Friday, March 29, 2024
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राजनीति में आएँगे ‘रॉबिनहुड बिहार के’? संस्कृत से UPSC क्लियर करने वाले गुप्तेश्वर पांडेय ने 2009 में भी दिया था इस्तीफा

गुप्तेश्वर पांडेय ने 31 वर्षों तक पुलिस विभाग को अपनी सेवाएँ दीं। बिहार को लेकर उनके अनुभव का अंदाज़ा इसी से लगा लीजिए कि वो राज्य के 26 जिलों में किसी न किसी पद पर कार्यरत रहे हैं। नीतीश कुमार का करीबी होने के कारण...

माफिया अपराधी माँगे दुआ भगवान से.. चोर घूसखोर काँपे इनके नाम से..
हिल जाए इलाका इनकी एक दहाड़ से.. डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय रॉबिनहुड बिहार के..
यारों के यार हैं ये जनता के हीरो.. इनका काम सबसे मस्त है..
हर गली मोहल्ले में चर्चा है यारों कि इंसान जबरदस्त है
मसीहा गरीब के हैं बक्सर गंगा पार के
डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय रॉबिनहुड बिहार के..

ये पंक्तियाँ हैं बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय पर बने गाने ‘रॉबिनहुड बिहार के’ का, जिसे दीपक ठाकुर ने लिखा, गाया और कम्पोज किया है। गुप्तेश्वर पांडेय का नाम आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है क्योंकि वो अक्सर लाइमलाइट में रहे हैं और अपने कामकाज के सख्त तरीके को लेकर मीडिया की चर्चा में रहते हैं। उनके बयान भी अक्सर सुर्ख़ियों में रहते हैं। ऐसे में अब उनके इस्तीफे को लेकर चर्चा हो रही है।

बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले लिया है, जिसे नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने स्वीकार भी कर लिया। गुप्तेश्वर पांडेय ने जानकारी दी है कि वो बुधवार (सितम्बर 23, 2020) की शाम अपने सोशल मीडिया अकाउंट से लाइव आकर जनता के समक्ष अपनी बात रखेंगे। ध्यान देने वाली बात है कि बिहार में 2 महीने में ही विधानसभा चुनाव होने हैं। वो 5 महीने में ही रिटायर होने वाले थे।

गृह विभाग ने मंगलवार की रात ही इसकी अधिसूचना जारी कर दी। हाल ही में बक्सर के जदयू जिलाध्यक्ष के साथ उनकी तस्वीर वायरल हुई थी, जिसके बाद उनके राजनीति में आकर चुनाव लड़ने की सम्भावना जताई जा रही है। 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी गुप्तेश्वर पांडेय इससे पहले मुजफ्फरपुर के जोनल आईजी भी रहे हैं। एसपी, रेंज डीआईजी, एडीजी मुख्यालय और डीजी बीएमपी सहित कई पदों पर उन्होंने अपनी सेवाएँ दी हैं।

हालाँकि, स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए कम से कम 3 महीने पहले आवेदन देने का नियम है लेकिन गुप्तेश्वर पांडेय की वरिष्ठता को देखते हुए बिहार सरकार ने उनके लिए नरमी बरती। केएस द्विवेदी के रिटायर होने के बाद उन्हें फ़रवरी 2019 में बिहार के डीजीपी का कार्यभार सौंपा गया था। जानने वाली बात ये है कि 11 वर्ष पहले 2009 में भी उन्होंने आईजी रहते वीआरएस ले लिया था। तब भी उनके राजनीति में आने की चर्चा हुई थी।

लेकिन, उन्होंने बाद में फिर से अपना वीआरएस वापस ले लिया था। अब उनके बाद बिहार में एसके सिंघल को डीजीपी का प्रभार सौंपा गया है। फ़िलहाल वो डीजी होमगार्ड के पद पर कार्यरत हैं। एसके सिंघल लम्बे समय से मुख्यालय में तैनात थे, जिसके बाद उन्हें डीजी के रूप में पदोन्नति मिली। इसके साथ ही बिहार में 3 आईपीएस अधिकारियों को इधर से उधर किया गया। सिंघल को पुलिस महकमे के चुस्त-दुरुस्त अधिकारियों में से एक में रखा जाता है।

