Sunday, November 17, 2024
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अधीर रजंन चौधरी खुद बनना चाहते थे ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ कमेटी का हिस्सा, नाम आने के बाद कॉन्ग्रेस नेता ने किया था इनकार: रिपोर्ट

'वन नेशन, वन इलेक्शन' पर आठ सदस्यीय कमेटी का नोटिफिकेशन कानून मंत्रालय ने 2 सितंबर को जारी किया था। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली इस समिति में कॉन्ग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी का भी नाम था।

‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ पर केंद्र की मोदी सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई है। इसके सदस्यों में कॉन्ग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी का भी नाम है। लेकिन नोटिफिकेशन जारी होने के बाद चौधरी ने इसका हिस्सा बनने से इनकार कर दिया है। अब यह बात सामने आई है कि शुरुआत में कॉन्ग्रेस नेता ने इसके लिए सहमति दी थी।

न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार नोटिफिकेशन जारी होने के पहले अधीर रंजन चौधरी ने इस समिति का हिस्सा बनने के लिए अपनी सहमति दी थी। सरकारी सूत्रों के हवाले से 3 सितंबर 2023 को जारी एक रिपोर्ट में एजेंसी ने यह जानकारी दी है।

‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ पर आठ सदस्यीय कमेटी का नोटिफिकेशन कानून मंत्रालय ने 2 सितंबर को जारी किया था। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली इस समिति में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, लोक सभा में कॉन्ग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद, पूर्व वित्त आयोग के चैयरमैन एनके सिंह, संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप, सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरीश साल्वे, पूर्व चीफ सीवीसी संजय कोठारी सदस्य का नाम था। वहीं, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को कमेटी में विशेष आमंत्रित सदस्य बनाया गया है।

अधीर रंजन चौधरी ने वापस लिया था नाम

नोटिफिकेशन जारी होने के बाद अधीर रंजन चौधरी ने यह कहते हुए नाम वापस ले लिया था कि इसका सदस्य बनने से कोई लाभ नहीं होगा। इसके नतीजों को पहले से फिक्स्ड बताया था। चौधरी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भेजे पत्र में कहा था, “मुझे उस कमेटी में काम करने से इनकार करने में कोई झिझक नहीं है, जिसकी शर्तें इसके परिणामों की गारंटी के लिए तैयार की गई हैं। मुझे डर है कि यह पूरी तरह से धोखा है।”

कॉन्ग्रेस नेता ने पत्र में कहा था कि इस तरह का प्रयास देश के संविधान के साथ धोखा और उसे अपमानित करने वाला है। उन्होंने कहा कि इस कमेटी में राज्यसभा में मौजूदा नेता प्रतिपक्ष को भी जगह न देना संसदीय व्यवस्था और लोकतंत्र का अपमान है। ऐसी स्थिति में मेरे पास आपके निमंत्रण को अस्वीकार करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है।

लेकिन एएनआई की रिपोर्ट से स्पष्ट है कि चौधरी पहले इस समिति का हिस्सा बनना चाहते थे। नोटिफिकेशन जारी होने के बाद जो कदम उन्होंने उठाया है वह कॉन्ग्रेस की राजनैतिक पैंतरेबाजी का हिस्सा है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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