अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली दिल्ली की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार विज्ञापनों में कामकाज का जितना ढोल पीटती है, हकीकत उसके उलट ही है। अदालतों की सुनवाई हो या आरटीआई के जवाब या फिर जमीन के हालात, हर जगह उसके तमाम दावे सवालों के घेरे में आए हैं। पिछले साल भी कोरोना संक्रमण के दौरान आप सरकार बेबस दिखी थी और अब दूसरी लहर के दौरान भी ऐसा ही हो रहा। हम पहले ही बता चुके हैं कि ऑक्सीजन को लेकर इस सरकार ने केवल दावे किए, उस दिशा में काम नहीं हुआ।
अब केजरीवाल सरकार ने एक नया दावा किया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा है कि एक माह के भीतर दिल्ली में 44 ऑक्सीजन प्लांट लगेंगे। इनमें 8 केंद्र सरकार के होंगे और बाकी 36 का प्रबंध केजरीवाल सरकार करेगी। इसके लिए 21 प्लांट फ्रांस से आएँगे।
पिछले दिनों यह बात सामने आई थी कि केंद्र सरकार से दिसंबर 2020 में 8 ऑक्सीजन प्लांट लगाने का फण्ड मिलने के बावजूद दिल्ली अब तक केवल 1 ऑक्सीजन प्लांट इनस्टॉल किया जा सका है। अब केजरीवाल के नए ऐलान के बाद हमारा काम क्या है? खुश होना और चुप हो जाना। हमें ये नहीं पूछना है कि जब एक माह में 44 प्लांट लग सकते हैं तो केंद्र सरकार से फंड मिलने के बाद भी दिल्ली में 4 माह में एक ही ऑक्सीजन प्लांट क्यों लग पाया।
हमें केजरीवाल सरकार से ये भी सवाल नहीं करना कि आखिर 150 करोड़ रुपए का विज्ञापन उन्होंने जब ये दिखाने में दर्शा दिया कि दिल्ली कैसे कोरोना से निपटने को तैयार है तो ये अब हालात इतने बदतर क्यों है। ये तो हम बिलकुल नहीं पूछ सकते हैं कि दिल्ली जब महामारी से लड़ने के लिए इतनी तैयार थी तो फिर अस्पतालों के बाहर दम क्यों तोड़ रहे हैं?
दिल्ली के हालात और सीएम केजरीवाल का रवैया
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कोरोना संक्रमण के कारण कोहराम मचा है। पिछले एक हफ्ते में एक भी दिन ऐसा नहीं बीता, जब 20 हजार से कम संक्रमितों के मामले सामने आए हों। पिछले 24 घंटों में ये आँकड़ा अन्य दिनों के मुकाबला कम जरूर हुआ, लेकिन सुधरा बिलकुल नहीं है। 24 घंटे में यहाँ से 20, 201 नए मामले आए जबकि रविवार को ये आँकड़ा 22, 913 था। उससे पहले संक्रमितों की संख्या 26 हजार भी आ चुकी है।
उक्त आँकड़े स्पष्ट दर्शा रहे हैं कि दिल्ली में संक्रमण की रफ्तार कितनी तेज है, जबकि सोशल मीडिया पर नजर आने वाले पोस्ट बताते हैं कि रफ्तार तेज होने के बाद यहाँ की स्वास्थ्य व्यवस्था कितनी चरमराई हुई है। ऐसे में हमारे मुख्यमंत्री इतने ज्यादा आम हैं कि वह दिल्ली में बेकाबू हालत देख सिर्फ केंद्र या दूसरे राज्यों से मदद की अपील नहीं कर रहे, बल्कि दिल्ली की जनता से भी उम्मीद कर रहे हैं कि कोई हालात सुधरवाने में उनका हाथ पकड़ ले।
मुख्यमंत्री केजरीवाल का यह साधारण व्यक्ति जैसा रवैया शायद आम दिनों में या चुनावों के बीच आपको प्रभावित करे। लेकिन, इस संकट की घड़ी में उनका यह बचकाना बर्ताव सिर्फ उनकी थू-थू करवाने में लगा है। लोग खुलेआम दिल्लीवासियों का मजाक उड़ा रहे हैं कि जब वोट फ्री-बिजली पानी के लिए दिया तो ऑक्सीजन क्यों माँग रहे हो?
हमारे लिए ये सवाल सही भी है। आखिर हमारी प्राथमिकताओं में कब अच्छी स्वास्थ्य सुविधा थी! हमें कहा गया मोहल्ला क्लिनिक खुलेंगे। हमने मान लिया। हमने ये नहीं सोचा कि पहले से मौजूद डिस्पेंसरी आदि को संसाधन लैस क्यों नहीं किया जा रहा। केंद्र सरकार आयुष्मान भारत योजना लाई। केजरीवाल सरकार ने उसे भी दिल्ली में लाने से मना कर दिया। हमने कभी नहीं पूछा कि ऐसा क्यों हुआ?
हमारी वरीयता जो रही केजरीवाल सरकार ने वही तो दिया! आज भी वही हो रहा है। हमें अपने सीएम से आश्वासन चाहिए, जवाब नहीं। वो वहीं दे रहे हैं। इंतजार करिए, 44 प्लांट कब लगेंगे। कब दिल्ली को साँस आएगी।