आखिरकार ऑनलाइन सक्रिय रहने वाले हिन्दू जागृत हुए और उन्होंने उस कॉमेडियन ब्रीड पर करारा प्रहार किया जो हिन्दुओं, उनके देवी-देवताओं और उनके प्रतीकों का अपमान किए फिरते हैं। पिछले कुछ दिनों से ऐसे कॉमेडियनों को ढूँढ-ढूँढ कर निकाला जा रहा है। खुद को क्रिएटिव बताने वाले इन कॉमेडियनों के पास जोक्स का अभाव है, तभी तो वो हिन्दू प्रतीकों का अपमान कर लोगों को हँसाने की कोशिश करते हैं।
ये कॉमेडियन हिन्दू महापुरुषों का अपमान करते हैं और उनके आदर्शों का सरेआम मजाक उड़ाते हैं। साथ ही ये अश्लील और सस्ते चुटकुले मार कर खुद की तथाकथित क्रिएटिविटी का प्रदर्शन करते हैं। अब इनके पुराने ट्वीट्स और वीडियो वायरल हो रहे हैं जिनसे पता चलता है कि इनके पास ‘सेन्स ऑफ ह्यूमर’ नाम की कोई चीज है भी नहीं। हिन्दू, हिन्दू रीति-रिवाज, देवी-देवता और हिन्दू आदर्शों के प्रति घृणा ही है, जो इन्हें ऐसा बनाती है।
ऐसा ही एक विवाद अग्रिमा जोशुआ को लेकर शुरू हुआ, जिसे शायद ही कोई जानता हो। वो ख़ुद को कॉमेडियन बताती है। उसने छत्रपति शिवाजी महाराज का मजाक उड़ाया। लोगों को उसके चुटकुलों पर हँसी की जगह गुस्सा आया क्योंकि वो किसी लायक नहीं थे। जोशुआ ने विवाद के लिए ‘भाजपा आईटी सेल’ को जिम्मेदार बताया और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से माफ़ी माँगी। बाद में पता चला कि राज ठाकरे की एमएनएस और उद्धव की शिवसेना ने ही उसके घर पर हमले किए थे।
मेरी क्षमायाचना स्वीकार करे,
— Agrima Joshua 🇮🇳 (@Agrimonious) July 11, 2020
Please accept my humble apology,@cmoMaharashtra @authackrey@anildeshmukhncp@nitinraut@RajThackrey pic.twitter.com/uHBZMBPOfB
उद्धव को मदद के लिए पुकारने वाली जोशुआ ने बाद में माफ़ी माँगी। उसने अपने माफीनामे में उद्धव के अलावा राज ठाकरे, आदित्य ठाकरे और गृह मंत्री अनिल देशमुख को भी सम्बोधित किया। बता दें कि महाराष्ट्र में चल रही ‘महा विकास अघाड़ी’ की मिलीजुली सरकार से लिबरलों का विशेष प्रेम है और शिवसेना को गाली देने वाले लिबरल अब उसकी तारीफ करते हैं क्योंकि वो भाजपा से अलग जाकर कॉन्ग्रेस-एनसीपी के साथ सरकार चला रही है।
जोशुआ के बाद आदर मलिक, साहिल शाह, अज़ीम बँटवाला, आलोकेश सिन्हा, कट्टरवादी वामपंथी संजय राजौरा, नीति पाल्टा और हिन्दु-विरोधी ट्वीट्स करने वाले रोहन जोशी- ये सब वो नाम हैं जो हिन्दुओं की भावनाओं को ताक पर रख कर उनका अपमान करते हैं और खुद को कॉमेडियन बताते हैं। इन कॉमेडियनों ने अपनी करतूतों के सामने आते ही सोशल मीडिया छोड़ कर भाग निकलना उचित समझा।
इनके मुठी भर समर्थक और ये खुद को भले ही फ्री स्पीच का चैंपियन बताते हों, ये सच्चाई कहने के लाख दावे करते हों और खुद को सत्ता को चुनौती देने वाले लोग की तरह पेश करते हों लेकिन जब असलियत की बात आती है और इनके कारनामों के सामने आते ही ये भाग निकलते हैं। इन कॉमेडियनों ने अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल्स को डीएक्टिवेट कर लिया। एक तो इन कॉमेडियनों को हँसाने नहीं आता, ऊपर से ये गालीबाज भी हैं।
