5 राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में सिर्फ एक से ही कॉन्ग्रेस के लिए अच्छी खबर आई है और वो है – तेलंगाना। तेलंगाना के गठन के बाद से ही वहाँ BRS सत्ता में थी। बता दें कि BRS (भारत राष्ट्र समिति) का नाम पहले TRS (तेलंगाना राष्ट्र समिति) हुआ करता था, लेकिन मुख्यमंत्री KCR (कलवाकुन्तला चंद्रशेखर राव) की राष्ट्रीय राजनीति की महत्वकांक्षाओं के कारण इसका नाम दिसंबर 2022 में BRS कर दिया गया था। हालाँकि, अब अपने ही राज्य में उनकी ऐसी दुर्गति हो गई है कि दिल्ली तो एकदम दूर है।
तेलंगाना के विधानसभा चुनावों की बात करें तो कॉन्ग्रेस 64 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी है। बहुमत के लिए 60 सीटों की आवश्यकता होती है, ऐसे में उसका सरकार बनाना तय है। वहीं पिछले 10 वर्षों से वहाँ सत्ता में रही BRS 39 सीटों पर सिमट गई है। भाजपा की बात करें तो पहले वहाँ उसका एक ही विधायक था लेकिन अब 8 हैं। वहीं हैदराबाद की 8 में से 7 सीटें AIMIM ने अपने पास रखी, जो पहले से ही उसके पास थी। हैदराबाद की एकमात्र सीट भाजपा जीतती रही है जो है गोशामहल – वहाँ से राजा सिंह ने बतौर MLA हैट्रिक लगाई है।
तेलंगाना में BRS और AIMIM एक समझौते के तहत चुनाव लड़ती रही है। हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी के साथ के कारण BRS को मुस्लिम वोटों का भी फायदा मिलता रहा है। हैदराबाद के मुस्लिम वोटर तो AIMIM के साथ रहते ही हैं। लेकिन, इस चुनाव में ऐसा प्रतीत होता है कि मुस्लिम वोटरों ने कॉन्ग्रेस को प्राथमिकता दी, BRS-AIMIM की जगह। इस चुनाव में कॉन्ग्रेस का मत प्रतिशत 39.40 रहा तो वहीं BRS को 37.35% वोट मिले।
KCR ने किया था ‘मुस्लिम IT पार्क’ का वादा
दोनों पक्षों ने मुस्लिम वोटरों को लुभाने की पूरी कोशिश की। KCR ने तो यहाँ तक वादा किया था कि मुस्लिमों के लिए अलग से IT पार्क बनवाया जाएगा। उन्होंने हैदराबाद के पास पहाड़ीशरीफ में मुस्लिमों के लिए ये आईटी पार्क बनवाने की बात कही थी, अगर बीआरएस सत्ता में लौटती है तो। उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान कॉन्ग्रेस पर मुस्लिमों को सिर्फ वोट बैंक समझने और उनके विकास के लिए कोई काम न करने का आरोप लगाया। यहाँ तक कि उन्होंने शिक्षा एवं रोजगार में मुस्लिमों के आरक्षण को 12% तक करने की घोषणा कर डाली।
उन्होंने मुस्लिमों के लिए ‘शादीखाना’ तैयार करने की घोषणा की। सिर्फ मुस्लिमों के लिए 296 आवासीय विद्यालय खोले। यानी, उन्होंने राज्य की 13% जनसंख्या पर 12,000 करोड़ रुपए अलग से खर्च करना पड़ा। अब ये भी साफ़ हो गया है कि I.N.D.I. गठबंधन में भी BRS को कोई एंट्री नहीं मिलेगी। लोकसभा चुनावों में पार्टी की स्थिति और कमजोर होगी, क्योंकि मुस्लिम वोटों के लिए मारामारी और तेज़ होगी। हालाँकि, मुस्लिम वोटरों के रुख से साफ़ है कि वो 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले कॉन्ग्रेस को मजबूत करना चाहती है ताकि वो भाजपा के खिलाफ लड़ाई में आ सके।
वो मुस्लिम लड़कियों के लिए ‘शादी मुबारक’ नामक योजना लेकर आए, जिसके तहत उन्हें शादी के लिए वित्तीय मदद दी जाती है। उन्होंने पुराने हैदराबाद के विकास को तुर्की की राजधानी इस्ताम्बुल की तर्ज पर करने की बात कही थी। चुनाव से पहले जमात-ए-इस्लामी के राज्य अध्यक्ष हामिद मोहम्मद खान ने कहा था कि हमारे पास इसका कोई कारण नहीं है कि हम BRS को समर्थन देना जारी रखें। उन्होंने पार्टी पर संसद में मुस्लिम विरोधी बिल्स के समर्थन का आरोप लगाया।
