Friday, October 11, 2024
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2038 तक मियाँ-मुस्लिम होंगे बहुसंख्यक, हिंदुओं के मुकाबले ट्रिपल रेट से बढ़ रही आबादी: असम CM के पॉलिटिकल सेक्रेटरी ने चेताया

बरुआ ने बताया कि जनगणना रिपोर्ट के अनुसार 1971 में राज्य की आबादी में 71.51 फीसदी हिंदू और 24.56 फीसदी मुस्लिम थे। लेकिन 2011 में हिंदू घटकर 61.46 फीसदी तो मुस्लिम बढ़कर 34.22 फीसदी हो गए।

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने हाल ही में गरीबी दूर करने के लिए अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों से आबादी नियंत्रित करने की अपील की थी। इसके लिए उन्होंने समुदाय के प्रतिनिधियों से जागरुकता फैलाने की अपील भी की थी। साथ ही कहा था कि उनकी सरकार अल्पसंख्यकों महिलाओं को शिक्षित करने का भी काम करेगी, जिससे समस्याओं का हल प्रभावी तरीके से निकाला जा सके। हालाँकि AIUDF जैसी पार्टियों और असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेताओं ने इसे भी सियासी रंग देने की कोशिश की थी।

अब असम बीजेपी के उपाध्यक्ष जयंत मल्ल बरुआ ने अनियंत्रित जनसंख्या के नए खतरे को लेकर आगाह किया है। उन्होंने बताया है कि जनसंख्या वृद्धि की यही रफ्तार बनी रही तो असम में 2037-38 तक पूर्वी बंगाल मूल के मुस्लिम बहुसंख्यक हो जाएँगे। इन्हें असम में मियाँ-मुस्लिम कहते हैं। मल्ला नालबारी से विधायक हैं। उन्हें मुख्यमंत्री ने पिछले दिनों अपना राजनीतिक सचिव भी नियुक्त किया था।

बरुआ ने सोमवार (14 जून 2021) को बताया कि 1991-2001 के बीच राज्य में हिंदुओं की आबादी 14.9 फीसदी के दर से बढ़ी, जबकि मुस्लिमों की 29.3 फीसदी। यानी इस दशक में मुस्लिमों की आबादी बढ़ने की रफ्तार हिंदुओं की करीब दोगुनी थी। उन्होंने कहा कि 2001-2011 के बीच हिंदू 10.9 फीसदी तो मुस्लिम 29.6 फीसदी की रफ्तार से बढ़े। यानी हिंदुओं के मुकाबले तिगुनी। गौर करने की बात है कि हिंदुओं की आबादी की रफ्तार इस दशक में अच्छी-खासी कम हुई। इसके उलट मुस्लिमों की बढ़ गई।

बरुआ ने बताया कि जनगणना रिपोर्ट के अनुसार 1971 में राज्य की आबादी में 71.51 फीसदी हिंदू और 24.56 फीसदी मुस्लिम थे। लेकिन 2011 में हिंदू घटकर 61.46 फीसदी तो मुस्लिम बढ़कर 34.22 फीसदी हो गए। 1971 में राज्य में दो मुस्लिम बहुल जिले थे जो 2011 आते-आते बढ़कर 11 हो गए।

उन्होंने आगे बताया कि नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS) की रिपोर्ट-5 के अनुसार 2005-06 से 2019-20 के बीच मुस्लिम महिलाओं की रिप्रोडक्टिव रेट गिरकर 3.6 से 2.4 तो हिंदू महिलाओं की 2 से घटकर 1.6 हो गई। मुस्लिमों महिलाओं के बीच इस दर में गिरावट के बावजूद यह हिंदू महिलाओं से करीब दोगुनी है। उन्होंने बताया कि मुस्लिमों की आबादी बढ़ने की यही रफ्तार बनी रही तो 2037-38 तक राज्य में हिंदू अल्पसंख्यक हो जाएँगे। बरुआ ने जनसंख्या नियंत्रण पर आपत्ति जताने वालों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि कुछ ताकतें हैं जो प्रदेश का विकास नहीं चाहतीं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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