जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 का पावर खत्म होने के बाद उद्योगपतियों से लेकर आम जनता को वहाँ हर क्षेत्र में संभावनाओं का विस्तार दिख रहा है। सोशल मीडिया पर लोग सक्रियता से इस कदम की सराहना कर रहे हैं और इससे जुड़े कई विषयों पर चर्चा भी हो रही है। लेकिन इस गंभीर मुद्दे पर कुछ मीम भी शेयर हो रहे हैं, जिसमें कुछ सोशल मीडिया यूजर्स कश्मीर में प्लॉट लेने की बात कर रहे हैं, तो कुछ वहाँ बसने की। कुछ को ये फैसला कश्मीरी लड़कियों से इश्क फरमाने का N0C लग रहा है, तो कुछ में कश्मीरी दामाद बनने का उतावलपन दिख रहा है।
इन सूची में सिर्फ़ ओछी और घटिया मानसिकता से लबरेज सोशल मीडिया यूजर्स ही नहीं हैं, बल्कि इसमें नेताओं के नाम भी शामिल हैं। जी हाँ, भाजपा नेता और उत्तरप्रदेश के मुजफ्फरनगर के खतौली सीट से भाजपा विधायक विक्रम सिंह जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 खत्म होने के पीछे सिर्फ़ यही उपलब्धि समझते हैं कि अब वे वहाँ कि गोरी-गोरी लड़कियों से शादी कर सकेंगे।
वे खुलेआम जनता के बीच जाकर निहायत बेशर्मी से बयानबाजी करते हुए कह रहे हैं कि उनकी पार्टी के कार्यकर्ता 370 खत्म होने के बाद इसलिए उत्साहित हैं क्योंकि अब वह कश्मीर की गोरी लड़कियों से शादी कर पाएँगे। सोचिए, जिस पार्टी ने कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए एक ऐतिहासिक फैसला लिया, जिससे अन्य पार्टियाँ हमेशा बचती रहीं। उस पार्टी से जुड़ा यह नेताजी कैसी ओछी मानसिकता दिखा रहा है। उन्हें न पार्टी के उद्देश्य से कोई लेना-देना है, न देश से और न ही कश्मीर से। उन्हें सिर्फ़ गोरी लड़कियों से मतलब है। जो उनके लिए सुंदरता का मानक हैं और उनकी फैंटसी का चेहरा।
वायरल वीडियो में वह कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म होने पर खुशी मनाते नजर आ रहे हैं, लेकिन उन्हें शाय़द यही नहीं मालूम कि भारत सरकार ने ऐसा क्यों किया है। सोशल मीडिया की मीम मानसिकता से ग्रसित नेताजी अपनी पार्टी के शीर्ष नेताओं के बलिदान और उनके समर्पण को अपनी हँसी-ठिठोली में नकार चुके हैं, वह आतंकवाद की गंभीरता को गोरी लड़कियों से रिप्लेस कर चुके हैं। उन्हें कोई मतलब नहीं है कि उनके बयानों का असर पार्टी की छवि पर क्या पड़ेगा?
विक्रम सिंह का बयान सुनकर और सोशल मीडिया पर पसरे गंध को देखकर लगता है कि कुछ पुरूषों की मानसिकता सिर्फ़ लड़की और लड़की के रंग तक सीमित होती जा रही है। वह न केवल ऐसे बयान देकर खुद की दबी इच्छाओं को जगजाहिर कर रहे हैं, बल्कि सरकार द्वारा लिए बड़े फैसले की भी जगहँसाई करवा रहे हैं। इसके अलावा विरोधियों को जो बोलने का मौक़ा मिल रहा है वो अलग…।
Nationalists: Win over Kashmiris.
— Zainab Sikander (@zainabsikander) August 6, 2019
Show them you care!
BJP MLA VikramSaini: ?.?.
“..party workers are very excited there(Kashmir),those who are bachelor get them married thr I don’t have any problem..
