पंजाब में 2022 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और इसके लिए अभी से ही जमीन तैयार की जा रही है। कई विश्लेषक मौजूदा ‘किसान आंदोलन’ को इसी रूप में देख रहे हैं। इनमें तीन पार्टियाँ मुख्यतः सम्मिलित हैं – AAP, कॉन्ग्रेस और अकाली दल। शुरू तो अकाली दल ने किया था NDA छोड़ कर और कैबिनेट से हट कर, लेकिन अब कैप्टन अमरिंदर और अरविंद केजरीवाल ने इसे हाईजैक कर लिया है।
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने जिस तरह से बयान दिए हैं और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के साथ तू-तड़ाक वाली भाषा में बात की, उससे स्पष्ट है कि कॉन्ग्रेस आग में घी डालने वाला काम करना चाहती थी। राहुल गाँधी ने ट्रैक्टर पर बैठ कर ड्रामा किया और किसानों के कथित समर्थन में रैली की, लेकिन बिहार चुनाव और उपचुनावों में हुए हार के बाद वो ठंडे पड़ गए। इधर केजरीवाल की पार्टी प्रदर्शनकारियों को भोजन-पानी मुहैया करा रही है।
‘अमर उजाला’ के एक विश्लेषण में पाया गया है कि इन तीनों दलों के नेता अनौपचारिक बातचीत में मान रहे हैं कि जो भी पार्टी किसानों को जीत लेगी, आगामी पंजाब विधानसभा चुनाव में सत्ता की चाभी उसके ही पास रहेगी। इस चुनाव में 1 वर्ष बचे हैं और किसानों के जमावड़े के सहारे इन दलों को अपनी राजनीति चमकाने का अच्छा अवसर मिला है। बुराड़ी के मैदान में प्रदर्शनकारियों को सारी सुविधाएँ देने से लेकर केंद्र पर लगातार वार तक, निशाना 2022 ही है।
दिल्ली सरकार द्वारा सरकार की उस माँग को ठुकरा दी गई, जिसमें स्टेडियम को अस्थायी जेल के रूप में माँगा गया था। इसके बाद से AAP का हर छोटा-बड़ा नेता सोशल मीडिया पर इस ‘किसान आंदोलन’ के बारे में ही बात करता दिख रहा है। ओखला विधायक अमानतुल्लाह खान के सामने एक प्रदर्शनकारी ने ‘जय हिंद’ और ‘भारत माता की जय’ को नकारते हुए ‘अस्सलाम वालेकुम’ की खुली पैरवी की।
Farmers are fighting for their future. It’s a spontaneous reaction to the Farm Laws. They want to be heard. They’ve the right to speak their mind. Centre should listen to them. I’m ready to join Centre’s efforts to resolve the issue. pic.twitter.com/0kMqGT7EVk
— Capt.Amarinder Singh (@capt_amarinder) November 28, 2020
रविवार (नवंबर 29, 2020) को AAP नेताओं ने इसी मसले पर एक के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और सभी में मोदी सरकार पर ही हमला बोला गया। केजरीवाल दिल्ली छोड़ कर पंजाब का मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं, इस महत्वाकांक्षा की चर्चा अक्सर होती रही है। 2014 लोकसभा चुनाव में राज्य में पार्टी को जिस तरह से 24% से अधिक वोट शेयर मिले थे, AAP अगले चुनाव के लिए तैयारी कर रही है।
दिल्ली सरकार के जल बोर्ड ने आन्दोलनकारियों को पानी के टैंकर मुहैया कराए हैं। केजरीवाल ने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को प्रदर्शनकारियों की सेवा में लगाया है। अकाली दल के नेता लगातार सिंघु बॉर्डर का दौरा कर रहे हैं और प्रदर्शनकारियों की ज़रूरतों को पूरा कर रहे हैं। दिल्ली सिख गुरूद्वारा प्रबंध कमेटी पर अकाली दल ही सत्तासीन है और इसके सहारे गुरुद्वारों के माध्यम से प्रदर्शनकारियों की मदद की जा रही है।
पंजाब में सत्तासीन कॉन्ग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व किसान कानून पर लगातार केंद्र सरकार पर हमलावर है। वहीं, पार्टी की दिल्ली यूनिट के नेता भी अपने स्तर पर प्रदर्शनकारियों की मदद के लिए आगे आ रहे हैं। युवा कॉन्ग्रेस नेताओं ने किसानों को भोजन-पानी और दवा-दारू मुहैया कराने के लिए सिंघु व टिकरी बॉर्डर का दौरा किया है। राहुल और प्रियंका गाँधी छुट्टियाँ मनाते हुए ही सोशल मीडिया पर ट्वीट्स दाग रहे हैं। ‘किसान आंदोलन’ के रूप में उन्हें भी एक हवाई मुद्दा मिल गया है, क्योंकि पंजाब में चुनाव के समय गिनाने को उनके पास कुछ खास है नहीं।
एक तरफ भाजपा सरकार आंदोलनकारी किसानों पर आंसू गैस ,वाटर कैनन ,लाठी-पत्थर से हमला कर रही है।
— Raghav Chadha (@raghav_chadha) November 30, 2020
दूसरी तरफ केजरीवाल सरकार उनके घाव पर मरहम लगाने का काम कर रही है l
सिंघु बॉर्डर पर चिकित्सा व स्वास्थ सेवाओं के लिए केजरीवाल सरकार ने बंदोबस्त किया है l pic.twitter.com/DC72sPe0Ik
यही आशंका पंजाब के गृहमंत्री अनिल विज ने जताई है। उन्होंने कहा कि किसानों का ये आंदोलन पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की राजनीति है। उनका कहना है कि अगले वर्ष पंजाब में चुनाव हैं और ऐसा लग रहा है कि पंजाब के मुख्यमंत्री ने किसानों को उकसाकर भेजा है। उन्होंने सवाल उठाया कि देश के इकलौते पंजाब राज्य से ही किसान क्यों आगे आया है, बाकी किसी प्रदेश के किसान इस आंदोलन में क्यों नहीं पहुँचे?
अकाली दल प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने हरसिमरत कौर के इस्तीफे को पार्टी द्वारा किसानों के लिए एक बड़े बलिदान के रूप में पेश किया था, लेकिन अब कैप्टन अमरिंदर सिंह की सक्रियता ने उसकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं। जैसे करतारपुर कॉरिडोर खोलने के मामले में अकाली दल ने क्रेडिट के लिए माथापच्ची की थी, अभी भी वो कॉन्ग्रेस से आगे दिखना चाहती है। हरियाणा में भी हुड्डा आंदोलन को हवा देने में लगे हैं। ‘किसान आंदोलन’ का एक ही लक्ष्य है – पंजाब चुनाव।
Instead of yet again reading the lines scripted by Centre & becoming a cheerleader for them you would do better @capt_amarinder if lead the fight from the forefront to get the farmers’ demands met.#FarmersProtests https://t.co/MUDlfWEnfr
— Harsimrat Kaur Badal (@HarsimratBadal_) November 28, 2020
पीएम मोदी ने भी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में कहा कि अब विरोध का आधार फैसला नहीं, बल्कि आशंकाओं को बनाया जा रहा है। दुष्प्रचार किया जाता है कि फैसला तो ठीक है लेकिन इससे आगे चलकर ऐसा हो सकता है। जो अभी हुआ ही नहीं, जो कभी होगा ही नहीं, उसको लेकर समाज में भ्रम फैलाया जाता है। कृषि सुधारों के मामले में भी यही हो रहा है। ये वही लोग हैं जिन्होंने दशकों तक किसानों के साथ लगातार छल किया है।