किसान आंदोलन की आड़ में विपक्षी दलों की राजनीति देख कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आज किसानों के नाम 8 पन्नों का पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने निवेदन किया है कि किसान ऐसे राजनीतिक दलों और तथाकथित बुद्धिजीवियों के बहकावे में न आएँ जिन्होंने सालों से किसानों को सुविधा रहित रखने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया।
अपनी कृषि पृष्ठभूमि का हवाला देते हुए उन्होंने किसानों को बताया कि जिन तकलीफों से वह लोग गुजरतें है, उससे वह स्वयं भी भली भाँति वाकिफ हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब झूठ की दीवार तैयार करके साजिशें रची जा रही हैं तो उनका दायित्व है वस्तुस्थिति को सामने रखा जाए।
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि कानून के ऊपर पर फैलाए जा रहे झूठ का उल्लेख करके उसकी सच्चाई बताई। उन्होंने ध्यान दिलवाया कि कैसे कोरोना के दौर में किसानों की भूमिका ने अर्थव्यवस्था को गति दी थी और MSP पर सरकारी खरीद के सारे रिकॉर्ड तोड़ा था। लेकिन बावजूद इसके विपक्ष इस पर झूठ फैला रहा है।
तोमर ने किसानों के उत्थान को पीएम मोदी का प्रमुख उद्देश्य कहा। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार 6 साल से किसानों के हित में काम कर रही है, जिसका फायदा छोटे किसानों तक को हो रहा है। विभिन्न योजनाओं का मकसद समझाते हुए वह कहते हैं देश इस लक्ष्य से आगे बढ़ रहा है कि अन्नदाता उर्जादाता बने।
उन्होंने जानकारी दी कि सरकार ने किसानों के लिए ही 1 लाख करोड़ रुपए का कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया है और अब किसानों के लिए ही वह ये कानून लाए हैं जिसके बाद किसान कहीं भी अपनी उपज बेचने के लिए आजाद होगा।
केंद्रीय मंत्री ने इस पत्र में उन सभी मौकों और राजनीतिक पार्टियों की चर्चा की जब किसानों के हित का हवाला देकर ऐसे बदलावों का समर्थन किया। उन्होंने हर उस बिंदु की हकीकत बताई जिस पर झूठ फैलाया जा रहा है। राजनीतिक कुचक्र की पोल खोलते हुए अपने पत्र में तोमर ने बुद्धिजीवियों को लताड़ा और इनके राजनीतिक स्वार्थ की ओर गौर करवाया।
एक समय में स्वामीनाथन रिपोर्ट को 8 साल तक दबाए रखने वाली कॉन्ग्रेस, आजाद मंडी का माँग करने वाली AAP, कृषि सुधार की माँग करने वाले अकाली दल की मंशा पर उन्होंने सवाल उठाया।
उन्होंने बताया कि एक विचारधारा के लोग कैसे अलग-अलग मुद्दे पर समाज में असंतोष और अराजकता फैलाने का प्रयास करते रहे हैं और आज भी ये यही सब कर रहे हैं। आंदोलन के पीछे छिपकर रची जा रही साजिश पर गौर करवाते हुए वह किसानों से अपील करते हैं कि सब किसान इस विचारधारा की मंशा को पहचानें, जिसने 62 की लड़ाई में देश का साथ नहीं दिया था।
अपने पत्र में तोमर ने किसानों को आश्वस्त किया है कि उनकी सरकार हर तरह से किसानों को सुनने को तैयार है। उनका कहना है कि ये सुधार कानून कृषि के नए अध्याय की नींव बनेंगे और किसान इससे स्वतंत्र व सशक्त होंगे। वहीं हमारी कृषि समृद्ध और संपन्न होगी।