If I’ve offended anyone’s sentiments please accept my humble apology.@CMOMaharashtra@authackrey@AnilDeshmukhNCP@nitinraut593@RajThackrey pic.twitter.com/Jemg7bIoQ7
— Sahil Shah 🇮🇳 (@SahilBulla) July 14, 2020
दरअसल, ये सारे के सारे डरपोक हैं। इन डरपोक कॉमेडियनों को इस बात का भय था कि उनकी करतूतों के उजागर होने के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स उनके हैंडल्स के खिलाफ एक्शन लेंगे, इसीलिए वो भाग निकले क्योंकि उनके खिलाफ जम कर रिपोर्टिंग हो रही थी। उनमें सवालों के जवाब देने की हिम्मत नहीं है। साथ ही इन डरपोकों को प्रशासन की कार्रवाई का भी डर है। इन डरपोकों को डर था कि उनके अकाउंट खँगालने पर उनके और बेहूदे काले कारनामे निकल आएँगे, इसीलिए ये भाग निकले।
लेकिन, कुछ दिनों बाद ये अपने बिलों से बाहर भी निकले क्योंकि इन्हें महाराष्ट्र की शिवसेना-एनसीपी-कॉन्ग्रेस सरकार से माफ़ी जो माँगनी थी। चूँकि, महाराष्ट्र में ‘सेक्युलर’ सरकार चल रही है, इनकी घिग्घी बँधी रहती है और ये उनसे माफ़ी माँगने से नहीं हिचकते। जबकि बात मोदी सरकार की हो तो ये ‘सत्ता को चुनौती’ देने के दावे करते हुए खुद को बहुत बड़ा शेर बताते फिरते हैं। फासिस्ट मोदी है लेकिन इन्हें माफ़ी शिवसेना से माँगनी पड़ रही है।
यहाँ ये तो सोचने वाली बात है कि जब फासिस्ट मोदी है और जिम्मेदार भाजपा आईटी सेल है तब फिर ये शिवसेना और मनसे जैसी पार्टियों और उनके नेताओं से माफ़ी क्यों माँग रहे हैं। वामपंथियों के लिए संकट खड़ा हो गया है क्योंकि उन्हें शिवसेना को अच्छा भी दिखाना है और भाजपा को कोसना भी है। अगर मोदी फासिस्ट होता तो वो मोदी से माफ़ी माँगने को मजबूर होते न? फिर शिवसेना के सामने क्यों गिड़गिड़ा रहे ये?
If my actions and words have hurt anyone’s sentiments, here is my sincere apology. @CMOMaharashtra@authackrey@AnilDeshmukhNCP@nitinraut593@RajThackrey pic.twitter.com/NVH0YesZz8 pic.twitter.com/HZ0nRt69VV
— Aadar Malik (@TheAadarGuy) July 14, 2020
ठीक है, इन बेहूदा जोक मारने वाले डरपोक कॉमेडियनों ने शिवसेना और कॉन्ग्रेस के नेताओं से माफ़ी तो माँग ली लेकिन उस जनता का क्या जिनकी भावनाओं को लात मार कर ये खुला घूम रहे हैं? क्या जनभावनाओं का कोई सम्मान नहीं इनके मन में? क्योंकि ये सोचते हैं कि शिवसेना से माफ़ी माँग कर ये प्रशासनिक कार्रवाई से बच जाएँगे और साथ ही उसके कार्यकर्ताओं का कोपभाजन नहीं बनेंगे लेकिन जनता उनका थोड़े कुछ बिगाड़ पाएगी।
न इन्हें इतिहास का ज्ञान है और न ही इनका समान्य ज्ञान उस स्तर का है लेकिन वीर सावरकर के मर्सी पिटीशन पर जोक्स क्रैक करते हुए ये खुद को कूल समझते हैं। सारे कॉन्ग्रेस नेता तो यही करते हैं। क्या वो अपना काम छोड़ दें? देश के लिए 50 साल कारावास की सज़ा पाने वाले और अँग्रेजों की क्रूरता का सामना करते हुए कालापानी में एक दशक से भी ज्यादा बिताने वाले महापुरुष के लिए यही सम्मान है इनके मन में?