बता दें कि तीन तलाक के खिलाफ आए बिल के दौरान KCR की पार्टी वोटिंग से अनुपस्थित रही थी। वहीं जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के पूर्व राज्य अध्यक्ष हाफिज पीर सब्बीर अहमद ने भी BRS पर मुस्लिमों को 12% आरक्षण के मुद्दे पर मुस्लिमों से वादाखिलाफी का आरोप लगाया था। तेलंगाना में मुस्लिमों की 13% जनसंख्या है। राहुल गाँधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ भी तेलंगाना में मुस्लिमों के प्रभाव वाले इलाकों से गुजरी। इस बार ओवैसी की पार्टी ने 9 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, वहीं बाकी सभी सीटों पर BRS का समर्थन किया था।
कॉन्ग्रेस ने मुस्लिम वोटरों को साधने के लिए बनाई विशेष रणनीति
इसके बावजूद मुस्लिम वोटरों ने KCR को अपनी पहली पसंद नहीं बनाया, जबकि ओवैसी 9 में से 7 सीटें जीतने में कामयाब रहे। जहाँ एक तरफ KCR मुस्लिम तुष्टिकरण में डूबे हुए थे, वहीं कॉन्ग्रेस ने भी मुस्लिम वोटरों को रिझाने के लिए कम प्रयास नहीं किए। कर्नाटक के आवासन एवं अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ज़मीर अहमद खान को तेलंगाना में मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने के लिए लगाया था। उन्होंने 28 दिन तेलंगाना में रह कर मुस्लिम समुदाय के नेताओं, चिंतकों और पार्टी के मुस्लिम नेताओं के साथ एक के बाद एक बैठकें की।
उन्होंने कई रैलियाँ भी मुस्लिमों के प्रभाव वाले इलाकों में की। 49 सीटों पर उन्होंने मुस्लिमों को कॉन्ग्रेस के पक्ष में ध्रुवीकृत करने के लिए खूब प्रयास किए। उन्होंने कॉन्ग्रेस महासचिव KC वेणुगोपाल के साथ मिल कर रणनीतियों पर विचार-विमर्श किया और वो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से भी लगातार संपर्क में थे। BRS और AIMIM के कई नेताओं को भी इस रणनीति के तहत कॉन्ग्रेस में लाया गया। कर्नाटक के कई अन्य मुस्लिम नेताओं को भी तेलंगाना में लगाया गया था।
यही सब कारण रहे कि ग्रेटर हैदराबाद को छोड़ दें तो तेलंगाना के लगभग हर जिले में मुस्लिम वोट कॉन्ग्रेस को मिले। हैदराबाद के गोशामहल जहाँ से फायरब्रांड हिन्दू नेता राजा सिंह जीतते रहे हैं, वहाँ से ओवैसी ने कोई प्रत्याशी नहीं उतारा। वहीं जुबली हील्स क्षेत्र में BRS प्रत्याशी के रहते हुए कॉन्ग्रेस उम्मीदवार अज़हरुद्दीन के सामने अपना प्रतयषी उतारा। नतीजा ये हुआ कि यहाँ से कॉन्ग्रेस को हार मिली। हालाँकि, कॉन्ग्रेस ने इसे इस तरह से प्रचारित किया था कि मुस्लिम वोटों को जानबूझकर विभाजित किया जा रहा है।
इसीलिए, ये कहा जा सकता है कि असदुद्दीन ओवैसी ने अपने हैदराबाद का गढ़ तो जैसे-तैसे बचा लिया लेकिन बाकी के तेलंगाना में वो अपने मित्र KCR को मुस्लिम वोट ट्रांसफर नहीं करा सके। तभी ज़मीर अहमद खान ने भी कहा कि कॉन्ग्रेस की गारंटी योजनाओं के अलावा 49 सीटों के लिए ‘मुस्लिम थिंक टैंक’ के साथ मिल कर चुनावी रणनीति बनाने की प्रक्रिया सफल रही। उन्होंने मुस्लिम समुदाय के नेताओं के साथ बैठकों को भी जीत का श्रेय दिया।
‘जन की बात’ के संस्थापक प्रदीप भंडारी भी मानते हैं कि मुस्लिम वोट कॉन्ग्रेस को मजबूत करने के लिए उसकी तरफ गया है। उन्होंने विधानसभा चुनावों में तेलंगाना के लिए सटीक आकलन किया था। ‘जन की बात’ के आकलन का कहना था कि वहाँ कॉन्ग्रेस को 48-64 सीटें मिल सकती हैं, वहीं BRS 40-55 सीटों के बीच रहेगी, और भाजपा की सीटों की 13 रहेगी। उनका आकलन सटीक रहा और BRS को उनके आकलन से सिर्फ 1 सीट कम मिली।
‘जो मोदी के खिलाफ मजबूत होगा, उसके खिलाफ गोलबंद होगा मुस्लिम वोट’: प्रदीप भंडारी
