Sunday, September 1, 2024
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गुजरात के जिस टाटा प्लांट को राहुल गाँधी ने कोसा था, उनके नेता ने उसे बताया ‘विकास का मॉडल’

राहुल गाँधी की समझ के अनुसार गुजराती करदाताओं के 33,000 करोड़ रुपए मिट्टी में मिल गए क्योंकि बाज़ार में इसकी बिलकुल माँग नहीं थी और डीलर्स ने नैनो कार का ऑर्डर लेना ही बंद कर दिया था।

लगभग तीन साल पहले राहुल गाँधी ने गुजरात के सानंद स्थित टाटा मोटर्स प्लांट की आलोचना की थी। अब उनकी ही पार्टी के नेता उसकी प्रशंसा कर रहे हैं। उसे ‘विकास का मॉडल’ बता रहे हैं। लोकसभा में कॉन्ग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने यह टिप्पणी पश्चिम बंगाल की ममता सरकार पर हमला बोलते हुए की। 

कॉन्ग्रेस नेता ने सानंद प्लांट की सराहना करते हुए बताया कि कैसे ममता सिंगूर में ममता बनर्जी की राजनीति से पश्चिम बंगाल को नुकसान और गुजरात को फ़ायदा हुआ। हालॉंकि ऐसा करते हुए उन्होंने अपनी ही पार्टी के पूर्व अध्यक्ष को भी झुठला दिया।

अधीर रंजन चौधरी ने कहा, “जिस तरह सिंगूर से टाटा मोटर्स के प्लांट हटाया गया, कॉन्ग्रेस उसका बिलकुल समर्थन नहीं करती। इस प्लांट को तब हटाया गया जब उसमें सरकार के 1000 करोड़ रुपए खर्च हो चुके थे। वहीं गुजरात के सानंद में बनाया गया प्लांट देश के लिए विकास का मॉडल है।” 

पश्चिम बंगाल में बुद्धदेब भट्टाचार्या की सरकार ने टाटा मोटर्स को ग्रीन फील्ड ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरिंग प्लांट (greenfield automobile manufacturing plant) स्थापित करने के लिए ज़मीन प्रदान की थी, जिससे वहाँ पर नैनो कार का निर्माण किया जा सके। उस दौरान विपक्ष यानी ममता बनर्जी की अगुवाई में किसानों ने उस प्लांट का जमकर विरोध किया। इस विरोध-प्रदर्शन की वजह से टाटा मोटर्स ने प्लांट गुजरात के सानंद में स्थापित करने का फैसला लिया। इसके बाद देश के कई राज्यों ने टाटा को प्लांट स्थापित करने के लिए अनुरोध किया। 

नवंबर 2017 में राहुल गाँधी ने इस प्लांट को कोसा था, उनके मुताबिक़ प्लांट असफल था क्योंकि नैनो कार कामयाब नहीं हुई। इसके अलावा राहुल गाँधी ने गुजरात सरकार पर आरोप भी लगाया था कि सरकार ने प्लांट को 33,000 करोड़ रुपए दिए थे लेकिन सड़क पर कोई नैनो कार नज़र नहीं आती। 

यानी राहुल गाँधी की समझ के अनुसार गुजराती करदाताओं के 33,000 करोड़ रुपए मिट्टी में मिल गए क्योंकि बाज़ार में इसकी बिलकुल माँग नहीं थी और डीलर्स ने नैनो कार का ऑर्डर लेना ही बंद कर दिया था। 

आँकड़ों को लेकर राहुल गाँधी की उदासीनता कभी छुपी नहीं रही है। इस बात को तथ्य में ढालते हुए उन्होंने झूठ ही परोसा। सच ये था कि गुजरात सरकार ने टाटा मोटर्स को कोई आर्थिक सहयोग नहीं दिया था, बल्कि कंपनी को 456.79 करोड़ रुपए का लोन दिया था। कंपनी को कम ब्याज दर वाला लोन बतौर प्रोत्साहन (incentive) दिया गया था। तमाम राज्य सरकारों ने टाटा मोटर्स को इस तरह के ऑफर देकर प्लांट स्थापित करने का निवेदन किया था।    

यह बात गलत नहीं है कि 2017 तक सड़कों पर नैनो कार लगभग नहीं के बराबर नज़र आती थीं। लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं था कि सानंद प्लांट असफल था। टाटा मोटर्स ने इंडिका और नैनो से लेकर एक लंबा सफ़र तय किया है। कमर्शियल पोर्टफोलियो के अलावा इन गाड़ियों की उपयोगिता और भी तमाम क्षेत्रों में है। प्लांट में टिअगो और टिगोर (Tiago and Tigor) जैसी गाड़ियों का निर्माण होता है, इसी प्लांट में टिगोर इलेक्ट्रिक कार का भी निर्माण किया जाता है। 

पिछले साल सितंबर में कंपनी ने बताया था कि प्लांट से लगभग 3 लाख टिअगो की बिक्री हो चुकी है। प्लांट उस वक्त भी कार निर्माण कर रहा था जब राहुल गाँधी ने इसे असफल बताया था। अब उनकी ही पार्टी के नेता ने प्लांट की सफलता को जाना और समझा है और इसे विकास का मॉडल बताया है।    

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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