Thursday, May 2, 2024
Homeराजनीतिअसम में 1 करोड़ मुस्लिम… इनमें असमिया सिर्फ 40 लाख: हिमंता सरकार करेगी सामाजिक-आर्थिक...

असम में 1 करोड़ मुस्लिम… इनमें असमिया सिर्फ 40 लाख: हिमंता सरकार करेगी सामाजिक-आर्थिक मूल्यांकन, कैबिनेट ने दी मंजूरी

असम कैबिनेट ने 8 जनवरी 2023 को राज्य की मूल मुस्लिम आबादी के सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण को मंजूरी दे दी। इस फैसले के तहत असम के पाँच स्वदेशी मुस्लिम समुदायों- गोरिया, मोरिया, देशी, सैयद, जोल्हा के सामाजिक-आर्थिक मूल्यांकन की प्रक्रिया शुरू होगी।

असम कैबिनेट ने शुक्रवार (8 जनवरी 2023) को राज्य की मूल मुस्लिम आबादी के सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण को मंजूरी दे दी। इस फैसले के तहत असम के पाँच स्वदेशी मुस्लिम समुदायों- गोरिया, मोरिया, देशी, सैयद, जोल्हा के सामाजिक-आर्थिक मूल्यांकन की प्रक्रिया शुरू होगी।

जानकारी के मुताबिक, इस फैसले से पहले जनता भवन में कैबिनेट बैठक आयोजित हुई, जिसके बाद कैबिनेट मंत्री जयंत मल्ला बरुआ ने बताया कि कैबिनेट ने चार क्षेत्र विकास निदेशालय, असम का नाम बदलकर अल्पसंख्यक मामले और चार क्षेत्र, असम निदेशालय करने का फैसला किया है। इस फैसले के पीछे का कारण है कि मूल जनजातीय अल्पसंख्यकों का व्यापक सामाजिक-राजनीतिक और शैक्षणिक उत्थान किया जाए।

रिपोर्ट्स के अनुसार, 2011 में जो जनगणना हुई थी, उसके मुताबिक, असम की 34% से अधिक आबादी मुसलमानों की है, जो लक्षद्वीप और जम्मू-कश्मीर के बाद सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में तीसरी सबसे बड़ी आबादी है।

ये भी बताया जा रहा है कि राज्य की कुल आबादी 3.1 करोड़ में से 1 करोड़ से अधिक मुस्लिम हैं। जिनमें से केवल 40 लाख मूल निवासी, असमिया भाषी मुस्लिम हैं, और बाकी बांग्लादेशी मूल, बंगाली भाषी आप्रवासी हैं। इससे पहले अक्टूबर में, हिमंत सरकार ने स्वदेशी मुस्लिम समुदायों का सामाजिक-आर्थिक मूल्यांकन करने की योजना की घोषणा की थी।

मुख्यमंत्री ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा था, “ये निष्कर्ष सरकार को राज्य के स्वदेशी अल्पसंख्यकों के व्यापक सामाजिक-राजनीतिक और शैक्षिक उत्थान (एसआईसी) के उद्देश्य से उपयुक्त उपाय करने के लिए मार्गदर्शन करेंगे।”

हिमंता सरकार ने गोरिया, मोरिया, जोलाह, देसी और सैयाद समुदायों को मूल असमिया मुसलमानों के रूप में वर्गीकृत किया था, जिनके पास पहले पूर्वी पाकिस्तान और अब से प्रवास का कोई इतिहास नहीं है।

माना जाता है कि ये समुदाय 13वीं से 17वीं शताब्दी के मध्य इस्लाम में परिवर्तित हुए थे, जिनकी मातृभाषा बंगाली नहीं असमिया ही है और इनकी संस्कृति हिंदुओं से मिलती-जुलती है। ऐसे ही गोरिया-मोहिया, जिन्होंने अहोम राजाओं के लिए काम किया था वो हकीकत में कोच राजबोंग्शी लोग थे, जो इस्लाम में परिवर्तित हो गए थे। इसी तरह जिन मुस्लिमों को ब्रिटिश छोटानागपुर से चाय बागानों में काम करने के लिए लाए वो जोल्हा हो गए और सूफी संतों के अनुयायी सैयद हो गए।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

TV पर प्रोपेगेंडा लेकर बैठे थे राजदीप सरदेसाई, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ने निकाल दी हवा: कहा- ये आपकी कल्पना, विपक्ष की मदद की...

राजदीप सरदेसाई बिना फैक्ट्स जाने सिर्फ विपक्ष के सवालों को पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त से पूछे जा रहे थे। ऐसे में पूर्व सीईसी ने उनकी सारी बात सुनी और ऑऩ टीवी उन्हें लताड़ा।

बृजभूषण शरण सिंह का टिकट BJP ने काटा, कैसरगंज से बेटे करण भूषण लड़ेगे: रायबरेली के मैदान में दिनेश प्रताप सिंह को उतारा

भाजपा ने कैसरगंज से बृजभूषण शरण सिंह का टिकट काट दिया। उनकी जगह उनके बेटे करण भूषण सिंह को टिकट दिया गया है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -