कॉन्ग्रेस पार्टी और देश के न्यूट्रल पत्रकारों के बीच जो परस्पर रिश्ता है वो बेहद ख़ास है। इनके बीच मधुर रिश्तों का लाभ निश्चित तौर पर कॉन्ग्रेस को मिलता रहता है। वहीं, न्यूट्रल पत्रकार भी अक्सर कॉन्ग्रेस पार्टी की चाटुकारिता करते नज़र आ ही जाते हैं। ऐसा ही कुछ न्यूट्रल पत्रकार राजदीप सरदेसाई करते नज़र आए। कॉन्ग्रेस पार्टी की अखिल भारतीय व्यावसायिक कॉन्ग्रेस (AIPC) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को उन्होंने अपनी पुस्तक
“2019 मोदी ने भारत को कैसे जीता” को प्रमोट करने के लिए चुना।
न्यूट्रल पत्रकार राजदीप सरदेसाई जो कि कॉन्ग्रेस पार्टी के प्रति अपनी वफ़ादारी और नज़दीकियों के लिए जाने जाते हैं, उन्होंने AIPC द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में चर्चा की, जहाँ कॉन्ग्रेस प्रवक्ता संजय झा के अलावा और कोई मौजूद नहीं था। इस दौरान राजदीप सरदेसाई ने महाराष्ट्र की राजनीति पर भी बात की।
We are all set to welcome @sardesairajdeep & @JhaSanjay along with our esteemed guests and fellows at our brand new AIPC interactive series post elections : “Let’s Debate Maha Politics : 2019” #AIPCMahaPolitics @ShashiTharoor @SalmanSoz @mathewmantony @sumedhbgaikwad @ProfCong pic.twitter.com/wT6EUxgoKu
— AIPC – Maharashtra (@AIPCMaha) December 5, 2019
प्रतिभाशाली स्पिन-मास्टर, राजदीप सरदेसाई का कॉन्ग्रेस पार्टी और उसके वरिष्ठ नेताओं के साथ बड़े मधुर और सौहार्दपूर्ण संबंध होने का इतिहास रहा है। राजदीप सरदेसाई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधने के लिए 2002 की गोधरा की घटना का राजनीतिकरण करके कॉन्ग्रेस के प्रचार को प्रमोट करके पत्रकारिता क्षेत्र में क़दम रखे थे।
ऐसा पहली बार नहीं है जब किसी न्यूट्रल पत्रकार ने कॉन्ग्रेस की चाटुकारिता करके ख़ुद को प्रमोट करने की कोशिश की हो। पिछले साल, ‘मुख्यधारा मीडिया के प्रख्यात, पत्रकार’, करन थापर ने अपनी पुस्तक को प्रमोट करने के लिए AIPC द्वारा आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लिया था। इस दौरान उन्होंने अपनी पुस्तक को प्रमोट करने के अलावा, लोगों से AIPC में शामिल होने की अपील भी की थी।
दिलचस्प बात यह है कि करण थापर की पुस्तक को प्रमोट करने वाले वीडियो के अंत में, उनकी पिछली पुस्तक “न्यूज़मैन: ट्रैकिंग इंडिया इन द मोदी एरा” को प्रमोट करने के लिए राजदीप सरदेसाई ने बतौर अतिथि के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
#KaranThapar reacts after his incredible #AIPCInteractive yesterday and tells you why professionals should join @ProfCong.
— AIPC (@ProfCong) September 29, 2018
Great work team @AIPCMaha ?#Professionals4Progress pic.twitter.com/6NqIpEwbNm
वर्षों से, राजदीप सरदेसाई कॉन्ग्रेस परिवार के प्रति वफ़ादार रहे हैं। इस साल फरवरी में, उन्होंने इंडिया टुडे टीवी में अपने एक शो के दौरान वाड्रा को बेगुनाह साबित करने पर तुले नज़र आए। उन्होंने अपने कार्यक्रम में यह दावा किया था कि लंदन में संबंधित सम्पत्तियाँ रॉबर्ट वाड्रा के नाम से पंजीकृत नहीं थी।
इस शो में वो यह कहते हुए नज़र आए कि लंदन की सम्पत्ति, वास्तविक मालिक के नाम पर पंजीकृत नहीं होने के तथ्य को पूरी तरह से अनदेखा किया गया। आधारभूत जानकारियों का अभाव और इस बात की पुष्टि की कि वाड्रा के नाम का उल्लेख सम्पत्ति के दस्तावेजों में नहीं है, इसलिए ईडी के द्वारा इस मामले को ग़लत तरीके से लक्षित किया जा रहा है, इसे सोशल मीडिया पर लोगों द्वारा अनदेखा नहीं किया गया।
राजदीप सरदेसाई का दर्द उस समय भी छलका था जब केंद्र सरकार ने जस्टिस गौर को पीएमएलए का चेयरमैन नियुक्त किया था। केंद्र के इस फ़ैसले पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा था कि यही है असली कहानी क़िस्मत की। यह देखना बेहद आश्चर्यजनक लगता है कि राजदीप सरदेसाई जैसे पत्रकार अपने आर्थिक हितों को बढ़ावा देने के लिए कॉन्ग्रेस पार्टी की ख़ूब बढ़चढ़ कर वाह-वाही करते हैं, और बिना किसी शर्म के हर दिन ख़ुद की न्यूट्रल छवि बनाए रखनी की जद्दोज़हद भी करते हैं।
So buzz in Delhi’s power corridors was true. Judge Sunil Gaur, who 3 days before retiring gave Chidambaram order on anticipatory bail paving way for his arrest, is appointed chairperson of PMLA tribunal. Yeh hai ‘Asli’ Kahani kismet ki! Won’t say more! https://t.co/toJddEGv24
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) August 28, 2019
यह कहना ग़लत नहीं होगा कि आज के दौर में मुख्यधारा के मीडिया की विश्वसनीयता पहले ही काफी कम हो गई है। सोशल मीडिया के ज़माने में अब कुछ भी छिपा नहीं रह जाता। सोशल मीडिया के यूज़र्स अपनी खोजबीन करके राजदीप सरदेसाई जैसे न्यूट्रल पत्रकारों की पोल खोल कर रख देते हैं।
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