केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा का 10 अगस्त 2023 को आखिरी दिन था। प्रस्ताव पर वोटिंग से पहले ही विपक्ष लोकसभा से भाग खड़ी हुई। मोदी सरकार ध्वनिमत से विजयी रही। इससे पहले चर्चा में शामिल होते हुए बीजेपी सांसद कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कॉन्ग्रेस और चीन के बीच गठजोड़ का मुद्दा उठाया। उन्होंने बताया कि 2008 में जब भारतीय खिलाड़ी बीजिंग ओलंपिक में भाग ले रहे थे तब कॉन्ग्रेस नेता सोनिया और राहुल गाँधी चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ बैठकों में व्यस्त थे। कर्नल राठौड़ ने इस ओलंपिक में पदक भी हासिल किया था।
कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए कहा, “मैं 2008 में चीन के बीजिंग ओलंपिक में शामिल था। हमें खबर लगी कि सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी हमसे मिलने आ रहे हैं। लेकिन ये हमसे मिलने नहीं आए और न ही हमसे मुलाकात हुई। इनकी थालियाँ तो चीन की कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा परोसी जा रही थीं। वे चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से मिले। वे रिमोट कंट्रोल पर सरकार चलाते थे। अगर कोई सैनिक इस तरह की कोई कोशिश करता है तो उस पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया जाता। वे (सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी) उस समय सरकार चला रहे थे। उन पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया जाना चाहिए।”
''मैं 2008 बीजिंग ओलंपिक (चीन में) में था. हमें पता चला कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी हमसे मिलने आ रहे हैं पर वे हमसे मिलने नहीं आए.
— Col Rajyavardhan Rathore (@Ra_THORe) August 10, 2023
वे कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना से मिले थे.'' । उन पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया जाना चाहिए…" pic.twitter.com/HtFwE2MbsB
गौरतलब है कि 7 अगस्त 2008 को सोनिया गाँधी के नेतृत्व वाली कॉन्ग्रेस और चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के बीच एक समझौता हुआ था। उस समय केंद्र में मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए वन की सरकार चल रही थी। हाल ही में इस यूपीए का नाम बदलकर कॉन्ग्रेस ने अपने नेतृत्व वाले गठबंधन का नया नामकरण आईएनडीआईए (INDIA) रखा है।
कॉन्ग्रेस और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने उच्च स्तरीय सूचनाओं के आदान-प्रदान और आपसी सहयोग के लिए 2008 में बीजिंग में इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इस समझौता ज्ञापन ने दोनों पक्षों को महत्वपूर्ण द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विकास पर एक-दूसरे से परामर्श करने का अवसर प्रदान किया।
दिलचस्प यह है कि इस एमओयू पर हस्ताक्षर तत्कालीन कॉन्ग्रेस महासचिव राहुल गाँधी ने किया था। चीनी पक्ष की ओर से हस्ताक्षर शी जिनपिंग ने किए थे जो तब अपनी पार्टी के उपाध्यक्ष और सीपीसी के पोलित ब्यूरो की स्थायी समिति के सदस्य थे। एमओयू पर हस्ताक्षर तत्कालीन कॉन्ग्रेस अध्यक्ष और राहुल गाँधी की माँ सोनिया गाँधी की मौजूदगी में हुए थे।
एमओयू पर हस्ताक्षर से पहले सोनिया और उनके बेटे राहुल गाँधी ने आपसी हित के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए शी जिनपिंग और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ लंबी बैठक की थी। उल्लेखनीय है कि साल 2008 में सोनिया गाँधी अपने बेटे राहुल, बेटी प्रियंका, दामाद रॉबर्ट वाड्रा और दोनों के बच्चों को साथ लेकर ओलंपिक खेल देखने के नाम पर चीन गईं थीं। उससे एक साल पहले भी माँ-बेटे के नेतृत्व में कॉन्ग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने चीन का दौरा किया था।
गौर करने वाली बात यह है कि 2008 में CCP और कॉन्ग्रेस के बीच समझौता ज्ञापन उस समय आया जब भारत में वामपंथी दलों ने कॉन्ग्रेस के नेतृत्व वाली UPA-1 सरकार में विश्वास की कमी व्यक्त की थी। इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट बताती है कि भले ही चीन उस समय के भारत के राजनीतिक परिदृश्य और वाम दलों के रुख से अवगत था, बावजूद उसने समझौता इसलिए किया क्योंकि शी जिनपिंग कॉन्ग्रेस, खासकर ने आगे बढ़कर कांग्रेस के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए क्योंकि सीसीपी कांग्रेस के साथ, खासकर गाँधी परिवार के साथ गहरे संबंध चाहते थे।