेस के नेता हैं, जिन्हें पार्टी ने महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाया है। कॉन्ग्रेस से वो दशकों से जुड़े हुए हैं, 1980 में उन्होंने पार्टी के छात्र संगठन NSUI से अपनी राजनीति की शुरुआत की थी। 90 के दशक की शुरुआत में गढ़चिरौली से जिला परिषद सदस्य रहे हैं, फिर 2010 में चंद्रपुर स्थित डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव सेन्ट्रल बैंक के अध्यक्ष रहे।

1998 में वो MLC बने थे। इससे पहले 2019 में भी वो विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे हैं। चंद्रपुर स्थित ब्रह्मपुरी से लगातार दूसरी बार विधायक हैं। उद्धव ठाकरे की MVA सरकार में उनके पास एक दर्जन मंत्रालय थे। खैर, ये सब बताने का कारण ये है कि बयान कॉन्ग्रेस के किसी छुटभैये नेता की तरफ से नहीं आया है। उन्होंने कहा है कि IPS हेमंत करकरे की जिस गोली से हत्या हुई वो अजमल कसाब या अन्य आतंकियों नहीं बल्कि एक RSS को समर्पित पुलिस अधिकारी के हथियार से चली थी।

असल में वो अधिवक्ता उज्जवल निकम पर निशाना साध रहे थे। वो उज्ज्वल निकम ही थे जिन्होंने अजमल कसाब को फाँसी के फंदे तक पहुँचाया था। उस समय वो महाराष्ट्र के स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर थे, अब भाजपा ने उन्हें मुंबई नॉर्थ-सेन्ट्रल से लोकसभा उम्मीदवार बनाया है। दिवंगत दिग्गज नेता प्रमोद महाजन की बेटी पूनम महाजन की जगह उन्हें लाया गया है। उज्जवल निकम ने कई आतंकियों को आजीवन कारावास और फाँसी की सज़ा दिलाई है। लेकिन, कॉन्ग्रेस नेता विजय नामदेवराव वडेट्टीवार उन्हें ‘देशद्रोही’ कहते हैं।

भाजपा ने इस बयान का करारा जवाब दिया है। महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि कॉन्ग्रेस अजमल कसाब का पक्ष ले रही है। वहीं उज्जवल निकम ने कहा कि वो ऐसे बेबुनियाद आरोप से दुःखी हैं जिससे उनकी ईमानदारी पर प्रश्नचिह्न लगाया जा रहा है। उन्होंने इसे मुंबई हमले के मृतकों का अपमान बताते हुए कहा कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि राजनेता इस हद तक गिर जाएँगे, राजनीतिक लाभ के लिए इस तरह की हरकत की जाएगी।

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने भी पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि कॉन्ग्रेस के लिए पाकिस्तान से दुआएँ आने के पीछे का कारण समझ में आ गया है, पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेता पाकिस्तान को 26/11 पर क्लीन चिट दे रहे हैं। शहजाद पूनावाला ने कहा कि उज्जवल निकम ने राष्ट्रहित में वकालत का इस्तेमाल किया, उन्हें ‘देशद्रोही’ कहा जा रहा है। उन्होंने कहा कि नक्सलियों को ‘बलिदानी’ कहने वाले, सेना को ‘बलात्कारी’ कहने वाले और आतंकियों की मौत पर आँसू बहाने वाले असली देशद्रोही हैं।

बता दें कि पाकिस्तान के पूर्व मंत्री चौधरी फवाद हुसैन ने राहुल गाँधी का समर्थन करते हुए उन्हें समाजवादी बताया है। राहुल गाँधी लगातार सत्ता में आने के बाद सबकी संपत्ति की जाँच और बँटवारे का वादा कर रहे हैं, जिस पर पलटवार करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि लोगों की गाढ़ी कमाई से बने घर और महिलाओं के मंगलसूत्र पर कॉन्ग्रेस की नज़र है, सबका सर्वे कर के छीन लिया जाएगा। अब पाकिस्तान की तरफ से भी कॉन्ग्रेस को खुलेआम समर्थन मिल रहा है।

