राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रविवार (फरवरी 16, 2020) को देश की अर्थव्यव्स्था और दिल्ली चुनाव का मुद्दा उठाकर भाजपा पर निशाना साधा। प्रदेश की राजधानी जयपुर में आरक्षण मामले पर केंद्र सरकार के रुख के खिलाफ आयोजित प्रदर्शन में बोलते हुए सीएम गहलोत ने मोदी सरकार की वित्त संबंधी समझ पर सवाल उठाए और उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा लाई गई नीतियों को अपनाने की सलाह दी। इसके अलावा अशोक गहलोत ने इस आयोजन में राष्ट्रवाद और आरक्षण के ख़िलाफ सरकार को घेरा। साथ ही दिल्ली चुनावों के मद्देनजर भाजपा नेताओं पर आरोप लगाया कि वे लोग खुद नहीं चाहते थे कि उनकी पार्टी जीते।
अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा, “आज देश में आर्थिक संकट है। उनके (मोदी सरकार के) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पति ने कहा है कि सरकार आर्थिक स्थिति को नहीं समझती। इसलिए अब उन्हें मनमोहन सिंह की नीतियों का अनुसरण करना चाहिए, जिसे वे (डॉ मनमोहन सिंह) नरसिम्हा राव के समय में अर्थव्यव्स्था बचाने के लिए लाए थे।” प्रदेश मुख्यमंत्री के अनुसार भाजपा की विश्वसनीयता नहीं है और वे अपनी विश्वसनीयता सिर्फ़ नरेंद्र मोदी और अमित शाह के केंद्र में होने के कारण खो रहे हैं।
कॉन्ग्रेस नेता गहलोत ने इस आयोजन में राष्ट्रवाद का मुद्दा उठाते हुए भाजपा के राष्ट्रवाद को छद्म-राष्ट्रवाद करार दिया और कहा कि हम असली राष्ट्रवादी हैं। उन्होंने कहा आरक्षण को लेकर खतरनाक खेल चल रहा है। भाजपा के सांसदों और संघ नेताओं की ओर से जिस प्रकार के बयान आ रहे हैं, इनका कोई भरोसा नहीं है कि कब ये आरक्षण को खत्म करने की घोषणा कर दें। उन्होंने आरक्षण के दायरे में आने वाले एससी, एसटी, ओबीसी से एकजुट होने का आह्वान किया और कहा कि आरक्षण की रक्षा के लिए यह जरूरी है। इससे भविष्य में आरक्षण को खत्म करने की किसी में हिम्मत नहीं होगी।
दिल्ली चुनावों में अपना खाता तक न खोल पाने वाली पार्टी के वरिष्ठ नेता ने इस आयोजन में दिल्ली चुनाव के परिणाम में भाजपा को मिली हार पर भी बयान दिया। उन्होंने कहा कि भाजपा के नेता ही दिल्ली के चुनाव में पार्टी की दुर्गति चाहते थे। उन्हीं के नेता चाहते थे कि भाजपा को अच्छे नतीजे न मिलें। मुख्यमंत्री गहलोत के मुताबिक भाजपा के नेता मन ही मन कह रहे थे कि इन्हें कोई सबक मिलना चाहिए।
दिल्ली में भाजपा की हार पर तंज कसते हुए गहलोत ने इस दौरान कहा कि सुबह जब भाजपा के 20 सीटों पर बढ़त के रुझान आए, तो भाजपा के नेता ही यह चर्चा करने लगे कि ऐसा कैसे हो गया। भाजपा को तो 10 सीटों के अंदर होना चाहिए था।