तेलुगु देशम पार्टी के क्रिश्चियन सेल के आंध्र प्रदेश स्थित 13 जिलों के ईसाई नेताओं ने विजयवाड़ा में इकट्ठा होकर बुधवार (13 जनवरी 2021) को पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया। इसकी वजह थी पार्टी के मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू का कथित विवादित बयान। इसके पहले पार्टी के वरिष्ठ अल्पसंख्यक नेता फिलिप सी टोचर (Philip C Tocher) ने भी अपने रास्ते अलग कर लिए थे।
टीडीपी के प्रदेश अध्यक्ष किन्जरपू अट्चननायडू को अपना इस्तीफ़ा सौंपते हुए पूर्व विधायक टोचर ने लिखा, “बेहद दुःख के साथ सूचित करना पड़ रहा है कि मैं पार्टी की सदस्यता से इस्तीफ़ा दे रहा हूँ। इसकी वजह चंद्रबाबू नायडू द्वारा ईसाई समुदाय के लिए दिया गया नफ़रत भरा बयान है। इस बयान की वजह से हमारे समुदाय के लोग तमाम तरह के सवाल खड़े कर रहे हैं।”
अल्पसंख्यक नेता फिलिप सी टोचर 1983 से ही पार्टी से जुड़े हुए थे और 2014 से 2019 के बीच टीडीपी के शासनकाल में बतौर एंग्लो इंडियन विधायक नामित किए गए थे।
दरअसल पिछले कुछ समय के दौरान प्रदेश में मंदिरों और मूर्तियों पर हमला करने के तमाम मामले सामने आए थे। इस पर आंध्र प्रदेश की राज्य सरकार को काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था।
हिन्दू धार्मिक स्थलों पर हमलों के मुद्दे पर चंद्रबाबू नायडू ने भी विवादित बयान दिया था। रामतीर्थम दौरे पर एक जनसभा को संबोधित करते हुए नायडू ने कहा था कि ईसाई मिशनरी प्रदेश के तमाम बड़े मंदिरों के इर्द-गिर्द धर्मांतरण को बढ़ावा दे रही हैं।
इस बयान के सुर्ख़ियों में आने पर प्रदेश के कई ईसाई नेताओं ने नायडू की जम कर आलोचना की। कुछ लोगों ने विशाखापट्टनम के ग्रेटर विशाखापट्टनम म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन स्थित महात्मा गाँधी की मूर्ति के नज़दीक विरोध प्रदर्शन करते हुए माँग उठाई थी कि चंद्रबाबू नायडू को अल्पसंख्यकों से माफ़ी माँगनी चाहिए।
विजयवाड़ा के दलित ईसाई नेता पेरिका वराप्रसाद राव ने यहाँ तक कहा कि नायडू ने राजनीति में अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए इस तरह का बयान दिया है। इसी तरह 2019 के चुनावों में टीडीपी का समर्थन करने वाले एक और अल्पसंख्यक नेता जॉन बेनी लिंगम ने कृष्णा जिले के एसपी को लिखा, “हमें इस बात का संदेह है कि नायडू अपने आदमियों की मदद से इन घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं और ईसाईयों को इसके लिए दोषी ठहरा रहे हैं।”
टीडीपी क्रिस्चियन सेल के पूर्व प्रदेश संयोजक प्रवीण ने द न्यूज़ मिनट से बात करते हुए कहा, “प्रदेश में चर्च बहुत पहले समय से हैं, टीडीपी और वाईएसआरसीपी की सरकारों से भी पहले। उन्हें अब क्यों चर्चों से परेशानी हो रही है। हमें उनसे (नायडू) इस तरह के बयान की उम्मीद नहीं थी। बीते 30-35 सालों में उन्होंने ऐसा कुछ भी नहीं कहा था। अगर उनकी पार्टी ने इस तरह की बात पहले कभी कही होती तो हम उनके साथ इतने समय तक कभी नहीं रहते।”
इसके अलावा प्रवीण ने नायडू को ढोंगी भी कहा क्योंकि कुछ ही समय पहले वह धर्म निरपेक्ष नज़र आने की कोशिश में पादरियों से शुभकामनाएँ ले रहे थे और क्रिसमस मना रहे थे।