पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा पर ममता बनर्जी सरकार के ढुलमुल रवैए को देख अब केंद्रीय गृह मंत्रालय एक्शन में आ गया है। जाँच के लिए 4 सदस्यीय टीम बनाई गई है। यह टीम कोलकाता पहुँच चुकी है।
हिंसा को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य से रिपोर्ट भी तलब की थी। रिपोर्ट नहीं भेजे जाने पर सख्त लहजे में चेताया भी था। अब उसने अपनी फैक्ट फाइंडिंग टीम ही राज्य में भेज दी है। दो मई को नतीजों में तृणमूल कॉन्ग्रेस की जीत तय होते ही विपक्ष खासकर बीजेपी कार्यकर्ताओं पर हमले शुरू हो गए थे। हिंसा का आरोप टीएमसी के गुंडों पर है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव स्तर के अधिकारी के नेतृत्व में 4 सदस्यों वाली टीम बंगाल में हिंसा की घटनाओं और ताज़ा परिस्थिति की जाँच करेगी। MHA की टीम में CRPF के एक वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हैं। गुरुवार (मई 6, 2021) की सुबह ये टीम कोलकाता पहुँची।
इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को पत्र लिख कर कहा था कि अगर HMO को रिपोर्ट नहीं मिलती है तो इसे काफी गंभीरता से लिया जाएगा। HMO ने सबसे पहले मतगणना के 1 दिन बाद ही बंगाल के मुख्य सचिव को पत्र भेजा था। चूँकि कानून-व्यवस्था राज्य सरकार के एक्सक्लूसिव अधिकार क्षेत्र में है, केंद्र इसमें मामूली हस्तक्षेप ही कर सकता है। केंद्र ज्यादा से ज्यादा एडवाइजरी या टीम भेज सकता है।
कुछ राज्यों में केंद्रीय टीमों के साथ सहयोग नहीं करने का इतिहास रहा है। केंद्रीय एजेंसियों के लोगों को परेशान भी किया जाता रहा है। उन्हें एयरपोर्ट पर इंतजार कराया जाता है। ज़रूरी सुरक्षा नहीं दी जाती। कुछ ऐसे भी मामले सामने आए थे जब ऐसी टीमों को एयरपोर्ट से ही लौटना पड़ा।
A four-member team deputed by the Ministry of Home Affairs arrives in Kolkata, to assess the ground situation in West Bengal following post-poll violence pic.twitter.com/bFu5Yzcta3
— ANI (@ANI) May 6, 2021
राज्य सरकार से भी ये अपेक्षा की जाती है कि वो केंद्रीय टीम का सहयोग करे और उन्हें ज़रूरी सूचनाएँ मुहैया कराए। NHRC (राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग) और NWC (राष्ट्रीय महिला आयोग) हिंसा के इन मामलों पर पहले ही हरकत में आ चुका है। NHRC ने भी एक फैक्ट-फाइंडिंग टीम बना कर जाँच करने को कहा है। महिलाओं पर हुए हमलों के मामले में NWC ने रिपोर्ट तलब की है।
ये पहली बार भी नहीं है जब ममता बनर्जी ने राजनीतिक हिंसा के मामले में केंद्र सरकार के निर्देशों को धता बताया हो। दिसंबर 2020 में जब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर हमला हुआ था तो MHA ने राज्य के मुख्य सचिव और DGP को कानून-व्यवस्था पर विचार-विमर्श के लिए दिल्ली समन किया था लेकिन वो गए ही नहीं। 3 IPS अधिकारियों को इस मामले में लापरवाही के लिए सेंटर डेपुटेशन पर भेजने की सलाह भी ममता सरकार ने नहीं मानी।