जहाँ तक गुप्तेश्वर पांडेय की बात है, पटना यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने के बाद उनका चयन आईआरएस के लिए हुआ था लेकिन वो अपनी नौकरी से संतुष्ट नहीं थे और उन्होंने फिर से यूपीएससी की परीक्षा दी, जिसके बाद वो आईपीएस बनने में सफल रहे। उन्होंने 31 वर्षों तक पुलिस विभाग को अपनी सेवाएँ दीं। बिहार को लेकर उनके अनुभव का अंदाज़ा इसी से लगा लीजिए कि वो राज्य के 26 जिलों में किसी न किसी पद पर कार्यरत रहे हैं।

हालाँकि, गुप्तेश्वर पांडेय इससे पहले भी कहते रहे हैं कि अगर लोगों को लगेगा कि उन्हें नेता बनना चाहिए तो वो राजनीति में भी आएँगे ही। उनका जन्म 1961 में बक्सर के ही गेरुआ गाँव में हुआ था, जो सड़क, अस्पताल, बिजली और शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं से कटा हुआ था। गुप्तेश्वर पांडेय खुद कहते हैं कि उन्होंने गंजी-बनियान पहन कर स्कूलिंग की है और उन्हें इंटर तक हिंदी बोलना भी नहीं आता था, वो भोजपुरी बोलते थे।

गुप्तेश्वर पांडेय के एक भाई किसान हैं और एक भाई मीडिया में हैं। एक बात रोचक है कि उन्होंने संस्कृत में अपना ग्रेजुएशन पूरा किया। एमए का सेशन लेट होने के कारण वो यूपीएससी की तैयारी में लग गए। गुप्तेश्वर पांडेय खुद स्वीकारते रहे हैं कि उनके खानदान में कभी कोई उनसे पहले स्कूल ही नहीं गया। ज्यादा से ज्यादा लोगों को हस्ताक्षर करने आता था। उनके पिता को पता तक नहीं था कि बेटा कहाँ पढ़ रहा है – वो साधु थे।

गुप्तेश्वर पांडेय ने ‘लल्लनटॉप’ को दिए एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्होंने एक औसत विद्यार्थी को आईएएस बनते देखा, जिसके बाद उन्हें भी तैयारी करने का मोटिवेशन मिला। जब गुप्तेश्वर पांडेय बेगूसराय में आए थे, तब माफिया अशोक सम्राट की वहाँ तूती बोलती थी और उसे ही वहाँ का अघोषित सरकार माना जाता था। तरह-तरह के कारखानों के माध्यम से वो अपना साम्राज्य चलाता था। गुप्तेश्वर पांडेय ने उन लोगों को जेल में डालना शुरू किया, जिन पर दर्जनों केस दर्ज थे।

दीपक ठाकुर का गाना ‘रॉबिनहुड बिहार के’ (वीडियो साभार: DT Production)

42 मुठभेड़ और 400 से अधिक अपराधियों को जेल भेज कर वो चर्चा में आए। यूपीएससी में संस्कृत को अपना विषय चुनने वाले गुप्तेश्वर पांडेय बिहार को लेकर खासे चिंतित रहे हैं और यहाँ विकास के लिए आवाज़ उठाते रहे हैं। सुशांत सिंह राजपूत मामले में उन्होंने जिस तरह से पीड़ित परिवार का साथ दिया और केस को सीबीआई तक भेजने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, उस दौरान उनकी सक्रियता सभी ने देखी।

वो गीत-संगीत में भी खासी रूचि रखते हैं। कुछ ही महीनों पहले उनके गाए गाने का एक एल्बम भी आया था। हाल ही में एक गाने के वीडियो में वो दिखे थे, जो उनके ही ऊपर था। अब देखना ये है कि गुप्तेश्वर पांडेय राजनीति में अगर आते हैं तो, वैसी ही धाक जमा पाएँगे या नहीं – जैसी उन्होंने पुलिस सेवा में जमाई है! कयास लगाए जा रहे हैं कि नीतीश कुमार का करीबी होने के कारण वो जदयू में शामिल हों।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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