अमेरिका ने भी माना था – 26/11 पर कॉन्ग्रेस ने की मजहबी राजनीति

यहाँ तक कि अमेरिका के एक लीक हुए केबल से भी खुलासा हुआ था कि 166 लोगों की लाशों पर कॉन्ग्रेस पार्टी ने मजहबी राजनीति का घिनौना खेल खेला। तब अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय एंट्री रहे AR अंतुले ने हमले के कुछ ही दिनों बाद कहा था कि इसके पीछे ‘हिंदुत्व ताकतों’ का हाथ है। 23 दिसंबर, 2008 को अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट को भेजे गए केबल में एम्बेस्डर डेविड मुल्फोर्ड ने कहा था कि एआर अंतुले के दावों को भारत के मुस्लिम समुदाय में समर्थन भी मिला।

उन्होंने ये भी लिखा था कि आगामी लोकसभा चुनावों में मुस्लिम समाज के समर्थन के लिए कॉन्ग्रेस ने ‘कंस्पिरेसी थ्योरी’ को हवा दी। मुस्लिम समाज में ये भय बिठा दिया गया कि उन्हें पक्षपात कर के निशाना बनाया जा रहा है, जाँच एजेंसियाँ सच्चाई दबाने के लिए ये सब कर रही है। अमेरिका तक ने माना था कि कॉन्ग्रेस जाति-मजहब की राजनीति करती है, जानबूझकर AR अंतुले की टिप्पणी का सहारा लेकर मुस्लिम समाज में माहौल बनाने की कोशिश की गई, ये सब अचानक नहीं हुआ या फिर बिना सोचे-समझे नहीं किया गया।

इसी तरह पाकिस्तान के विश्लेषक ज़ैद हामिद ने एक पूरी की पूरी किताब लिख कर मुस्लिम हमलों को हिन्दुओं की साजिश बता दिया। दुनिया भर के शीर्ष 500 मुस्लिमों में शुमार किए जा चुके ज़ैद हामिद ने हिन्दुओं की तुलना यहूदियों से की। उसने अजमल कसाब को ‘अमर सिंह’ नाम का एक सिख बता दिया और कहा कि वो R&AW के लिए जासूसी करता था। भारत के कॉन्ग्रेस नेताओं ने एक तरह से ज़ैद हामिद जैसों का काम और आसान ही कर दिया।

पुलवामा पर भी कॉन्ग्रेस पार्टी का था वही रुख

हम 26/11 पर ही क्यों रुके रहें? पुलवामा हमला, जिसमें फरवरी 2019 में 40 CRPF जवान बलिदान हो गए थे, उसे लेकर कॉन्ग्रेस ने जो संवेदनहीनता दिखाई उसकी चर्चा भी आवश्यक है। जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक, जो पद से हटते ही विपक्ष की गोद में खेलने लगे, उन्होंने दावा किया था कि केंद्र सरकार ने एयरक्राफ्ट नहीं दिए इसीलिए जवान बलिदान हुए। इस बयान को आधार बना कर कॉन्ग्रेस पार्टी ने देश भर में प्रदर्शन किया।

पंजाब के उप-मुख्यमंत्री रहे सुखजिंदर सिंह रंधावा ने पुलवामा हमले को भाजपा की साजिश तक बता दिया। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव जीतने के लिए पुलवामा का हमला कराया गया। राहुल गाँधी ने तो पुलवामा हमले को पाकिस्तान और PM नरेंद्र मोदी के बीच की ‘मैच फिक्सिंग’ तक करार दिया था। कॉन्ग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू जाकर पाकिस्तान के सेना प्रमुख से गले मिल रहे थे, लेकिन कॉन्ग्रेस पुलवामा में भाजपा की साजिश देख रही थी।

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अनुपम कुमार सिंह
अनुपम कुमार सिंहhttp://anupamkrsin.wordpress.com
भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

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