प्रदीप भंडारी से ऑपइंडिया ने तेलंगाना में मुस्लिम वोटरों के रुख को लेकर बात की। उन्होंने कहा कि मुस्लिम वोटों के मुख्य मकसद है कि उसे भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रोकना है, उसकी हमेशा से पहली प्राथमिकता कॉन्ग्रेस पार्टी होती है। उन्होंने कहा कि जब भी मुस्लिम मतदाता देखते हैं कि कॉन्ग्रेस मजबूत हो सकती है तो वो उस तरफ शिफ्ट होते हैं। उन्होंने याद दिलाया कि कैसे कर्नाटक में कॉन्ग्रेस की सरकार बनने के बाद पार्टी ने ये माहौल बनाने की कोशिश की कि 2024 में नरेंद्र मोदी को हराया जा सकता है।
प्रदीप भंडारी मानते हैं कि इसी कारन मुस्लिम वोटरों को लगा कि ‘उनकी कॉन्ग्रेस’ बहुत अच्छे तरीके से चुनाव लड़ रही है, तो ऐसी स्थिति में अधिकतर मुस्लिम वोटर BRS से कॉन्ग्रेस की तरफ शिफ्ट हुए। उन्होंने राजस्थान का जिक्र करते हुए कहा कि कन्हैया लाल तेली के ‘सर तन से जुदा’ की इस्लामी कट्टरपंथियों ने हत्या कर दी तो उन्हें मिले मुआवजे में देरी हुई, जबकि जयपुर में एक आपसी संघर्ष में मुस्लिम युवक की मौत हुई तो कलक्टर ने रातोंरात 50 लाख रुपए दे दिए। इसीलिए, मुस्लिमों को पता है कि उनकी पहली प्राथमिकता कॉन्ग्रेस है और वो इसीलिए ‘घर-वापसी’ करना चाहता है।
बता दें कि राजस्थान में जब ये सब हुआ तब वहाँ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में कॉन्ग्रेस पार्टी की सरकार थी। उन्होंने आँकड़ों का जिक्र करते हुए कहा कि जहाँ मुस्लिम वोटर ज़्यादा हैं, यानी 30% के आसपास हैं वहाँ राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा जीती है। उन्होंने कहा कि पहले कॉन्ग्रेस को लगता था कि जिस सीट पर मुस्लिम ज़्यादा हैं वहाँ वो केवल उनकी ही बातें कर के चुनाव जीत जाएगी, लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा। अब तुष्टिकरण के खिलाफ लोग एकजुट हो रहे हैं।
प्रदीप भंडारी ने इस दौरान तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन के बयान का भी जिक्र किया, जिसमें उन्होंने सनातन धर्म को डेंगू-मलेरिया बता कर इसे खत्म करने की बात की थी। ‘जन की बात’ के संस्थापक ने कहा कि जानबूझकर कॉन्ग्रेस पार्टी ने इस बयान की निंदा नहीं की, जिसका खामियाजा उसे भुगतना पड़ा। उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश की 35 सीटें जहाँ मुस्लिम वोट प्रभावी है वहाँ भाजपा की जीत हुई। छत्तीसगढ़ की 12 ऐसी सीटों में से भी अधिकतर भाजपा के खाते में गईं।
Friends,
— Pradeep Bhandari(प्रदीप भंडारी)🇮🇳 (@pradip103) December 3, 2023
Jan Ki Baat ( @jankibaat1 ) Exit Poll gets it 100% Accurate in Rajasthan & Telangana. Excellent work by team of young data researchers on the ground. This takes our total tally of accurate elections to 38 in last 8 years.
For my home state Madhya Pradesh, I salute the… pic.twitter.com/c8chEFd3Ot
प्रदीप भंडारी ने कहा कि मुस्लिम वोट सिर्फ कॉन्ग्रेस के पीछे ही गोलबंद नहीं होगा, बल्कि अगर वो पश्चिम बंगाल में देखता है कि ममता बनर्जी की TMC मजबूत है तो वो उसके पीछे गोलबंद होगा। वहीं तेलंगाना में कॉन्ग्रेस मजबूत है तो उसके पीछे ये वोट गोलबंद हुआ। प्रदीप भंडारी इसमें एक और चीज ध्यान देने लायक बताते हैं – हिंदी हार्टलैंड के जो नतीजे आए हैं उसके बाद मुस्लिम वोटरों में एक हताशा आ गई है कि वो पूरी कोशिश कर के भी नरेंद्र मोदी को नहीं रोक पा रहे।
प्रदीप भंडारी आगे कहते हैं, “मुस्लिम वोटर हर उस पार्टी के खिलाफ गोलबंद होगा जो उसके हिसाब से 2024 में नरेंद्र मोदी को हरा सकती हो। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी या फिर दक्षिण भारत में कॉन्ग्रेस पार्टी, लेकिन वो तमिलनाडु में DMK के पीछे गोलबंद होगा। बंगाल और बिहार में वो कॉन्ग्रेस के पीछे नहीं जाएगा।” यानी, उनका साफ़ मानना है कि कॉन्ग्रेस मुस्लिमों की पहली पसंद होगी, लेकिन जहाँ क्षेत्रीय ताकतें भाजपा के खिलाफ मजबूती से लड़ रही हों वहाँ उनके साथ ये वोटर जाएँगे।