वो नवंबर 26, 2008 की तारीख थी, जब पाकिस्तान से आए 10 आतंकियों ने मुंबई में कत्लेआम मचाया। देश की वित्तीय राजधानी में घुसे इन आतंकियों ने 12 सार्वजनिक ठिकानों पर गोलीबारी की और 166 लोगों की जान ली। 4 दिनों तक देश के सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले महानगर को आतंकियों ने एक तरह से बंधक बनाए रखा। इसके बाद मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने आतंकियों के ख़िलाफ़ कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की। पाकिस्तान के ख़िलाफ़ डोजियर ज़रूर तैयार किए गए और दुनिया को इस हमले में उसके हाथ के बारे में बताया गया। लेकिन, इसका कुछ असर नहीं हुआ।
कॉन्ग्रेस नेता मनीष तिवारी ने 26/11 की 11वीं बरसी पर पूछा कि अगर ऐसा हमला अमेरिका में हुआ होता तो उसके बाद पाकिस्तान का क्या हश्र होता? उन्होंने कहा कि वे हमेशा सोचते हैं कि अगर अमेरिका में दुर्भाग्य से ऐसा कुछ होता हुआ तो उसने पाकिस्तान का बुरा हाल किया होता। 2008 में मनीष तिवारी की पार्टी कॉन्ग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए की ही सरकार थी। वो अलग बात है कि तिवारी 2004 का लोकसभा चुनाव हार गए थे, लेकिन 2009 में जीत दर्ज कर वे यूपीए-2 में मंत्री बने थे। मनीष तिवारी सही हैं। वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले के बाद अमेरिका ने आतंकवाद के ख़िलाफ़ कैसे जंग छेड़ी, ये सब जानते हैं।
अमेरिका ने पेट्रियट एक्ट और होमलैंड सिक्योरिटी एक्ट जैसे कड़े क़ानून पास किए। उस हमले की जाँच हुई और क़रीब 800 लोगों को गिरफ़्तार किया गया। अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान में ढूँढ निकाला गया और उसे मार गिराया। मनीष तिवारी का ये ट्वीट इस ओर इशारा करता है कि सोनिया गाँधी और मनमोहन सिंह की सरकार ने 26/11 के बाद मजबूत क़दम नहीं उठाए और आतंकवाद को लेकर ढुलमुल रवैया अपनाया।
ऐसा नहीं है कि सेना तैयार नहीं थी। भारतीय वायुसेना पाकिस्तान में घुस कर आतंकियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने के लिए तैयार थी। लेकिन, कॉन्ग्रेस सरकार ने इसके लिए आदेश नहीं दिया। उस वक़्त सुखोई स्क्वाड्रन का नेतृत्व कर रहे वायुसेना अधिकारी ने बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद खुलासा किया कि उस समय भी मुजफ्फराबाद में ऐसे ही किसी ऑपरेशन की बात चली थी, लेकिन मनमोहन सरकार ने इसके लिए इजाजत नहीं दी। रिटायर्ड अधिकारी ने बालाकोट एयरस्ट्राइक की प्रशंसा करते हुए बताया था कि मुंबई हमले के बाद उनके स्क्वाड्रन को 1 महीने तक तैनात कर रखा गया, लेकिन स्ट्राइक करने की इजाजत नहीं मिली।
What would happened to Pakistan if 26/11 would have unfortunately happened in the US & the smoking gun would have nailed Pakistan conclusively as it did in the case of the Mumbai outrage? – I often wonder………
— Manish Tewari (@ManishTewari) November 26, 2019
उस वक़्त कॉन्ग्रेस सरकार में मंत्री रहे एआर अंतुले ने वीरगति को प्राप्त हेमंत करकरे के बारे में कहा था कि उन्होंने कई आतंकी हमलों में कुछ हिन्दुओं का हाथ होने की बात पता लगाई थी और इसीलिए उन्हें अपनी जान गँवानी पड़ी। अंतुले का कहना था कि आतंकवाद की जड़ों में जाकर गहराई से जाँच करने के कारण उन्हें निशाना बनाया गया। उस समय भारत में अमेरिका के राजदूत रहे डेविड मुल्फोर्ड ने यूएस स्टेट डिपार्टमेंट को लिखा था कि कॉन्ग्रेस ने पहले तो अंतुले के आधारहीन बयानों से पल्ला झाड़ लिया, लेकिन 2 दिन बाद उसी तरह का बयान जारी किया। एक विकिलीक्स केबल से हुए खुलासे के अनुसार, मुल्फोर्ड ने अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट को लिखा कि अंतुले के बयान को भारतीय मुस्लिम समुदाय के एक बड़े तबके का समर्थन भी मिला।
मुल्फोर्ड ने लिखा था कि कॉन्ग्रेस पार्टी आगामी चुनावों में फ़ायदा लेने के लिए ऐसी साज़िश रच रही थी। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने ’26/11 आरएसएस की साज़िश’ नामक पुस्तक लॉन्च किया और इस हमले के पीछे पाकिस्तान का हाथ होने का बचाव किया। अगर अजमल कसाब नहीं पकड़ा जाता तो कॉन्ग्रेस शायद अपनी साज़िश में सफल भी हो जाती। गौर करने लायक बात है कि कसाब ने अपने हाथ में कलावा बाँध रखा था, जिससे लगे कि वह हिन्दू है। उरी और पुलवामा हमले के बाद मोदी सरकार ने जो इच्छाशक्ति दिखाई और आतंकियों को नेस्तनाबूत किया, कॉन्ग्रेस के वक़्त यब सब एक सपना ही हुआ करता था।