…I’m saying this to all Muslim-Hindu boys,go marry with WHITE GIRLS now…” pic.twitter.com/cOw1rnRi3M
विक्रम सिंह जैसे लोग प्रमाण हैं कि भाजपा के शीर्ष नेताओं की नीतियों और कार्यशैली से प्रभावित होकर जनता ने कुछ घटिया लोगों को भी सत्ता का हिस्सा बनवा दिया है जो न राजनीति की जमीन के लिए ठीक है और न ही इंसानियत के लिए।
वायरल वीडियो में विक्रम सैनी कहते नजर आ रहे हैं, “कार्यकर्ता बहुत उत्सुक हैं और जो कुँवारे हैं, उनकी शादी वहीं करवा देंगे, कोई दिक्कत नहीं है। क्या दिक्कत है? पहले वहाँ महिलाओं पर कितना अत्याचार था। वहाँ की लड़की अगर किसी उत्तर प्रदेश के छोरे (लड़के) से शादी कर ले, तो उसकी नागरिकता खत्म। भारत की नागरिकता अलग, कश्मीर की अलग… और जो मुस्लिम कार्यकर्ता हैं यहाँ पर, उनको खुशी मनानी चाहिए… शादी वहाँ करो न, कश्मीरी गोरी लड़की से। खुशी मनानी चाहिए। ये पूरे देश के लिए उत्साह का विषय है।”
हैरानी की बात ये है कि जब इस बयान के बाद मीडिया ने जोर देकर इस विषय पर उन्हें एहसास दिलाने की कोशिश की कि उन्होंने विवादित बयान दिया है, तब भी उन्होंने कहा, “मैंने कुछ गलत नहीं बोला। अब कोई भी बिना किसी विवाद के कश्मीरी लड़की से शादी कर सकता है। मैंने यही तो कहा है और यह सच्चाई है। यह कश्मीर के लोगों की आजादी है। इसलिए हमने मंगलवार को यह कार्यक्रम आयोजित किया। अब कश्मीरियों ने आजादी हासिल कर ली है।”
वीडियो में विक्रम सैनी जनता को कहते नजर आ रहे हैं, “… कि मोदी जी आपने मेरा सपना पूरा कर दिया। पूरा भारत खुश है। सारी जगह नगाड़े बज रहे हैं। पूरा उल्लास है। चाहे वो लद्दाख हो, लेह हो। मैंने कल फोन किया… हमारे एक जानने वाले हैं। कोई मकान है…”
उनके मुताबिक वह कश्मीर में घर बनाना चाहते हैं क्योंकि वहाँ हर चीज़ खूबसूरत है, “जगह, पुरुष और महिलाएँ। सबकुछ।”
हम आजम खान जैसे नेताओं के सेक्सिस्ट कमेंट पर हैरान नहीं होते क्योंकि जिस पार्टी के वो नेता हैं उसके संस्थापक ही रेप जैसी घटनाओं को जस्टिफाई करते हैं, लेकिन भाजपा से जुड़े लोग भी जब ऐसी ही भाषा में बात करने लगे और वह भी 370 के संदर्भ में तो यह केवल महिलाओं को लेकर उनकी ओछी सोच ही नहीं है, बल्कि उनको भी नीचा दिखाता है जिन्होंने एक विधान-एक निशान के लिए अपनी जिंदगी खपा दी।
पार्टी ने अपनी कट्टर राष्ट्रवाद वाली छवि के कारण भले ही तथाकथित सेकुलर’ विपक्ष की बहुत आलोचनाएँ सहीं लेकिन महिलाओं के नाम पर इस तरह के कीचड़ पार्टी पर कभी नहीं उछले। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार का जम्मू-कश्मीर से 370 खत्म करने के पीछे जो उद्देश्य था वह सबके सामने स्पष्ट है। पार्टी ने आतंकवाद से लड़ने के लिए और जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए इस अनुच्छेद को निष्प्रभावी किया है। पार्टी ने इस फैसले के साथ उस नासूर को ठीक करने का प्रयास किया है जिसने दशकों से हजारों जिंदगियों को प्रभावित किया, जिसने कश्मीरी पंडितों का पलायन करवाया, जिसने कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग होने के बावजूद भी संशय की स्थिति में बनाए रखा।
ये बात सच है कि कश्मीर में महिलाओं पर अत्याचार हुए। उन्हें प्रेम करने के नाम पर राज्य की सीमा में बाँधा गया। उनमें उनके हकों से वंचित करने का डर भरा गया। कभी इस आर्टिकल 370 के कारण किसी दूसरे राज्य के प्रेमी को अपनी जान गँवानी पड़ी तो कभी सब कुछ छोड़कर फरार होना पड़ा। लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाकर दूसरे युवकों को अवसर दिए है कि वो वहाँ जाए और लड़कियों से सिर्फ़ इसलिए शादी करें कि क्योंकि वो अव्वल कश्मीरी हैं और दूसरा गोरी हैं।
मोदी सरकार का फैसला उन प्रेमी जोड़ो को उनके हक दिलाने के लिए आया है जिन्होंने सीमा की परवाह किए बिना एक-दूसरे का हाथ थामा। न कि रंग-जाति-धर्म देखकर।
शिक्षा के लिहाज से हो या फिर सुरक्षा के लिहाज से, प्रेम के लिहाज से हो या विकास के लिहाज से हर रूप में मोदी सरकार का फैसला उचित उद्देश्यों के तहत लिया गया है। सोशल मीडिया पर हतोत्साहित होकर यूजर्स द्वारा फैलाया गया गंध और विक्रम सिंह जैसे नेता सिर्फ़ इस बात का सबूत हैं कि इस फैसले के महत्व से कुछ लोग कितने बेखबर हैं। ऐसा नहीं होता तो इतने बड़े फैसले के बाद हमें ऐसे घटिया मीम और बयान नहीं देखने पड़ते।
विक्रम सिंह के बयान में न केवल पितृसत्ता का दंभ है, बल्कि गोरेपन को लेकर भारतीय समाज का पागलों वाला ऑब्सेशन भी है। साथ ही मूर्खतापूर्ण बयानबाज़ी से नित नए प्रतिमान स्थापित करने की नेताओं के बीच लगी होड़ का भी यह नमूना है।