*Cries in Savarkar*
— Agrima Joshua 🇮🇳 (@Agrimonious) June 16, 2020
महात्मा गाँधी और मोतीलाल नेहरू का मजाक तो नहीं उड़ाते ये जबकि ऐसे पिटीशन तो उन्होंने भी लिखा था। क्या रामप्रसाद बिस्मिल ने मर्सी पिटीशन पर हस्ताक्षर किया तो वो कम महान हो गए? वीर सावरकर के बारे में इन्हें पता भी है? आज वो कमरा किसी तीर्थस्थल से कम नहीं है, जहाँ सावरकर रहा करते थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी वहाँ जाकर काफी देर तक ध्यान धरा था। ऐसे व्यक्ति का मजाक बनाने वालों को आखिर मिलता क्या है?
The letter ‘b’ in Veer Savarkar stands for BRAVE 🙏🙏🙏
— Kunal Kamra (@kunalkamra88) December 14, 2019
वीर सावरकर ने जिक्र किया है कि किस तरह वहाँ इंसानों को जानवरों से भी बदतर समझा जाता था। अँग्रेज उन्हें कोल्हू के बैल की जगह जोत देते थे। पाँव से चलने वाले कोल्हू में एक बड़ा सा डंडा लगा कर उसके दोनों तरफ दो आदमियों को लगाया जाता था और उनसे दिन भर काम करवाया जाता था। जो काम बैलों का था, वो इंसानों से कराए जाते थे। जो टालमटोल करते, उन्हें तेल का कोटा दे दिया जाता था और ये जब तक पूरा नहीं होता था, उन्हें रात का भोजन भी नहीं दिया जाता था।
सिर चकराता था। लंगोटी पहन कर कोल्हू में काम लिया जाता था। वो भी दिन भर। शरीर इतना थका होता था कि उनकी रातें करवट बदलते-बदलते कटती थी। धीरे-धीरे यातनाएँ और भी असह्य होती चली गईं। स्थिति ये आ गई कि सावरकर को आत्महत्या करने की इच्छा होती। इतनी भयंकर यातनाएँ दी जातीं और वहाँ से निकलने का कोई मार्ग था नहीं, भविष्य अंधकारमय लगता- जिससे वो सोचते रहते कि वो फिर देश के किसी काम आ पाएँगे भी या नहीं।
I suppose he wasn’t as much of a freedom fighter as Savarkar and Godse. https://t.co/ZlNnRrKGP9
— Agrima Joshua 🇮🇳 (@Agrimonious) March 9, 2020
यहाँ बीच-बीच जो ट्वीट्स संलग्न किए गए हैं, उनमें आप इन डरपोक गालीबाजों की कथित कॉमेडी के नमूने देख सकते हैं। हालाँकि, इससे आपको गुस्सा ही आएगा। अब जब इनकी करतूतों को लेकर इनकी आलोचना हो रही है तो ये विक्टिम कार्ड खेल रहे हैं। एक राज्य सरकार के आगे गिड़गिड़ाने वाले ये कॉमेडियन मोदी को फासिस्ट बता कर केंद्र से लड़ने के दावे करते फिरते हैं। माफ़ी उद्धव और राज ठाकरे से माँगेंगे क्योंकि अपने कार्यकर्ताओं के गुस्से से यही नेता तो बचाएँगे इन्हें।