Sunday, September 1, 2024
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राहुल ‘अच्छे शगुन’ से फूँकेंगे चुनावी बिगुल, लेकिन वहाँ की जनता मानती है कॉन्ग्रेस को अपशकुन

यदि वलसाड विधानसभा की बात करें तो यहाँ से लगातार 6 बार भाजपा उम्मीदवार को लोगों का साथ मिला है। यही नहीं पिछले चुनाव में इस विधानसभा सीट पर भाजपा के भरत भाई कीकूभाई पटेल ने कॉन्ग्रेस उम्मीदवार टंडेल नरेंद्र कुमार जगुभाई को हराया था।

कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी गुरुवार को गुजरात के वलसाड जिले से चुनावी बिगुल फूकेंगे। गुजरात के इसी वलसाड ज़िले से होकर दमनगंगा नदी बहती है। इस नदी के किनारे से चुनावी बिगुल फूँकना राहुल और उनकी पार्टी अपने लिए शगुन मानती है, जबकि यहाँ रहने वाले लोग शायद कॉन्ग्रेस पार्टी को वोट देना अपने लिए अपशगुन मानते हैं।

यही वजह है कि इस ज़िले के पाँच विधानसभा सीटों में से चार विधानसभा सीटों पर भाजपा के विधायक हैं। केंद्र के मोदी सरकार द्वारा गंगा को साफ़ करने के लिए नमामि गंगे योजना लागू होने के बाद वलसाड के लोगों में यह उम्मीद जगी है कि गंगा के तरह ही भाजपा सरकार दमनगंगा को साफ़ करने के लिए भी कोई नई स्कीम शुरू करेगी।

कॉन्ग्रेस पार्टी का कहना है कि वलसाड ज़िले के लालडुंगरी गाँव से चुनावी बिगुल फूँकना पार्टी के लिए अच्छा शगुन माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि 1980 में इंदिरा गाँधी, 1984 में राजीव गाँधी और 2004 सोनिया गाँधी ने इसी गाँव से चुनाव प्रचार करके सत्ता हासिल की थी। यह बात अलग है कि 2014 में कॉन्ग्रेस पार्टी सत्ता हासिल करने के इस फॉर्मूले को भूल गई थी।

यह कहा जाता है कि वलसाड में जिस पार्टी को लोगों का प्यार मिलता है वही पार्टी राज्य या केंद्र में सरकार बनाती है। वलसाड दक्षिणी गुजरात का हिस्सा है। वलसाड ज़िले में कुल पाँच विधानसभा सीटें हैं। कॉन्ग्रेस पार्टी यह दावा करती है कि लालडुंगरी से चुनावी अभियान की शुरुआत करने के बाद उनकी पार्टी सत्ता में आती है।

दरअसल, कॉन्ग्रेस के साथ समस्या यह है कि अपने विरासत को बचाने के लिए कॉन्ग्रेस पार्टी कभी गंभीर नज़र नहीं आती है। कॉन्ग्रेस पार्टी आज भले ही सत्ता पाने के लिए अच्छा शगुन बताकर वलसाड से चुनावी रैली की शुरुआत कर रही हो, लेकिन चुनाव के बाद उसी वलसाड के लोगों का हाल तक जानना कॉन्ग्रेस पार्टी के नेता उचित नहीं समझते हैं। ऐसे में जनता का कॉन्ग्रेस पार्टी से दूर होना स्वाभाविक है।

वलसाड दक्षिणी गुजरात का एक हिस्सा है। दक्षिणी गुजरात में कुल 35 विधानसभा सीटें हैं। दक्षिणी गुजरात में कॉन्ग्रेस पार्टी की तुलना में भाजपा का मज़बूत पकड़ है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि चुनाव के पहले और चुनाव के बाद भाजपा के दिग्गज़ नेताओं का इस क्षेत्र में आना-जाना लगा रहता है।

यदि वलसाड विधानसभा की बात करें तो यहाँ से लगातार 6 बार भाजपा उम्मीदवार को लोगों का साथ मिला है। यही नहीं पिछले चुनाव में इस विधानसभा सीट पर भाजपा के भरत भाई कीकूभाई पटेल ने कॉन्ग्रेस उम्मीदवार टंडेल नरेंद्र कुमार जगुभाई को हराया था। इस ज़िले के एकमात्र कपराडा विधानसभा पर कॉन्ग्रेस पार्टी की मज़बूत पकड़ है। यहाँ से जीतू भाई लगातार तीन बार से कॉन्ग्रेस पार्टी से चुनाव जीत रहे हैं।

हलाँकि, 1975 के चुनावों से वलसाड़ विधानसभा की सीट पर नज़र दौड़ाएँ तो जिस दल के उम्मीदवार की इस सीट से जीत हुई है। सूबे में उस दल की ही सरकार बनी है। वर्ष 1975 में जनसंघ-एनसीओ गठबंधन उम्मीदवार के रूप में यहाँ से केशवभाई राणा जी पटेल चुनाव जीते थे। उस वर्ष राज्य में जनसंघ-एनसीओ की साझा सरकार बनी थी। वर्ष 1980 में कॉन्ग्रेस के उम्मीदवार के रूप में दोलत राय देसाई ने वलसाड़ से चुनाव जीता था। तब राज्य में कॉन्ग्रेस की सरकार बनी थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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